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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने फर्जी सूचनाओं के प्रचार-प्रसार को चिंता का विषय करार देते हुए कहा है कि सूचना सेवा के अधिकारियों को इस समस्या का समाधान करना चाहिए। श्रीमती मुर्मू ने बुधवार को यहां भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों तथा अधिकारी प्रशिक्षुओं एवं भारतीय नौसेना आयुध सेवा के प्रोबेशनरी अधिकारियों से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।

राष्ट्रपति ने भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि संचार सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों तथा इसके कामकाज के बारे में नागरिकों को जागरूक करने का महत्वपूर्ण माध्यम है। प्रभावी संचार और सही सूचना के माध्यम से अधिकारी देश की प्रगति में नागरिकों को जागरूक भागीदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सूचना के व्यापक और तत्‍काल प्रसार के साथ ही समान रूप से तेज गति से फर्जी सूचनाएं भी उभर रही है जो एक चुनौती है। भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों को फर्जी समाचारों से निपटने का उत्‍तरदायित्‍व भी लेना होगा। उन्होंने अधिकारियों से प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने तथा सोशल मीडिया में झूठी कहानियां गढ़ने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण के लिए समर्पण के साथ काम करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी वैश्विक मंच पर भारत की छवि निखारने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत ने हमेशा विश्‍व को शांति और भाईचारे का संदेश दिया है। उन्‍होंने कहा कि पूरी मानवता के लिए सांस्कृतिक संदेशों के माध्यम से भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ का प्रसार एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां अधिकारी बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।

श्रीमती मुर्मू ने नौसेना आयुध सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें नौसेना और भारतीय तट रक्षक दोनों को कुशल तथा सुरक्षित आयुध लॉजिस्टिक वितरण प्रणाली देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति और अत्याधुनिक हथियारों के आने से उन्‍हें स्वदेशीकरण की लक्ष्य प्राप्ति में नवाचार के प्रयास करने चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशकों में स्वदेशीकरण की दिशा में बहुत कुछ हासिल किया गया है, लेकिन अब ‘मेक इन इंडिया’ के विजन के अनुरूप देश में तकनीकी रूप से उन्नत उपकरण बनाकर आत्मनिर्भरता का नया चरण शुरू करने का समय आ गया है। उन्होंने आईएनएएस अधिकारियों से नौसेना आयुध के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता तथा आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में दिल से योगदान करने का आग्रह किया।

उन्होंने अधिकारियों को हमेशा यह याद रखने की सलाह दी कि उनके पद जिम्मेदारी और जवाबदेही के हैं। उन्होंने कहा कि उनके प्रत्‍येक निर्णय और कार्रवाई से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नागरिकों के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, लक्ष्यों को देश के विकास तथा नागरिकों की भलाई के साथ जोड़ा जाना चाहिए।