Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0 नाजायज फायदा उठा रहा था ड्रैगन, खुद सस्ता लोन लेकर गरीब देशों को फंसाया

वॉशिंगटन। अमेरिकी संसद ने चीन को इकोनॉमिक फ्रंट पर तगड़ा झटका दिया है। मंगलवार को अमेरिकी सीनेट ने एक नए कानून को मंजूरी दी। इसके मुताबिक चीन को अब अमेरिका किसी भी सूरत में विकासशील देश (डेवलपिंग कंट्री) का दर्जा नहीं देगा।

अमेरिका के इस कदम का चीन की इकोनॉमी पर जबरदस्त असर पड़ेगा। वर्ल्ड बैंक और दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से उसे अब आसानी से और कम ब्याज पर लोन नहीं मिल सकेगा। चीन डेवलपिंग कंट्री स्टेटस की वजह से खुद तो आसान और सस्ता कर्ज लेता था, लेकिन गरीब देशों को कठोर शर्तों पर लोन देकर उन्हें कर्ज के जाल में फंसा लेता था।

अमेरिका के सभी सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट किया
मार्च में पहली बार अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (जैसे हमारे यहां लोकसभा) में एक बिल लाया गया। इसकी खास बात यह थी कि इसका मकसद सिर्फ चीन पर लगाम कसना था। बहरहाल, हुआ ये कि जब इस बिल पर वोटिंग हुई तो तमाम 415 सांसदों ने इस बिल (चाइना इज नॉट ए डेवलपिंग कंट्री एक्ट) के फेवर में वोट दिया। एक भी सांसद ने इसका विरोध नहीं किया। एक रिपोर्ट के मुताबिक 9/11 हमले के बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब हर सांसद एक बिल के फेवर में था।
अब सीनेट (जैसे हमारे यहां राज्यसभा) ने भी बिना किसी फेरबदल के इस बिल पर मुहर लगा दी। जाहिर है डेमोक्रेट्स हों या अपोजिशन में बैठे रिपब्लिकन्स, दोनों ही चीन को सबक सिखाने के मूड में थे। चूंकि संसद में बिल पर एकराय है, लिहाजा प्रेसिडेंट जो बाइडेन भी फौरन मंजूरी दे देंगे।

अब क्या होगा इसका तकनीकी असर  
अमेरिकी सीनेट में फॉरेन रिलेशन कमेटी होती है। इसकी पहल पर ही चीन का डेवलपिंग कंट्री स्टेटस छीना गया है। फ्यूचर में अमेरिकी सरकार या उसकी फंडिंग हासिल करने वाला कोई भी इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन चीन को इकोनॉमी या टेक्नोलॉजी फ्रंट पर रियायत नहीं देगा।
इस बिल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन करेंगे। ये ब्लिंकन ही थे, जिन्होंने संसद में कहा था कि चीन अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी और विकसित देश (डेवलप्ड कंट्री) है। लिहाजा, उसके स्टेटस में बदलाव जरूरी है।
संसद ने माना कि चीन को अब सुविधाएं और राहत नहीं दी जा सकतीं, जो एक डेवलपिंग कंट्री को मिलती हैं। वो दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। उसके पास बड़ी और ताकतवर फौज है। इसके अलावा उसने दुनिया के कई हिस्सों में अरबों डॉलर के इन्वेस्टमेंट किए हैं। बिल के मुताबिक ये शीशे की तरह साफ है कि चीन डेवलपिंग कंट्री स्टेटस का नाजायज फायदा उठा रहा है।

चीन को कितना भारी पड़ेगा ये बिल
इस बिल का चीन पर तगड़ा असर पड़ेगा। इसमें कहा गया है कि चीन ने अमेरिका और दुनिया की आंखों में धूल झोंकी है। उसने डेवलपिंग कंट्री स्टेटस का नाजायज फायदा उठाया। हम उसे डेवलपमेंट असिस्टेंस यानी विकास के लिए मदद देते रहे, बेहद सस्ता लोन देते और दिलाते रहे और वो अमेरिका को ही चैलेंज करता रहा। चीन ने जो सस्ता कर्ज हासिल किया, उसका इस्तेमाल ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ में किया गया। सस्ता कर्ज लेकर उसने इसे गरीब देशों को महंगी ब्याज दरों पर दिया। इसका नुकसान ये हुआ कि गरीब और विकासशील देश चीन के कर्ज जाल में फंसते चले गए। अब वो इन देशों की जमीन और संस्थानों पर कब्जा कर रहा है।
बिल के मुताबिक हैरानी की बात ये है कि UN जैसा दुनिया का सबसे बड़ा संस्थान भी चीन को डेवलपिंग कंट्री ही मानता है। गरीब देशों को इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन्स से मदद में जो तरजीह मिलती है, वो चीन भी हासिल करता है। उसे सस्ता लोन मिलता है, वर्ल्ड मार्केट में आसान एक्सेस मिलता है, टेक्निकल असिस्टेंस मिलती है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) और वर्ल्ड बैंक जैसे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस उसकी मदद करते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट के अफसर पैट्रिक क्रोनिन ने अप्रैल में ‘अल जजीरा’ चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चीन बेहद शातिर है। उसने डेवलपिंग कंट्री स्टेटस का फायदा उठाया और इसके जरिए दुनिया के इकोनॉमिक स्ट्रक्चर को तबाह कर दिया। गरीब देशों को कर्ज जाल में फंसा लिया।
हडसन इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर रिक जॉय कहना है कि शी जिनपिंग और उनकी सरकार को लगता है कि दुनिया उनकी हरकतों को समझ नहीं पा रही है। ये उनकी सबसे बड़ी गलतफहमी है और यही उनके लिए तबाही का सबब बनेगी। इंडो-पैसिफिक में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया उसका रास्ता रोक देंगे और वह इन चार देशों से जंग करने के बारे में सोच भी नहीं सकता।
सिंगापुर बेस्ड वर्ल्ड व्यू फोरम के एक्सपर्ट डॉक्टर शिन थियान ने कहा कि चीन का डेवलपिंग कंट्री स्टेटस छीने जाने का मतलब साफ है कि अमेरिका अब चीन को और बर्दाश्त नहीं करेगा। आप देखेंगे कि अब चीन के कई प्रोजेक्ट्स पर अमेरिका और उसके सहयोगी देश किस तरह लगाम कसते हैं और चीन इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। सच्चाई ये है कि दुनिया आज भी डॉलर से चल रही है और चीन इसे रोक नहीं सकता।