0 जून के आखिर तक 4 अरब डॉलर चाहिए
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में 9 जून को पेश किए गए बजट से इंटनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) काफी नाराज है। माना जा रहा है कि IMF से पाकिस्तान को नया लोन मिलना बेहद मुश्किल है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार को डिफॉल्ट से बचने के लिए इस महीने के आखिर तक 4 अरब डॉलर की जरूरत है। इस फंड के बगैर वो पुराने कर्ज की किश्तें तक नहीं चुका सकेगा।
पाकिस्तान के अखबार ‘द न्यूज’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक शाहबाज शरीफ सरकार के सामने अब सिर्फ दो रास्ते हैं। पहला- IMF जल्द से जल्द कर्ज की किश्तें जारी करना शुरू करे। दूसरा- डिफॉल्ट से बचाने के लिए दोस्त मुल्क जैसे सऊदी अरब या चीन 4 अरब डॉलर उसके सरकारी खजाने में जमा करें। इस फेहरिस्त में वैसे तो तुर्किये भी है, लेकिन उसकी इकोनॉमी खुद खस्ताहाल है। लिहाजा वो पाकिस्तान की मदद नहीं कर सकता।
पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार ने पिछले महीने कहा था- अगर IMF हमें कर्ज की किश्तें जारी करना शुरू नहीं करता या हमारा पुराना प्रोग्राम बहाल नहीं करता तो हमारे पास प्लान बी तैयार है।
अब माना जा रहा है कि 3 से 4 अरब डॉलर हासिल करने के लिए पाकिस्तान अपने दोस्त मुल्कों की मदद लेगा। इसमें दिक्कत ये है कि सऊदी अरब ने फरवरी में पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर देने का वादा किया था, लेकिन ये फंड अब तक उसको नहीं मिला है। चीन ने पाकिस्तान को नया कोई लोन नहीं दिया, लेकिन पुराने 1.2 अरब डॉलर का कर्ज रोल ओवर (चुकाने का समय बढ़ाना) कर दिया।
आईएमएफ क्या कर रहा है
30 जून पाकिस्तान की इकोनॉमी के लिहाज से बेहद अहम तारीख है। इस दिन आईएमएफ का पाकिस्तान को दिया पुराना प्रोग्राम खत्म हो जाएगा। खास बात यह है कि 6.5 अरब डॉलर के इस प्रोग्राम की 5 किश्तें अब भी पाकिस्तान को नहीं मिलीं। इसकी वजह यह रही कि इमरान खान ने सरकार गिरने के ठीक दो दिन पहले पेट्रोल-डीजल 10 रुपए तक सस्ता कर दिया था। इसे आईएमएफ नाराज हो गया था। शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने भी आईएमएफ की शर्तें पूरी नहीं की और 9 जून को पेश बजट में टैक्स कलेक्शन बढ़ाने को लेकर कोई पुख्ता उपाय नहीं किए। रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2023 तक अगर पाकिस्तान को आईएमएफ का नया प्रोग्राम नहीं मिला तो वो दिवालिया हो सकता है।
सरकार पर जबरदस्त दबाव
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार से रेवेन्यू और इनकम के बारे में तफ्सील से रिपोर्ट मांगी थी। पाकिस्तान ने रिपोर्ट पेश भी की, लेकिन आईएमएफ की टीम इससे सख्त नाखुश थी। उसके मुताबिक, सरकार न तो आयात कम कर पा रही है और न ही रेवेन्यू बढ़ाने में कामयाब रही। ऐसे में नई किश्तें जारी करना मुमकिन नहीं है। इसके पहले फाइनेंस मिनिस्टर ने एक इंटरव्यू में कहा था आईएमएफ हमें यह नहीं बता सकता कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। हम उसके डिक्टेशन फॉलो नहीं कर सकते। माना जा रहा है कि इसके बाद से ही बात बिगड़ गई।