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0 40 हजार करोड़ में बनेगा; तब हम हिंद महासागर में चीन के बराबर होंगे

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने रक्षा मंत्रालय को आईएनएस-विक्रांत जैसा देश का दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर-2 के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, यह एयरक्राफ्ट आईएनएस-विक्रांत बनाने वाली केरल के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) से ही बनवाया जाएगा।

45 हजार टन के एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने में 40 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च आएगा। प्रस्ताव को पहले रक्षा खरीद बोर्ड, रक्षा अधिग्रहण परिषद और आखिर में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा कैबिनेट समिति फाइनल करेगी।

बजट के कारण छोटे वॉरशिप को चुनना पड़ा
भारतीय नौसेना ज्यादा ताकतवर और न्यूक्लियर ऑपरेटेड 65 हजार टन का जहाज चाहती थी, जो 30 से ज्यादा एयरक्राफ्ट ले जाने में सक्षम हो। लेकिन कम बजट ने छोटे और इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन आईएसी-2 को चुनने पर मजबूर कर दिया।

मंजूरी मिली तो 8-10 साल में तैयार हो जाएगा
सुरक्षा कैबिनेट कमेटी की मंजूरी मिलने और कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद कोचीन शिपयार्ड को आईएसी-2 बनाने में 8-10 साल लगेंगे। नौसेना को उम्मीद है कि तब तक डीआरडीओ का स्वदेशी ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (टीईडीबीएफ) भी ऑपरेशन के लिए तैयार हो जाएगा।

दूसरा एयरक्राफ्ट बना तो चीन की बराबरी कर लेंगे
चीन के पास अभी तीन एयरक्राफ्ट करियर लियाओनिंग, शेडोंग और फुजियान हैं। वह 2 और एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है। इसलिए, हिंद महासागर में भारत की मजबूत पकड़ के लिए नौसेना तीन एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात करना चाहती है।

अभी भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज
भारतीय सेना के पास फिलहाल दो एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज हैं। एक रूस का INS विक्रमादित्य और दूसरा आईएनएस विक्रांत है। दोनों दुनिया के 10 सबसे बेहतर एयरक्राफ्ट कैरियर वॉरशिप में शुमार हैं। देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को सीएसएल ने ही बनाया था। पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे नौसेना को आधिकारिक तौर पर सौंप दिया था। 44 हजार टन के आईएनएस विक्रांत को लगभग 20 हजार करोड़ की लागत में बनाया गया था। यह वॉरशिप 2024 की शुरुआत तक पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार हो जाएगा।

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