0 कोर्ट ने लिखित दलीलें मांगी
0 कहा- हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सही मानने की जरूरत नहीं
नई दिल्ली। अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने सोमवार तक सभी पक्षों से लिखित दलीलें मांगी हैं। आज यानी शुक्रवार, 24 नवंबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
सीजेआई ने कहा कि हमें अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सही मानने की जरूरत नहीं है। हिंडनबर्ग यहां मौजूद नहीं है, हमने सेबी से जांच करने को कहा है। वहीं मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने कहा कि वह जांच के लिए अब और समय नहीं मांगेगी। 8 महीने से वो इस मामले की जांच कर रही है।
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) को भी जांच करने के लिए कहा था, लेकिन सेबी अभी तक अपनी रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई है।
सेबी को सभी 24 मामलों में जांच पूरी करनी होगी
अदालत ने कहा कि मार्केट रेगुलेटर सेबी को सभी 24 मामलों में जांच पूरी करनी होगी। इससे पहले, सेबी ने 25 अगस्त को अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि उसने 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट को पूरी तरह सत्य के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्यता का परीक्षण करने का कोई साधन नहीं है और इसलिए सेबी से जांच करने को कहा गया है।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बाजार नियामक की कार्रवाई संदिग्ध है क्योंकि उनके पास 2014 से अडाणी से जुड़ी डिटेल्स हैं। डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने 2014 में सेबी चेयरमैन के साथ ये डिटेल्स शेयर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी को किसी अखबार में छपी खबर, चाहे वह फाइनेंशियल टाइम्स में ही क्यों न हो, को सच्चाई के रूप में लेने के लिए नहीं कहा जा सकता। FT ने गौतम अडाणी के भाई से जुड़ी रिपोर्ट पब्लिश की थी।
एक्सपर्ट कमेटी के पुनर्गठन पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह कमेटी के साथ बहुत अन्याय होगा और लोग सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति में काम करना बंद कर देंगे।