Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0 कहा- अब इस सम्मान के बोझ तले नहीं जी सकते
रेवाड़ी। रेसलर बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया के जरिए चिट्‌ठी लिखकर पद्मश्री अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया है। बजरंग पूनिया ने लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है।

इस चिट्‌ठी में बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) पर बृजभूषण के करीबी संजय सिंह की जीत का विरोध जताया है। बजरंग अवॉर्ड लौटाने प्रधानमंत्री आवास पर गए थे, लेकिन अंदर जाने की परमिशन नहीं मिली तो उन्होंने अवॉर्ड वहीं फुटपाथ पर रख दिया। बजरंग ने खुद को 'असम्मानित पहलवान' बताते हुए कहा कि महिला पहलवानों के अपमान के बाद वे ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाएंगे, इसलिए अपना सम्मान लौटा रहे हैं। अब वह इस सम्मान के बोझ तले नहीं जी सकते। बजरंग पूनिया को 12 मार्च 2019 को पद्मश्री पुरस्कार मिला था।

सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही थी
बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री को लिखा- आपकी देश सेवा की इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के गंभीर आरोप लगाए थे। जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही।

3 महीने कुछ न हुआ तो सड़कों पर उतरना पड़ा
लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं की, तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया, ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण पर एफआईआर दर्ज करे। लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर FIR दर्ज करवानी पड़ी।

बृजभूषण के दबाव में 12 महिला पहलवान पीछे हटीं
जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी, जो अप्रैल तक आते-आते 7 रह गई थी। यानी इन 3 महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला। इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस-नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी।

गृहमंत्री ने कहा था- न्याय में साथ देंगे
जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें?। इसलिए हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची। जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं, हमारे साथ न्याय होगा। इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई। जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे।

हालांकि बाद में उन्हें रोक दिया गया।
हमने बात मानी लेकिन बृजभूषण दोबारा संघ पर काबिज हो गया
हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया क्योंकि कुश्ती संघ का हल सरकार कर देगी और न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी, ये 2 बातें हमें तर्कसंगत लगीं। लेकिन बीती 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया है। उसने स्टेटमेंट दी कि 'दबदबा है और दबदबा रहेगा'। महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था।