0 डोंगरगढ़ के चन्द्रगिरि में शनिवार देर रात शरीर त्यागा
0 छत्तीसगढ़-मप्र में आधे दिन का राजकीय शोक
डोंगरगढ़/राजनांदगांव। दिगंबर जैन मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने शनिवार देर रात 2:35 बजे अपना शरीर त्याग दिया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में आचार्य पद का त्याग करने के साथ 3 दिन का उपवास और मौन धारण कर लिया था। रविवार को चंद्रगिरि तीर्थ में पंचतत्व में विलीन हुए। उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में जैन समाज सहित अन्य समाज के नागरिक शामिल हुए। मध्यप्रदेश शासन के मंत्री चैतन्य कुमार कश्यप, मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन अमिताभ जैन तथा संतों ने चंद्रगिरि तीर्थ पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद जैन समाज के लोग डोंगरगढ़ में बड़ी संख्या में पहुंचे। पूजन के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं मध्यप्रदेश में सरकार के सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। इसके अलावा मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।
मैं शोक में हूं, मेरे लिए ये व्यक्तिगत क्षति है : पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आचार्य विद्यासागर को नमन किया, श्रद्धांजलि दी। कहा कि मैं शोक में हूं, मेरे लिए ये व्यक्तिगत क्षति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधानसभा चुनाव के दौरान 5 नवंबर को डोंगरगढ़ भी पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने आचार्य विद्यासागर जी महाराज से चंद्रगिरी पर्वत में मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने उनसे आशीर्वाद लिया और चर्चा की थी।
आचार्य श्री के योगदान को युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगाः सीएम साय
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महा मुनिराज जी के ब्रम्हलीन होने पर उन्हें नमन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का देश व समाज के लिए योगदान युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि विश्व वंदनीय, राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महामुनिराज जी के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में सल्लेखना पूर्वक समाधि का समाचार प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश व समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। आध्यात्मिक चेतना के पुंज आचार्य श्री विद्यासागर जी के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन। राज्य शासन द्वारा वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि संत परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज जी के सम्मान में आज छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा तथा राजकीय समारोह एवं कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे।
1946 में कर्नाटक में हुआ जन्म
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज देश के ऐसे अकेले आचार्य थे, जिन्होंने 505 मुनियों को दीक्षा दी। आचार्य श्री कुन्थु सागर महाराज का नाम दूसरे नंबर पर आता है, उन्होंने अब तक 325 मुनियों को दीक्षा दी है। दमोह के कुंडलपुर में चल रहे महोत्सव में आचार्य श्री अब एक साथ 500 से ज्यादा दीक्षा देने जा रहे हैं। वर्तमान में आचार्य श्री का ससंघ देश का सबसे बड़ा ससंघ है। जिसमें 300 से ज्यादा मुनि श्री और आर्यिका हैं।
गुरु ज्ञान सागर महाराज ने आचार्य पद दिया था
विद्यासागर महाराज को आचार्य पद की दीक्षा आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने 22 नवंबर 1972 को अजमेर राजस्थान के नसीराबाद में दी थी। इसके बाद आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने आचार्य श्री के मार्गदर्शन में ही 1 जून 1973 को समाधि ली थी।
विद्यासागर जी ने 1980 में दी थी पहली दीक्षा
विद्यासागर जी ने 8 मार्च 1980 को पहली दीक्षा छतरपुर में मुनि श्री समय सागर महाराज को दी। दूसरी दीक्षा सागर जिले में योग सागर और नियम सागर महाराज को दी थी। दीक्षा लेने वालों में आचार्य श्री के गृहस्थ जीवन के भाई मुनि श्री समय सागर और मुनि श्री योग सागर हैं। आचार्य श्री की दो बहनें शांता और सुवर्णा दीदी भी दीक्षा ले चुकी हैं। आचार्य श्री की ओर से पिछले 4 साल से दीक्षा नहीं दी गई। आखिरी बार उत्तरप्रदेश के ललितपुर में 28 नवंबर 2018 को दीक्षांत समारोह हुआ। इसमें 10 को मुनि दीक्षा दी गई थी।