0 भारत के चंद्रयान-3 के बाद ऐसा करने वाला दूसरा देश
वॉशिंगटन। अमेरिका की ह्यूस्टन बेस्ड प्राइवेट कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स का लैंडर ओडिसियस चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड हो गया है। इसे 15 फरवरी 2024 को लॉन्च किया गया था। भारतीय समय के मुताबिक, 4 बजकर 53 मिनट पर स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग हुई। इसी के साथ ओडिसियस मून लैंडिंग करने वाला किसी प्राइवेट कंपनी का पहला स्पेसक्राफ्ट बन गया है।
वहीं, अमेरिका दूसरा देश है जो चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरा। इससे पहले 23 अगस्त 2023 को भारत के चंद्रयान-3 की साउथ पोल पर सफल लैंडिंग हुई थी। लैंडिंग से पहले ओडिसियस के नेविगेशन सिस्टम में कुछ खराबी आई थी। इसके बावजूद लैंडिंग कराई गई।
अमेरिकी मीडिया 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, लैंडिंग के बाद ओडिसियस की जानकारी नहीं मिली है। उससे संपर्क भी नहीं है, लेकिन मिशन के डायरेक्टर टिम क्रेन ने कहा कि हम बिना किसी संदेह के कह सकते हैं कि ओडिसियस चांद की सतह पर मौजूद है।
चांद पर मौजूद धूल की स्टडी करेगा
ओडिसियस मून मिशन का मकसद चांद पर मौजूद धूल की स्टडी करना है। दरअसल, अपोलो मिशन पूरा करके लौटे अंतरिक्ष यात्रियों ने बताया था कि धूल की वजह से उनके इक्विपमेंट्स खराब हुए थे। इसलिए अब साइंटिस्ट समझाना चाहते हैं कि स्पेसक्राफ्ट के लैंड होने से उड़ने वाली धूल कैसे हवा में रहती है और फिर मून सरफेस पर बैठ जाती है।
जहां लैंडिंग हुई वहां इंसानों को भेजने की तैयारी
ब्रिटिश मीडिया बीबीसी के मुताबिक, लैंडर ओडिसियस जिस जगह पर लैंड हुआ है उसे मालापर्ट के नाम से जाना जाता है। यहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती। ये एक खाई के करीब समतल यानी प्लेन जगह है। मालापर्ट 17वीं सदी के बेल्जियन एस्ट्रोनॉमर थे। साइंटिस्ट्स का मानना है कि यहां पानी मौजूद है, लेकिन वो बर्फ के रूप में है। यह इलाका उन जगहों की शॉर्टलिस्ट में है, जहां अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा आर्टिमिस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने पर विचार कर रहा है।
स्पेसक्राफ्ट की स्पीड बढ़ी थी
वैसे तो ओडिसियस प्राईवेट मून मिशन है, लेकिन इसके पीछे अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का दिमाग है। मिशन में काम आने वाले 6 इंस्ट्रूमेंट्स नासा ने ही तैयार किए हैं। इधर, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट की स्पीड लैंडिंग से पहले बढ़ी थी। इसलिए ओडिसियस ने मून का एक अतिरिक्त चक्कर लगाया था। एक चक्कर बढ़ने की वजह से लैंडिंग के समय में बदलाव हुआ। पहले यह भारतीय समय के मुताबिक सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था। लैंडिंग के पहले 19 मिनट तक होवरिंग (लैंडिंग वाली जगह के ऊपर घूमना) की गई।
51 साल बाद कोई अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरा
51 साल में पहली बार कोई अमेरिकी मिशन चांद पर उतरा है। इसके पहले 1972 में अपोलो 17 मिशन ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसके बाद अमेरिका ने साल 2022 में आर्टिमिस-1 मिशन को चांद पर रवाना किया था। लेकिन वह स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरा नहीं था। आर्टिमिस-1 ने चांद का चक्कर लगाया था। नासा के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए कोशिश करते रहेंगे। इसके तहत एस्ट्रोबोटिक कंपनी नवंबर 2024 में ग्रिफिन लैंडर को नासा के वाइपर रोवर के जरिए चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग के लिए लॉन्च करेगी।
पेरेग्रीन-1 मून मिशन फेल हुआ था
ओडिसियस मिशन अमेरिका का दूसरा प्राइवेट मिशन है। इसके पहले 8 जनवरी 2024 को अमेरिका ने अपना पहला प्राइवेट मून मिशन लॉन्च किया था। हालांकि अमेरिकी प्राइवेट कंपनी का पेरेग्रीन-1 लैंडर चांद पर नहीं उतर सका था। फ्यूल लीकेज और फेल बैटरी चार्जिंग की वजह से यह मिशन फेल हो गया था।
सबसे पहले भारत पहुंचा था साउथ पोल पर
भारत के चांद पर खोजबीन के लिए मिशन चंद्रयान लॉन्च किया था। चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कर इतिहास रच था। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन। चंद्रयान-3 ने 30 किलोमीटर की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा किया। शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा।