नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी सामने आने के बाद से राजनीतिक पार्टियों में बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस ने सोमवार को मोदी सरकार पर हफ्ता वसूली का आरोप लगाया। कांग्रेस ने इसे पीएम हफ्ता वसूली योजना नाम दिया है।
कांग्रेस ने दावा किया कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दान देने वालों में 21 फर्म ऐसी हैं, जिन्होंने सीबीआई, ईडी या इंकम टैक्स की जांच का सामना किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हर दिन चुनावी बॉन्ड घोटाले का सच सामने आ रहा है।
जयराम रमेश एक्स पर एक लंबी पोस्ट की सीरीज लिख रहे हैं। इसमें इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले में भ्रष्टाचार के तरीकों के बारे में लिखा जा रहा है। रमेश 4 तरीकों में चंदा दो धंधा लो, हफ्ता वसूली, ठेका लो रिश्वत दो और फर्जी कंपनी का जिक्र कर रहे हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कैम कितना बड़ा है यह लगातार स्पष्ट होता जा रहा है। हर गुजरते दिन के साथ इससे जुड़े चौंकाने वाले उदाहरण सामने आ रहे हैं। आज, हम इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले में भ्रष्टाचार के चार तरीकों में से दूसरे, प्रधानमंत्री हफ्ता वसूली योजना पर फोकस कर रहे हैं।
घोटाले के लिए मोदी-शाह जिम्मेदार
जयराम रमेश ने अपनी पोस्ट में कहा कि चुनावी बॉन्ड घोटाले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं। उनसे ही पूछा जाना चाहिए कि सरकार ने चुनावी चंदा हासिल करने के लिए बदले की भावना से काम क्यों किया। इन दोनों ने ही इस योजना के जरिए भाजपा के खातों में काला धन भेजने की साजिश रची थी।
एसबीआई और ईसीआई ने शेयर की इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनावी बॉन्ड के अधिकृत विक्रेता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च को चुनाव पैनल के साथ डेटा साझा किया। एसबीआई ने कहा कि 1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच दानदाताओं ने अलग-अलग कैटेगरी के कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिनमें से 22,030 राजनीतिक दलों ने कैश कराए।हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। कोर्ट ने 21 मार्च को एसबीआई को हलफनामा और इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी शेयर करने का आदेश दिया है।