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0 बिहार सहित 4 राज्यों में कम बारिश

नई दिल्ली/भोपाल/रायपुर। मौसम एजेंसी स्काईमेट ने मंगलवार को बताया कि इस बार मानसून सामान्य रहेगा। यानी जून से सितंबर तक 4 महीने में औसत या सामान्य बारिश होगी। मौसम विभाग (आईएमडी) 96 से 104 फीसदी के बीच बारिश को औसत या सामान्य मानता है। यह फसलों के लिए अच्छा संकेत है।
मानसून आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल के रास्ते आता है। 4 महीने की बरसात के बाद यानी सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते मानसून की वापसी होती है। हालांकि आईएमडी ने इस साल के लिए मानसून की भविष्यवाणी अब तक जारी नहीं की है। एजेंसी मई में इसे जारी कर सकती है।

23 राज्यों में बहुत अच्छी बारिश का अनुमान: राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, दादर एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव, लक्षद्वीप। 4 राज्यों में कम बारिश संभव: बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में जुलाई और अगस्त के दौरान। इसके बाद सामान्य बारिश होगी। 8 राज्यों में सामान्य से कम बारिश की संभावना: असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में जून और जुलाई के दौरान। इसके बाद सामान्य बारिश।

मानसून सीजन में एवरेज बारिश 868.6 मिलीमीटर
एजेंसी के मुताबिक, जून से सितंबर तक चलने वाले 4 महीने के मानसून सीजन के लिए लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) 868.6 मिलीमीटर (86.86 सेमी) है। यानी मानसून सीजन में कुल इतनी बारिश होनी चाहिए। स्काईमेट के एमडी जतिन सिंह ने कहा कि मानसून की शुरुआत में अल नीनो की वजह से बारिश कम हो सकती है। धीरे-धीरे यह सामान्य होगा। केंद्र सरकार के अर्थ साइंस मंत्रालय ने देश में सामान्य बारिश के लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) को साल 2022 में अपडेट किया। इससे अनुसार 87 सेंटीमीटर बारिश को सामान्य माना जाता है। 2018 में यह 88 सेंटीमीटर था। एलपीए में चार फीसदी घट-बढ़ को सामान्य माना जाता है।

इकोनॉमी के लिए अच्छी बारिश जरूरी
देश में सालभर में होने वाली कुल बारिश का 70% पानी मानसून के दौरान ही बरसता है। देश में 70% से 80% किसान फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर हैं। यानी मानसून के अच्छे या खराब रहने से पैदावार पर सीधा असर पड़ता है। अगर मानसून खराब हो तो फसल कम पैदा होती है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 20% है। वहीं, देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र ही रोजगार देता है। अच्छी बारिश का मतलब है कि खेती से जुड़ी आबादी को फेस्टिव सीजन से पहले अच्छी आमदनी हो सकती है। इससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ती है, जो इकोनॉमी को मजबूती देती है।

अल नीनो क्या होता है
अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है। इसमें समुद्र का तापमान 3 से 4 डिग्री बढ़ जाता है। इसका प्रभाव 10 साल में दो बार होता है। इसके प्रभाव से ज्यादा बारिश वाले क्षेत्र में कम और कम बारिश वाले क्षेत्र में ज्यादा बारिश होती है। भारत में अल नीनो के कारण मानसून अक्सर कमजोर होता है। जिससे सूखे की स्थिति बनती है।