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0 फिलीपींस को पहली खेप सौंपी, साउथ चाइना सी में तैनात होंगी 

नई दिल्ली। भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की पहली खेप शुक्रवार (19 अप्रैल) को सौंप दी। ब्रह्मोस पाने वाला फिलीपींस पहला बाहरी देश है। भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की बिक्री के लिए 375 मिलियन डॉलर (3130 करोड़ रुपए) की डील की थी। भारत ने फिलीपींस को कितनी मिसाइलें दीं, अभी इसका पता नहीं चला है।

इंडियन एयरफोर्स ने सी-17 ग्लोब मास्टर विमान के जरिए इन मिसाइलों को फिलीपींस मरीन कॉर्प्स को सौंपा। इन मिसाइलों की स्पीड 2.8 मैक और मारक क्षमता 290 किमी है। एक मैक ध्वनि की गति 332 मीटर प्रति सेकेंड होती है। फिलीपींस को सौंपी गई मिसाइल की स्पीड ध्वनि की गति से 2.8 गुना ज्यादा है। फिलीपींस को उस समय मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी मिली है, जब उसके और चीन के बीच साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ा हुआ है। फिलीपींस ब्रह्मोस के 3 मिसाइल सिस्टम को तटीय इलाकों (साउथ चाइना सी) में तैनात करेगा, ताकि चीन के खतरे से निपटा जा सके।

ब्रह्मोस के हर एक सिस्टम में दो मिसाइल लॉन्चर, एक रडार और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर होता है। इसके जरिए सबमरीन, शिप, एयक्राफ्ट से दो ब्रह्मोस मिसाइलें 10 सेकेंड के अंदर दुश्मन पर दागी जा सकती है। इसके अलावा भारत फिलीपींस को मिसाइल ऑपरेट करने की भी ट्रेनिंग देगा। ​​​​

फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइलें क्यों खरीदी?
फिलीपींस की चीन के साथ हाल ही में साउथ चाइना सी में कई बार झड़प हुई है। ब्रह्मोस मिसाइलों से समुद्र में फिलीपींस की ताकत बढ़ेगी और समुद्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को भी रोका जा सकेगा।

डील से भारत को होने वाले फायदे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलीपींस के साथ यह डील देश को रक्षा क्षेत्र में एक्सपोर्टर बनाने और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने में मदद देगी। ​​​​इस डील से मिलिट्री इंडस्ट्री का भी मनोबल बढ़ेगा और साउथ-ईस्ट एशिया में भारत को भी एक बड़ा भरोसेमंद एक्सपोर्टर के रूप में देखा जाएगा। साथ ही इस डील से भारत-फिलीपींस के रिश्तों में मजबूती आएगी और चीन को दोनों देशों की एकजुटता का संदेश जाएगा।

अर्जेंटीना-वियतनाम में भी ब्रह्मोस मिसाइल की मांग
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के डायरेक्टर जनरल अतुल दिनाकर राणे ने जून 2023 में कहा था- अर्जेंटीना, वियतनाम सहित 12 देश ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को खरीदने में इंटरेस्ट दिखा चुके हैं। बाहरी देशों की ब्रह्मोस की मांग बताती है कि यह मिसाइल सिस्टम बहुत भरोसेमंद है।