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0 स्थगन अग्राह्य होते ही मचा हंगामा, नारेबाजी के बीच कार्यवाही हुई स्थगित 

रायपुर। विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को बलौदाबाजार हिंसा मामले पर सदन में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव की ग्राह्यता पर चर्चा के दौरान पक्ष-विपक्ष में तीखी नोक-झोंक हुई। विधानसभा अध्यक्ष के स्थगन को अग्राह्य करते ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। आखिरकार विपक्ष के नारेबाजी और हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

चर्चा के दौरान नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की आस्था, प्रतीक को तोड़ने का काम किया है। प्रदेश की समरसता और भाईचारा को खत्म करने का षड्यंत्र हुआ है। राज्य की शांति भंग हुई है। हिंसा का वातावरण बना है। समाज को बांटने का काम हुआ है। मेरी जानकारी के मुताबिक कई संगठनों से अब तक 168 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। हम सदन के माध्यम से यह जानना चाहते हैं कि कौन ऐसे लोग जो छत्तीसगढ़ की सद्भावना को मिटाना चाहते हैं। हम इस पर चर्चा की मांग करते हैं।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बलौदाबाजार की कंपोज़िट बिल्डिंग में आगजनी की गई। सतनामी समाज के जैतखंभ को नुक़सान पहुंचाने से विवाद शुरू हुआ। सतनामी समाज के आक्रोश के बाद एफआईआर दर्ज की गई। बिहार के तीन मज़दूरों को गिरफ़्तार किया गया। समाज में आक्रोश बढ़ता गया। समाज ने कहा कि कोई व्यक्ति सिर्फ़ मज़दूरी नहीं मिलने से जैतखंभ को नुक़सान नहीं पहुंचा सकता। समाज ने सीबीआई जांच की मांग की। पूर्व मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि समाज ने आंदोलन की अनुमति मांगी थी. राज्य के बाहर से भी लोग आये. नागपुर से भी लोग पहुंचे। दस हज़ार से ज़्यादा लोग जुटे थे। एसपी-आईजी, कलेक्टर कोई मौजूद नहीं था। सभा स्थल पर ज्ञापन लेने कोई अधिकारी नहीं आया। एसपी-कलेक्टर की भूमिका संदेहास्पद है। भोजन और टेंट की व्यवस्था कलेक्टर ने की थी। भूपेश बघेल ने कहा कि 15 मई से 10 जून तक का वक़्त बड़ा होता है। समाज के आक्रोश को कम किया जा सकता था। देश के इतिहास में कभी कलेक्टर कार्यालय में आगज़नी नहीं हुई। ये घटना एक धब्बा है। सफ़ेद कपड़ा पहने लोगों को पुलिस ने उठाया। दुर्भावना में पुलिस काम कर रही है। भाजपा विधायक मोतीलाल साहू का भतीजा भी सिर्फ़ इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने सफ़ेद कपड़ा पहना था।

कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने कहा कि शैलेंद्र बंजारे नाम के युवा को पुलिस ने उठाया। वह घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं था। फिर भी उसे हिरासत में लिया गया। इसी तरह हिरासत में लेने दीपक मीरी के घर पुलिस पहुंची। तीन महीने पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। भाजपा ने षड्यंत्रपूर्वक लोगों को हिरासत में लिया है।

कांग्रेस विधायक कविता प्राणलहरे ने कहा कि एक बिहारी को मुजरिम बनाकर ला कर खड़े कर दिया गया। आंदोलन हुआ तो हज़ारों की भीड़ में पाँच सौ पुलिस भी नहीं थी। हम सदन में न्याय की मांग करते हैं। वहीं पूर्व मंत्री अनिल भेड़िया ने कहा कि निर्दोष लोगों को मुजरिम बनाकर जेल भेजा जा रहा है। पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि हम नारा लगाते हैं कि सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया, लेकिन बलौदाबाज़ार का कलेक्टर ऑफिस भी सुरक्षित नहीं। कलेक्टर-एसपी इस घटना के जिम्मेदार हैं। साय सरकार ने दोनों को निलंबित कर दिया। इन लोगों को जेल भेज देना चाहिए। कांग्रेस विधायक द्वारिकाधीश यादव ने कहा कि अंग्रेजों की पुलिस जिस तरह से काम करती थी, वैसा ही काम पुलिस ने किया है।

40 पुलिस कर्मचारी घायल हुए, 14 केस दर्ज हुए हैं
इस पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह कहना गलत कि अमरगुफा घटना पर करवाई नहीं हुई। यह भी कहना गलत कि ज्ञापन लेने अधिकारी मौजूद नहीं थे। 40 पुलिस कर्मचारी घायल हुए, 14 केस दर्ज हुए हैं। गृह मंत्री के वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य किया।

चंद्राकर ने कानून व्यवस्था का मामला उठाया
इससे पहले भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि इसी सदन में खाद्य विभाग के सवाल को न्यायालय में लंबित होने के आधार पर नहीं सुना गया था। बलौदाबाजार की घटना पर न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है। ऐसे में इस मामले को सदन में उठाये जाने पर आसंदी अपनी व्यवस्था दें।
भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि न्यायिक जांच आयोग का जांच का दायरा काफ़ी विस्तृत होता है। हाईकोर्ट के जस्टिस की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है। कंडिका 7 में लिखा गया है कि ऐसे मामलो की चर्चा नहीं हो सकती, जो न्यायालय में लंबित है।
इस पर भूपेश बघेल ने कहा कि नियमों में यह स्पष्ट है कि अध्यक्ष अपने विवेक से अनुमति दे सकते हैं। अध्यक्ष की अनुमति से न्यायालय में प्रक्रियाधीन विषय पर चर्चा की जा सकती है। जांच आयोग का क्षेत्र सीमित है। बलौदबाजार की घटना में कलेक्टर कार्यालय, एसपी कार्यालय में आगज़नी हुई। तोड़फोड़ किया गया। पहले भी न्यायिक और अर्ध न्यायिक प्रकरणों पर सदन में चर्चा होती रही है। इस पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि घटना घटी ही क्यों? इसकी पृष्ठभूमि की चर्चा भी आएगी। घटना से संबंधित सभी विषय जांच में आएंगे, इसलिए सदन की परंपरा को ध्यान में रखते हुए इस पर चर्चा नहीं कराई जाई। कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव ने कहा कि झीरम घाटी, नसबंदी कांड पर न्यायिक जांच गठित की गई थी, लेकिन उस पर भी सदन में चर्चा की गई थी।

गर्भ गृह में आकर विपक्षी नेताओं ने की नारबाजी, निलंबित
विपक्षी सदस्यों ने बलौदाबाजार हिंसा पर स्थगन प्रस्ताव लाया। इस पर चर्चा के बाद स्पीकर ने कहा कि कार्रवाई आगे बढ़ गई और अब इस विषय पर चर्चा नहीं हो सकती है। किसी दूसरे माध्यम से इस विषय पर चर्चा कर लें, लेकिन विपक्षी सदस्य नहीं मानें और स्थगन पर चर्चा की मांग पर अड़े रहे। इसके बाद सदन में दोनों पक्षों के बीच जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के बीच वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अनुपूरक बजट पेश किया। अनुपूरक बजट में सदन पर कल होगी चर्चा। भारी हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी। नारेबाजी करते हुए विपक्षी सदस्य गर्भगृह में आ गए और मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से की इस्तीफे की मांग करने लगे। विपक्षी नेता सदन के गर्भगृह में आकर नारेबाजी करने लगे। जिसके बाद विधानसभा स्पीकर डॉ रमन सिंह ने गर्भगृह में प्रवेश करने वाले सदस्यों को निलंबित कर दिया। स्पीकर ने नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, उमेश पटेल समेत कई कांग्रेस के सदस्यों को निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद भी कांग्रेसी विधायक नहीं मानें और लगातार गर्भगृह में नारेबाजी करते रहे।