Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0 शूटिंग में मेडल दिलाने वाली पहली महिला
पेरिस। पेरिस ओलिंपिक्स में भारतीय शूटर मनु भाकर ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने विमेंस 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता। ओलिंपिक के इतिहास में शूटिंग में मेडल दिलाने वाली मनु पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने फाइनल में 221.7 पॉइंट्स के साथ कांस्य जीता।

2021 के टोक्यो ओलिंपिक में मनु की पिस्टल खराब हो गई थी। 20 मिनट तक वे निशाना नहीं लगा पाईं। पिस्टल ठीक हुई, तब भी मनु सिर्फ 14 शॉट लगा पाईं और फाइनल की रेस से बाहर हो गईं थीं। मनु निराश थीं लेकिन उन्होंने वापसी की और पेरिस ओलिंपिक्स में भारत को मेडल दिलाया।

इस इवेंट में कोरिया की ओह ये जिन ने गोल्ड जीता। उन्होंने 243.2 पॉइंट स्कोर करके ओलिंपिक रिकॉर्ड बनाया। कोरिया की ही किम येजी ने सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने 241.3 पॉइंट बनाए।

शूटिंग में 12 साल बाद मेडल दिलाया
मनु भाकर ने भारत को ओलिंपिक में 12 साल बाद शूटिंग का मेडल दिलाया है। भारत को इस खेल में आखिरी ओलिंपिक मेडल 2012 में मिला था। यह शूटिंग में भारत का अब तक का 5वां मेडल है। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 2004 में सिल्वर, अभिनव बिंद्रा ने 2008 में गोल्ड और 2012 में विजय कुमार ने सिल्वर और गगन नारंग ने ब्रॉन्ज जीता था।

मनु बोलीं- गीता पढ़ने से मदद मिली
जीत के बाद मनु ने कहा कि मैं गीता बहुत पढ़ती हूं। इससे फोकस करने में मदद मिलती है। आज के मैच में मैंने आखिर तक टारगेट पर फोकस किया। मैं खुश हूं। भारत इससे ज्यादा डिजर्व करता है। उम्मीद है कि बाकी इवेंट में भारत और मेडल जीतेगा।

पीएम मोदी ने दी बधाई
मनु भाकर के ब्रॉन्ज जीतने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी। उन्होंने एक्स पोस्ट पर लिखा कि 'यह एक खास जीत है। मनु भाकर शूटिंग में मेडल जीतने वाली पहली महिला बनी हैं...शानदार उपलब्धि।

टोक्यो में मेडल चूका तो शूटिंग छोड़ने वाली थीं मनु
फरीदाबाद। ये 2021 के टोक्यो ओलिंपिक की बात है। उस वक्त नंबर वन शूटर रहीं मनु भाकर क्वालिफाइंग राउंड में थीं। मनु को 55 मिनट में 44 शॉट लेने थे। तभी उनकी पिस्टल खराब हो गई। 20 मिनट तक वे निशाना नहीं लगा पाईं। पिस्टल ठीक हुई, तब भी मनु सिर्फ 14 शॉट लगा पाईं और फाइनल की रेस से बाहर हो गईं। मनु भारत लौटी तो इतनी उदास थीं कि मां को फिक्र होने लगी। उन्होंने मनु की पिस्टल छिपा दी, ताकि उस पर नजर न पड़े और मनु दुखी न हो। मां सुमेधा कहती हैं, मैं मनु का मैच नहीं देख पाई थी। बाद में उसका वीडियो देखा तो बहुत दुख हुआ। मुझे लगा कि जब मैं दुखी हो रही हूं, तो मनु की क्या हालत हो रही होगी। हरियाणा के झज्जर की रहने वालीं उसी मनु भाकर ने भारत को पेरिस ओलिंपिक में पहला मेडल दिला दिया है। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल की विमेंस कैटेगरी में ब्रॉन्ज जीता। वे शूटिंग में ओलिंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी हैं। उन्होंने फाइनल इवेंट में 221.7 पॉइंट्स लेकर तीसरा स्थान हासिल किया, मनु पॉइंट वन से सिल्वर मेडल चूक गईं। मनु ने क्वालिफाइंग इवेंट में 600 में से 580 पॉइंट्स हासिल किए और 45 शूटर्स में तीसरे नंबर पर रहीं।

मां डॉक्टर बनाना चाहती थीं, टीचर ने कहा डॉक्टर को कौन जानेगा
मनु की मां डॉ. सुमेधा भाकर स्कूल प्रिंसिपल रही हैं। वे चाहती थीं कि बेटी डॉक्टर बने। स्कूल के फिजिकल टीचर ने मनु को स्पोर्ट्स में डालने के लिए कहा। टीचर ने कहा कि डॉक्टर को कौन जानेगा, अगर मनु देश के लिए मेडल जीतेगी, तो पूरी दुनिया उसे जानेगी। डॉ. सुमेधा को फिजिकल टीचर की सलाह ठीक लगी। यहीं से मनु की स्पोर्ट्स जर्नी शुरू हो गई।

बॉक्सिंग से शुरुआत की, आंख में चोट लगी तो छोड़ दी
मनु के पिता रामकिशन उन्हें बॉक्सर बनाना चाहते थे। मनु के बड़े भाई बॉक्सिंग करते थे। इसलिए मनु भी बॉक्सिंग करने लगीं। नेशनल स्तर पर मेडल भी जीते। एक दिन प्रैक्टिस करते वक्त मनु की आंख में चोट लग गई। आंख बुरी तरह सूज गई। चोट लगने के बाद मनु ने बॉक्सिंग छोड़ने का मन बना लिया। इसमें मां का भी पूरा साथ मिला। मां ने मनु के पापा से साफ कह दिया कि जिस गेम में बेटी को चोट लगे, वो गेम नहीं खिलाएंगी। उसके बाद मनु ने बॉक्सिंग छोड़ दी और मार्शल आर्ट्स में हाथ आजमाया। यहां मनु को लगा कि इस गेम में चीटिंग होती है। उन्होंने मार्शल आर्ट भी छोड़ दिया। आर्चरी, टेनिस, स्केटिंग की प्रैक्टिस शुरू की, मेडल भी जीते, लेकिन किसी में मन नहीं लगा।

 

 

tranding
tranding
tranding