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नई दिल्ली। नवीन और नवीनीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को राज्यसभा में विश्वास व्यक्त किया कि केंद्र और राज्यों के सहयोग से वर्ष 2030 तक नवीनीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 500 गीगावॉट बिजली बनाने का लक्ष्य पूरा होगा।
श्री जोशी ने सदन में नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय के कार्यो पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि सरकार निरंतर वर्ष 2030 तक गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से 500 गीगावॉट बिजली बनाने का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों से 70 गीगावॉट बिजली बनाई जाती थी जो अब 203 गीगावॉट तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों से इस क्षेत्र में निवेश लगातार बढ़ रहा है और सरकार के आवंटन में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि नवीनीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सरकार ने ऑटोमेटिक रूट से निवेश की अनुमति दी है। इस वर्ष के बजट में नवीनीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का आवंटन 21000 करोड रुपए रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीनीकरण ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। श्री जोशी के उत्तर के दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
उन्होंने कहा कि नवीनीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार ने विभिन्न योजनाएं चलाई है और उन पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री कुसुम योजना, प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नवीनीकरणीय ऊर्जा का क्षेत्र सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, जैव ऊर्जा और अपतटीय ऊर्जा तक फैला है। सरकार ने इस क्षेत्र में गुणवत्ता युक्त उपकरण बनाने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना भी शुरू की है जिसका अच्छा प्रतिदान मिला है।
श्री जोशी ने कहा कि नवीनीकरणीय ऊर्जा से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटा जा सकता है तथा रोजगार के अवसर सृजित करने के साथ-साथ विदेशों पर ईंधन की निर्भरता भी समाप्त होती है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नवीनीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त बिजली सस्ती होती है। लद्दाख समेत विभिन्न क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। अपतटीय ऊर्जा की पहली परियोजना तमिलनाडु में लगाई जा रही है। कुसुम योजना में कर्नाटक और तेलंगाना अग्रणी रहे हैं। इसके अलावा सभी राज्यों से इसके लिए आवेदन मिल चुके हैं। सरकार अभी तक इस योजना पर और 430 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे चुकी है। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। यह योजना किसानों की सहायता के लिए है और इसके अंतर्गत खेतों में सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप लगाए जाते हैं।
उन्होंने राज्यों से सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि यह मंत्रालय भविष्य की पीढियों का सुरक्षित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के अधिकारी परामर्श बैठकों में नहीं आते हैं। राज्य को एक सौर ऊर्जा पार्क दिया गया है जिस पर अभी तक काम नहीं शुरू हुआ है। उन्होंने सदस्यों से विदेश की बजाय अपने देश की उपलब्धि देखने का आह्वान करते हुए कहा कि नवीनीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का चौथा स्थान है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का मुख्यालय भारत में है।