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0 पीएम मोदी ने " मन की बात " की 115वीं कड़ी में लोगों को किया आगाह 
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम जनता को साइबर फ्राॅड के प्रति आगाह करते हुए रविवार को कहा कि इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं।
श्री मोदी ने रेडियो पर अपने मासिक कार्यक्रम " मन की बात " की 115वीं कड़ी में आज कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है। यह सिर्फ धोखाधड़ी, फरेब और झूठ है। उन्होंने कहा कि यह बदमाशों का गिरोह है और ऐसा करने वाले समाज के दुश्मन हैं । डिजिटल अरेस्ट के नाम पर जो फरेब चल रहा है, उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसियां, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं । इन एजेंसियों में तालमेल बनाने के लिए " राष्ट्रीय साइबर कॉर्डिनेशन सेंटर की स्थापना" की गई है ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एजेंसियां काम कर रही हैं, लेकिन डिजिटल अरेस्ट के नाम पर हो रही धोखाधड़ी से बचने के लिए हर किसी की जागरूक रहना जरूरी ।
जो लोग भी इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार होते हैं, उन्हें ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को इसके बारे में बताना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि आप जागरूकता के लिए हैशटैग सेफ़डिजिटलइंडिया का प्रयोग कर सकते हैं।मैं स्कूलों और कॉलेजों को भी कहूँगा कि साइबर अपराध के खिलाफ मुहिम में छात्रों को भी जोड़ें। समाज में सबके प्रयासों से ही हम इस चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं।”
श्री मोदी ने डिजिटल अरेस्ट पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे बचने के लिये तीन चरणों रुको, सोचो और कार्रवाई करो पर अमल किया जाना चाहिए।
उन्होंने साइबर के नये अपराध से लोगों को परेशान होने पर चिंता व्यक्त करते हुए एक ऑडियो रिकार्डिंग सुनायी। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट की धोखाधड़ी में फ़ोन करने वाले पुलिस, केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नारकोटिक्स ‌और आरबीआई की भांति-भांति के‌ भेष में बनावटी अधिकारी बनकर बात करते हैं और बड़े आत्मविश्वास के साथ करते हैं । उन्होंने कहा इसके बारे में समझना बहुत जरूरी है औरों को भी समझना उतना ही आवश्यक है ।
श्री मोदी ने साइबर अपराध के तौर तरीकों का उल्लेख करते हुए कहा,"कभी भी इस तरह का कोई फ़ोन आए तो आपको डरना नहीं है।आप को पता होना चाहिए कोई भी जांच एजेंसी, फ़ोन या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ कभी भी नहीं करती हैं।”
श्री मोदी ने डिजिटल सुरक्षा के तीन चरणों का उल्लेख करते हुए कहा, " रुको-सोचो-एक्शन लो। फ़ोन आते ही, ‘रुको’ - घबराएं नहीं, शांत रहें, जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं, किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें, संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें।इसके बाद आता है, दूसरा चरण, पहला चरण था ‘रुको’, दूसरा चरण है ‘सोचो’।कोई भी सरकारी एजेंसी फ़ोन पर ऐसे धमकी नहीं देती, न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है, न ही ऐसे पैसे की मांग करती है - अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है।” उन्होंने कहा कि साइबर अपराध की स्थिति में राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर फोन करना चाहिए और साइबरक्राइम डॉट गोव डॉट इन पर रिपोर्ट करना चाहिए। इसके अलावा, परिवार और पुलिस को सूचित करना चाहिए और सबूत सुरक्षित रखना चाहिए ।