नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह को कथित तौर पर ‘हत्या का आरोपी’ कहने के एक पुराने मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड की एक निचली अदालत में चल रही मानहानि मुकदमे की कार्यवाही पर सोमवार को अगले आदेश तक रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने लोकसभा में विपक्ष के नेता श्री गांधी की याचिका पर उन्हें यह राहत दी और झारखंड सरकार के साथ शिकायतकर्ता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ता नवीन झा को नोटिस जारी किया।
पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि नोटिस जारी करें। अगले आदेश तक ट्रायल कोर्ट के समक्ष सभी कार्यवाहियों पर रोक रहेगी।
झारखंड उच्च न्यायालय ने श्री गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत शुरू की गई कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने रांची की एक मजिस्ट्रेट अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें मुकदमे के लिए व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया था।
शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने दलील दी कि इस मामले से शिकायतकर्ता का कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि पीड़ित व्यक्ति (श्री शाह) ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है। उन्होंने शीर्ष अदालत के पिछले फैसले का हवाला दिया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि केवल पीड़ित व्यक्ति ही मानहानि की शिकायत दर्ज करा सकता है।
यह याचिका भाजपा कार्यकर्ता नवीन झा द्वारा दायर की गई गई थी, जिसमें 18 मार्च, 2018 को राहुल गांधी द्वारा कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने समेत (भाजपा) पार्टी नेताओं को ‘झूठा’ और ‘सत्ता के नशे में चूर’ कहने पर उनके (राहुल के) खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
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