0 इनमें 1 करोड़ के इनामी नक्सली समेत कई कमांडर ढेर
0 ड्रोन से निगरानी के साथ फायरिंग जारी
0 1 हजार जवान ने 60 नक्सलियों को घेरा
गरियाबंद। छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा से लगे गरियाबंद जिले में सुरक्षा बलों ने 36 घंटे से ज्यादा चले इस ऑपरेशन में 27 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराए हैं। 16 नक्सलियों के शव और हथियार भी बरामद कर लिए गए हैं। इनमें 1 करोड़ का इनामी जयराम उर्फ चलपति समेत कई कमांडर भी मारे गए हैं। मुठभेड़ अभी भी जारी है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार किसी सीसी मेंबर के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर है।
रविवार रात को छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर से जॉइंट ऑपरेशन चलाया गया था। सोमवार को भालू डिग्गी जंगल में दिनभर रुक-रुककर फायरिंग हुई जो मंगलवार को भी जारी है। करीब 1000 जवानों ने 60 नक्सलियों को घेर रखा है। ड्रोन से भी निगरानी रखी जा रही है।
मुठभेड़ के बीच बैकअप पार्टी भी भेजी गई है। बताया जा रहा है कि पहले फोर्स का 15-20 किमी का घेरा था, अब नक्सली 3 किमी में सिमट गए हैं। घेरे गए सभी 60 नक्सलियों को मारे जाने की भी संभावना है। वहीं, एक जवान घायल हुआ हैं, जिसे एयरलिफ्ट करके रायपुर लाया गया। एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) जवान के पैर में गोली लगी है।
गरियाबंद एसपी निखिल राखेचा, ओडिशा के नुआपाड़ा एसपी राघवेंद्र गूंडाला, ओडिशा डीआईजी नक्सल ऑपरेशन अखिलेश्वर सिंह और कोबरा कमांडेंट डीएस कथैत ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
इस आपरेशन में सीसी मेंबर जयराम उर्फ चलपती मारा गया है। वह ओडिशा कैडर का नक्सली था, जो छत्तीसगढ़ में मारा गया। सीसी मेंबर का मारा जाना नक्सली ऑपरेशन के इतिहास में पहली बड़ी घटना है। उसके ऊपर करोड़ रुपये से ज्यादा का इनाम था। इसे छत्तीसगढ़-ओडिशा पुलिस को बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस मुठभेड़ में आधुनिक हथियार भी बरामद किए गए हैं।
छत्तीसगढ़ में बस्तर के बाद अब गरियाबंद जिले में नक्सलियों को बड़ी चोट लगी है। यहां सुरक्षाबलों ने 36 घंटे में अब तक 27 नक्सलवादियों को मार गिराया है। पुलिस अफसरों ने बताया कि छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर मैनपुर थाना क्षेत्र के कुल्हाड़ीघाट जंगल में मुठभेड़ हुई, जिसमें ये माओवादी मारे गए। इससे पहले सोमवार को मुठभेड़ में दो महिला नक्सली मारी गई थीं। वही सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन का एक जवान भी घायल हुआ था जिसे उपचार के लिए रायपुर भेजा गया।
पुलिस अफसरों ने बताया कि गरियाबंद ऑपरेशन ग्रुप ई30, कोबरा 207, सीआरपीएफ की 65 और 211 बटालियन व एसओजी नुआपाड़ा की संयुक्त टीम ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया। ओडिशा के नुआपाड़ा जिले की सीमा से लगभग 5 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के कुल्हाड़ीघाट रिजर्व वन में बड़ी संख्या में माओवादियों की मौजूदगी की जानकारी के आधार पर 19 जनवरी के शाम को ऑपरेशन शुरू किया गया था। 1000 जवानों ने 60 से ज्यादा नक्सलियों को घेरा था। मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार, गोलाबारूद और एक ‘सेल्फ लोडिंग’ राइफल मिली है। नक्सलियों के बारूदी सुरंग का भी पता चला था।रायपुर रेंज आईजी अमरेश मिश्रा ने बताया कि इस मुठभेड़ में कई शीर्ष नक्सलियों के मारे जाने की संभावना है।
सर्चिंग पर निकले जवानों पर किया हमला
छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर से जॉइंट ऑपरेशन चलाया गया था। इसमें 10 टीमें एक साथ निकली थीं। 3 टीम ओडिशा से, 2 टीम छत्तीसगढ़ पुलिस से और 5 सीआरपीएफ टीम इस ऑपरेशन में शामिल थीं। जवान क्षेत्र में सर्चिंग अभियान पर निकले थे, तभी नक्सलियों ने उन पर हमला किया। मुठभेड़ की सूचना मिलते ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी मैनपुर पहुंच गए हैं। सुरक्षा के लिहाज से भाटीगढ़ स्टेडियम को छावनी में तब्दील कर दिया है। इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए थे। वहीं, 3 आईईडी भी बरामद किए थे।
पहली बार ड्रोन का ऐसा इस्तेमाल
बस्तर में ड्रोन का प्रयोग मुठभेड़ के समय नहीं किया जा सका, क्योंकि जंगल इतने ज्यादा हैं कि कुछ भी दिखना संभव नहीं हो पाता। ड्रोन कैमरे से देखकर नक्सलियों को मारने का ये पहला प्रयोग है।
आंध्र प्रदेश का रहने वाला था जयराम उर्फ चलपति
जयराम रेड्डी उर्फ रामाचंद्रा रेड्डी उर्फ अप्पाराव उर्फ रामू आंध्र प्रदेश के चित्तूर के माटेमपल्ली का रहने वाला था। इसकी उम्र करीब 60 साल थी। इसने 10वीं तक की पढ़ाई की थी। वह सेंट्रल कमेटी मेंबर (सीसीएम) कैडर का था। चलपति बस्तर के अबूझमाड़ इलाके में भी सक्रिय था। एके-47, एसएलआर जैसी राइफल रखता था। इसकी सुरक्षा में भी करीब 8 से 10 गार्ड रहते थे। सूत्रों की मानें तो अबूझमाड़ में लगातार हो रही मुठभेड़ के बाद कुछ महीने पहले ही इसने अपना ठिकाना बदल दिया और गरियाबंद-ओडिशा बॉर्डर पर चला गया था। यह नक्सल संगठन में फ्रंटलाइन का लीडर था।
बस्तर की तरफ से गरियाबंद भाग रहे नक्सली
जिन नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, वो सेंट्रल कमेटी के हैं। ये नक्सलियों के टॉप लीडर होते हैं। गरियाबंद में अब तक डीवीसीएम (डिविजनल कमेटी मेंबर), एसीएम (एरिया कमेटी मेंबर) ही मूवमेंट करते थे, लेकिन पहली बार टॉप लीडरों की मौजूदगी इस तरफ दिखी है। इसका कारण हो सकता है कि बस्तर में अबूझमाड़ तक फोर्स के कैंप बन चुके हैं। अबूझमाड़ और पामेड़ ही नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना था, लेकिन लगातार एनकाउंटर से नक्सली गरियाबंध की तरफ भागे होंगे।
ऐसे चल रहा ऑपरेशन
0 पहले नक्सली जंगलों में थे। पेड़ों की आड़ से छिपकर फायरिंग कर रहे थे।
0 छत्तीसगढ़ की तरफ से फोर्स की तीन कंपनियां आगे बढ़ रही थीं। उधर, ओडिशा की तरफ से 7 कंपनी आगे बढ़ रही थीं।
0 अब नक्सली जंगल से निकलकर चट्टानों में घिर चुके हैं। यह खुला इलाका है।
0 जवानों के पास चार-पांच ड्रोन हैं। इन ड्रोन्स से देख-देखकर नक्सलियों को निशाना बनाया जा रहा है।
नक्सलवाद पर एक और करारा प्रहार है : शाह
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर संयुक्त अभियान में 27 नक्सलियों को मार गिराने के लिए सुरक्षा बलों की सराहना की है। श्री शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स परकहा कि यह “नक्सलवाद“ पर एक और करारा प्रहार है। हमारे सुरक्षा बलों ने नक्सल मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। सीआरपीएफ, एसओजी ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुलिस ने ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर संयुक्त अभियान में 27 नक्सलियों को मार गिराया। नक्सल मुक्त भारत के हमारे संकल्प और हमारे सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयासों से आज नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसें ले रहा है।
जवानों को मिली यह कामयाबी सराहनीयः सीएम साय
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि गरियाबंद जिले के मैनपुर थाना अंतर्गत कुल्हाड़ीघाट क्षेत्र में सुरक्षाबलों की नक्सलियों के साथ रविवार शाम से अब तक जारी मुठभेड़ में 27 से अधिक नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। मार्च 2026 तक देश-प्रदेश में नक्सलवाद के खात्मे के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प को मजबूती प्रदान करते हुए सुरक्षाबल के जवान निरंतर सफलता हासिल कर लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जवानों को मिली यह कामयाबी सराहनीय है। उनकी बहादुरी को सलाम करता हूं। हमारी डबल इंजन की सरकार में निश्चित ही हमारा छत्तीसगढ़ मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त होकर रहेगा।