Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल संगठनों की ओर से दोबारा आए शांति वार्ता के प्रस्ताव पर उपमुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सरकार नक्सलियों से बातचीत के लिए तैयार है। प्रदेश सरकार के पास नक्सलियों के पुनर्वास के लिए एक स्पष्ट और प्रभावी नीति है। उन्होंने नक्सलियों से अपील की कि वे हथियार छोड़कर सामने आएं और बातचीत का रास्ता अपनाएं। 
 
श्री शर्मा ने कहा कि अगर कोई एक व्यक्ति भी बातचीत के लिए तैयार है तो सरकार भी तैयार है। चाहे वह छोटा समूह हो या बड़ा, सरकार हर स्तर पर चर्चा के लिए तत्पर है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में की जा रही है।
श्री शर्मा ने यह भी कहा कि बंदूक के जवाब में केवल चर्चा नहीं की जा सकती, जरूरत पड़ने पर सरकार कड़ी कार्रवाई भी करेगी। उन्होंने नक्सल संगठन की ओर से आया पत्र ‘सही और प्रामाणिक’ बताते हुए कहा कि इसमें सरकार से बातचीत की अपील की गई है। नक्सल संगठन ने इस नोट में स्पष्ट किया है कि वे पुलिस जवानों को अपना दुश्मन नहीं मानते और बार-बार पोस्टरों एवं पर्चों के माध्यम से इसी संदेश को दोहराया है। श्री शर्मा ने कहा कि सरकार का मानना है कि शांति वार्ता के जरिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायित्व और विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। नक्सलियों से अपील की गई है कि वे किसी के इंतजार में समय न गंवाएं और वार्ता के लिए आगे आएं। 

प्रेस नोट में नक्सलियों ने कहा है कि हमें समझना होगा कि आपसी संघर्ष की स्थिति बनाई गई है। हम जनता और अपने कैडर को ही अपना मानते हैं, उन पर गोली न चलाई जाए। शांति वार्ता के हमारे प्रयास का समर्थन करें।
गौरतलब है कि केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार के 31 मार्च तक नक्सल समस्या को समाप्त किए जाने के प्रयासों से माओवादियों ने एक बार फिर से शांति का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो की ओर से रूपेश ने आठ अप्रैल की तारीख में सरकार से शांति वार्ता के लिए एक सशर्त प्रेस नोट जारी किया है।
इस प्रेस नोट में नक्सली संगठन ने साफतौर पर लिखा है कि हम सरकार से शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए अनुकूल वातावरण पहले बनना चाहिए। इस प्रेस नोट में कहा गया है कि शांति वार्ता के लिए सुरक्षा बलों की कार्रवाई रुकनी चाहिए। वार्ता एकपक्षीय न होकर दोनों तरफ से होनी चाहिए।