
लखनऊ/नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं , बल्कि यह भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
श्री सिंह ने रविवार को यहां ब्रह्मोस एकीकरण और परीक्षण सुविधा केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर अपने वर्चुअल संबोधन में इस ऑपरेशन को भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और सशस्त्र बलों की क्षमता तथा दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने भारत की धरती पर भारत विरोधी और आतंकवादी संगठनों के हाथों अपने प्रियजनों को खोने वाले निर्दोष परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित किया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है।” उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को इस बात का प्रमाण बताया कि जब भी भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो सीमा पार की जमीन भी आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए सुरक्षित नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि उरी घटना के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक और अब पहलगाम हमले के बाद कई स्ट्राइक के जरिए दुनिया ने देखा है कि अगर भारत की धरती पर आतंकी हमला होता है तो वह क्या कर सकता है। आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह नया भारत सीमा के दोनों ओर आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करेगा।
श्री सिंह ने कहा कि यह ऑपरेशन पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए शुरू किया गया था और इसमें निर्दोष नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया, लेकिन पाकिस्तान ने भारत में नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया और मंदिरों, गुरुद्वारों और चर्चों पर हमला करने की कोशिश की। उन्होंने कहा,“हमारे सशस्त्र बलों ने वीरता और संयम का परिचय दिया और पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर हमला करके मुंहतोड़ जवाब दिया। हमने न केवल सीमा से सटे सैन्य ठिकानों पर कार्रवाई की, बल्कि हमारे सशस्त्र बलों का आक्रोश रावलपिंडी तक पहुंच गया, जहां पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय स्थित है।”
ब्रह्मोस एकीकरण और परीक्षण सुविधा केंद्र पर रक्षा मंत्री ने कहा कि यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के प्रयासों को मजबूत करेगा और महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करके क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगा। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर उद्घाटन को एक ऐतिहासिक क्षण बताया, जो भारत की बढ़ती नवीन ऊर्जा को दर्शाता है और महत्वपूर्ण, उच्च अंत और अग्रणी प्रौद्योगिकियों में तेजी से वैश्विक परिवर्तन के साथ संरेखित करता है।
श्री सिंह ने ब्रह्मोस को न केवल दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक बताया, बल्कि यह भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत, विरोधियों के लिए निरोध का संदेश और अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए देश की अटूट प्रतिबद्धता का संदेश है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस भारत और रूस की शीर्ष रक्षा प्रौद्योगिकियों का संगम है।
भारत के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को उद्धृत करते हुए जिन्होंने कहा था कि ‘जब तक भारत दुनिया के सामने खड़ा नहीं होगा, कोई भी हमारा सम्मान नहीं करेगा। इस दुनिया में डर का कोई स्थान नहीं है, केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है’, रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आज सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है और केंद्र भारत की शक्ति को और मजबूत करने में मदद करेगा।
इस सुविधा को उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के लिए गौरव की बात बताते हुए, श्री सिंह ने कहा कि इसने पहले ही लगभग 500 प्रत्यक्ष और 1,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन किया है, जो रक्षा निर्माण केंद्र के रूप में राज्य की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का कॉरिडोर स्थापित करने का विजन राज्य को दुनिया के शीर्ष रक्षा उत्पादन और निर्यात गंतव्य के रूप में विकसित करने के लक्ष्य पर आधारित है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यूपीडीआईसी में अब तक 34,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के साथ कुल 180 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और 4,000 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही किया जा चुका है। विमान निर्माण, यूएवी, ड्रोन, गोला-बारूद, समग्र और महत्वपूर्ण सामग्री, छोटे हथियार, कपड़ा और पैराशूट आदि में बड़े पैमाने पर निवेश किया गया है। खास बात यह है कि इसमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी देखी जा रही है। लखनऊ में ही पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा टाइटेनियम और सुपर एलॉय मैटेरियल प्लांट शुरू किए जा रहे हैं। इसके अलावा, सात अतिरिक्त महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव रखी जा रही है। इससे रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की गति तेज होगी।
रक्षा मंत्री ने सरकार के 'मेक-इन-इंडिया, मेक-फॉर-द-वर्ल्ड' के दृष्टिकोण को दोहराया, इस बात पर जोर देते हुए कि आत्मनिर्भरता का मतलब न केवल भारत की अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करना है, बल्कि इसका मतलब देश को वैश्विक बाजार में रक्षा उपकरणों का एक प्रमुख निर्यातक बनाना भी है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए, जिसमें कहा गया है कि 2024 में वैश्विक सैन्य व्यय बढ़कर 2,718 अरब डॉलर हो गया है, उन्होंने कहा कि इतना बड़ा बाजार एक अवसर है जिसका भारत को लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस सुविधा का शुभारंभ भारत को दुनिया की रक्षा क्षमता में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।