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0 पूर्व सीएम बघेल का सवाल, याद दिलाया 1971

नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा होते ही देश में राजनीति तेज हो गई है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। इसके साथ ही उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। सोमवार को नई दिल्ली में मीडिया से चर्चा करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीति नहीं केवल राष्ट्रवाद होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सवाल उठाए।

भूपेश बघेल ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने कहा कि 26 लोगों की जान चली गई, क्या वो 4 या 5 आतंकवादी पकड़े गए? अगर वो पकड़े नहीं गए, तो आप कैसे कह सकते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा? चूक के लिए कौन जिम्मेदार है? लोग आपके (सरकार के) आश्वासन पर कश्मीर गए थे कि सब कुछ सामान्य है। लोग अपने परिवारों के साथ वहां गए और अपने प्रियजनों को खो दिया।"

विशेष सत्र बुलाने की मांग
भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार इस पूरे मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाती है। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद हमारी वीर सेना ने संकल्प और साहस के साथ दुश्मनों को जिस तरह से मुंहतोड़ जवाब दिया, वह पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का पल था। हमारे जवानों ने अनेक युद्धों में भारत की अखंडता को बचाया। 1971 के बाद इंदिरा गांधी ने दुनिया को दिखा दिया था कि भारत किसी के सामने भारत किसी के सामने झुकने वाला नहीं है। आज भी हमारी सेना उसी जज़्बे के साथ सीमा पर डटी हुई है। कांग्रेस पार्टी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। जब भी देश पर संकट आया, कांग्रेस पार्टी ने राजनीति को पीछे रखा और देशहित को प्रथम स्थान दिया। 1965 में लाल बहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा देकर देश को एक सूत्र में बांधा। 1971 में इंदिरा गांधी जी ने अमेरिका के दबाव को ठुकराकर पाकिस्तान को धूल चटा दी। आज भी हमारा वही संकल्प है। आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में राजनीति नहीं राष्ट्रवाद चाहिए। हमने उनसे सीखा है कि दुश्मन से बातचीत की मेज पर बैठें तो कमजोरी नहीं ताकत दिखाएं। 1971 में हमने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को घुटने पर ला दिया था, लेकिन आज सरकार से पूछा जाए कि क्या अमेरिका के दबाव में हमने अपनी नीति बदल दी है?

बीजेपी पर बोला हमला
उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में कांग्रेस ने अपने राजनीतिक कार्यक्रम रद्द किए। ‘संविधान बचाओ रैली’ जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम को स्थगित किया ताकि देश में एकजुटता का संदेश जाए। हमने ‘जय हिंद यात्रा’ निकाली ताकि सेना का मनोबल बढ़े और जनता आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो। हमने सरकार से कहा कि कितना भी बड़ा संकट आए, कांग्रेस आपके साथ है। लेकिन जब पूरा देश सेना के साथ खड़ा था तो बीजेपी के नेता ट्विटर पर बीजेपी और यूपीए की तुलना कर इसे राजनीति का रंग दे रहे थे। बीजेपी के नेता सेना की बहादुरी को अपनी उपलब्धि बता रहे थे। सवाल है- क्या सेना के बलिदान को चुनावी बयानबाजी में इस्तेमाल करना उचित है? एक बीजेपी नेता ने ट्वीट किया कि कांग्रेस के समय आतंकियों को माफी दी जाती थी और नरेंद्र मोदी ने सबक सिखाया- यह झूठ है। हमारा स्पष्ट संदेश रहा है कि भारत की एकता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक तरफ- कांग्रेस पार्टी ने पूरे देश में 'जय हिंद यात्रा' निकाली, जो सशस्त्र बलों के पराक्रम को सलाम करने और आतंकी हमले के पीड़ितों के प्रति श्रद्धांजलि देने की मुहिम थी। दूसरी तरफ- बीजेपी राष्ट्र संकट वाली स्थिति में भी राजनीति करती रही, लेकिन कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ खड़ी रही, क्योंकि हम देशहित की बात करते हैं।

सरकार से मांग
भूपेश बघेल ने कहा कि देश को क्या जानने का हक है कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने अचानक सीजफायर की घोषणा की, क्या यह भारत सरकार की कूटनीतिक नाकामी नहीं है? क्या भारत ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार कर लिया है? हमने सीजफायर में पाकिस्तान से क्या वादे लिए हैं, देश के लोगों को यह भी जानने का हक है। क्या हमने ट्रंप के बयान से मध्यस्थता स्वीकार कर ली? क्या शिमला समझौता अब रद्द हो गया? इसका जवाब देना चाहिए।