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0 9 से 15 साल तक के बालक-बालिकाओं को वैक्सीनेशन जरूरी   
0 एचपीवी-कैंसर पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन की हुई शुरुआत 
 0 रायपुर चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों ने इस अभियान को दिया समर्थन 

रायपुर। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा पूरे देश में चलाए जाने वाले पब्लिक हेल्थ इनिशिएटिव के सिलसिले में रायपुर में कॉनकर एचपीवी एंड कैंसर कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन किया गया। रायपुर के प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने इस अभियान को अपना समर्थन दिया। साथ ही उन्होंने इस बीमारी की रोकथाम के लिए 9 से 15 साल तक के बालक-बालिकाओं को वैक्सीनेशन कराने पर जोर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि एचपीवी एक वायरल वायरस है, जो शारीरिक रूप से संपर्क में आने पर दूसरे में फैल सकता है। 
 
रायपुर के कार्यक्रम में चिकित्सा विशेषज्ञों ने एचपीवी के लोगों के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले असर पर गहन विचार-विमर्श किया। इस पैनल में श्रीबालाजी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसबीआईएमएस) रायपुर के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष  डॉ. नीरजा अग्रवाल, एसएमएसए अस्पताल रायपुर की चिकित्सा निदेशकडॉ. आशा जैन, कंसल्टेंट- अमेरिकन ऑन्कोलॉजी संस्थान रायपुर के कंसल्टेंट डॉ. सौरभ जैन, सेंट्रल आईएपी 2025 के कार्यकारी बोर्ड सदस्य डॉ. केपी सरभाई और शुभम क्लिनिक रायपुर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राघवेंद्र सिंह शामिल थे। 
विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि भारत एचपीवी से जुड़ी बीमारियों की चुनौती का लगातार सामना कर रहा है और इनमें भी सर्वाइकल कैंसर खास तौर पर हमारी चिंता की वजह है। एचपीवी देश में महिलाओं में होने वाली कैंसर की दूसरी सबसे बड़ी वजह है। आईसीओ/आईएआरसी इंफॉर्मेशन सेंटर ऑन एचपीवी एंड कैंसर (2023) के मुताबिक हर साल भारत में 1.23 लाख सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं और इनमें 77,000 मौतें होती हैं। इसके अलावा गुदा के कैंसर के 90 प्रतिशत और लिंग के कैंसर के 63 प्रतिशत मामले एचपीवी से ही जुड़े होते हैं। 

एचपीवी में 100 प्रकार के वायरस 
डॉक्टरों की टीम ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार एचपीवी वायरस में करीब 100 प्रकार के वायरस पाए जाते हैं। इनमें से 12 से 15 वायरस से कैंसर हो सकते हैं। जितने भी सर्वाइकल कैंसर, वजाइनल कैंसर समेत अन्य प्रकार के कैंसर एचपीवी वायरस के कारण ही होता है। ये वायरस संक्रमित होते हैं, इसलिए इसका वैक्सीन बनाया जा सकता है। ये वायरस सेक्सुअली ट्रांसफर भी हो सकते हैं। इसमें चार प्रकार के वैक्सीन काम करते हैं। ये वैक्सीन 9 से 15 साल तक के बालक-बालिकाओं पर ज्यादा असरकारक है। इसके बाद 15 से 26 साल तक के युवा और 15 से 45 साल तक की युवतियों व महिलाओं में भी इसका असर होता है, लेकिन प्रभाव कम होता है, इसलिए इसे 9 से 15 साल तक के बालक-बालिकाओं में लगाना ज्यादा इफेक्टिव होता है। 45 साल से अधिक के लोगों पर यह वैक्सीन इफेक्टिव नहीं होता है। डॉक्टरों ने बताया कि यह वैक्सीन स्वस्थ लोगों पर ही असर करता है। एचपीवी वायरस होने के बाद यह वैक्सीन काम नहीं करता है। डॉक्टरों ने बताया कि वैक्सीन लगाने से पहले स्क्रीनिंग या टेस्ट कराना अनिवार्य है। वैक्सीन लगने के बाद 80 फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं। 

भारत में सलाना 10 लाख सर्वाइकल कैंसर के मरीज
डॉक्टरों ने बताया कि भारत में अभी डाटा की कमी है। फिर भी देश में अभी सालाना करीब 10 लाख सर्वाइकल कैंसर के मरीज सामने आ रहे होंगे। इसी तरह जेनेटिकल कैंसर के भी मरीज सालाना 10 लाख मरीज होंगे। यह आंकड़ा यूके के सर्वे के अनुसार अनुमानित है। इस समय भारत में एचपीवी वायरस के चार प्रकार के वैक्सीन उपलब्ध है। इनमें एचपीवी-6, एचपीवी-11, एचपीवी-16 व एचपीवी-18 वैक्सीन शामिल हैं। इनमें एचपीवी-16 व एचपीवी-18 ज्यादा इफेक्टिव है। इसमें दो महीने के अंतराल में 2 डोज दिया जाता है। प्रति डोज वैक्सीन की कीमत करीब 2000 रुपए है।  

4 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट 
डॉक्टरों ने बताया कि केंद्र सरकार ने इस एचपीवी वायरस की रोकथाम के लिए चार राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इनमें छत्तीसगढ़, पंजाब, सिक्किम व बिहार शामिल है। केंद्र सरकार इसे बजट में भी शामिल कर लिया है। इसके वैक्सीनेशन को शीघ्र की राष्ट्रीय टीकाकरण योजना में शामिल कर सकते हैं। अभी लोगों में जागरूकता का अभाव है, इसलिए यह जागरूकता कैंपेन चलाया जा रहा है। 

एचपीवी वायरस से वलवा, वैजाइना, गुदा, लिंग व ओरोफेरिंक्स का भी कैंसर 
सत्र का संचालन आईएपी के न्यूरोलॉजी चैप्टर की मानद सचिव डॉ. किरण मखीजा ने किया। सत्र में सभी चिकित्सकों ने इस बात पर जोर दिया कि एचपीवी से सुरक्षा के लिए जागरूकता की बहुत जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि किशोरों और उनके माता-पिता को इस बारे में बताने की जरूरत है और सुरक्षात्मक कदम उठाने में स्वास्थ्य सुविधाएं देने वालों की बहुत अहम भूमिका है। सभी विशेषज्ञों ने विशेष रूप से कहा कि एचपीवी से सिर्फ सर्वाइकल कैंसर ही नहीं होता है, बल्कि इससे वलवा, वैजाइना, गुदा, लिंग और ओरोफेरिंक्स का कैंसर भी होता है। यह महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। एचपीवी के संक्रमण का खतरा 15 से 25 साल की उम्र के बीच ज्यादा होता है। इसी वजह से शुरुआत में ही इसकी पहचान करना और इसे फैलने से रोकने के कदम उठाना बेहद जरूरी है। अब कम खर्चीली एचपीवी वैक्सीन (टीके) उपलब्ध है। इससे यह संभव हुआ है कि हर व्यक्ति को एचपीवी से जुड़े कैंसर से बचाया जा सके।
 सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर पराग देशमुख कहते हैं, देश भर में होने वाली इन कॉन्क्लेव के जरिए हम ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के बारे में लोगों को समझाना चाहते हैं और यह बताना चाहते हैं कि यह सर्वाइकल कैंसर के साथ-साथ अन्य तरह के कैंसर का कारण है। हम चिकित्सकों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों और समाज के लोगों को एक मंच पर लाकर इस विषय पर बातचीत करना चाहते हैं। हम इस पर हर कोण से बातचीत चाहते हैं ताकि हमें इसकी पहचान और रोकथाम से जुड़े व्यावहारिक समाधान मिल सकें। रायपुर कॉन्क्लेव का समापन दर्शकों की भागीदारी वाली बातचीत से हुआ। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि कैंपेन के अहम लक्ष्य को हासिल किया जा सके। यह लक्ष्य है: सही समय पर निर्णय और समाज की भागीदारी से रोके जा सकने वाले कैंसर को रोकना। आने वाले महीनों में यह कैंपेन देश के अन्य शहरों में जारी रहेगा। यह स्वास्थ्य जगत की विश्वसनीय आवाजों को मंच मुहैया कराएगा कि वे इस विषय पर लोगों को जागरूक करें और उन्हें इससे लडऩे के लिए सशक्त बनाएं।

मुख्य जानकारियां
0 सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) पिछले पांच दशकों से कम खर्चीली और उच्च-गुणवत्ता वाली वैक्सीन बनाने वाली अग्रणी कंपनी रही है। 
0 ‘सर्वावैक’ जेंडर न्यूट्रल और क्वाड्रिवेलेंट एचपीवी वैक्सीन है, जो महिला और पुरुष दोनों को दी जा सकती है। 
0 भारत में कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौतों की दूसरी सबसे बड़ी वजह सर्वाइकल कैंसर है। 
0 15 साल या उससे कम उम्र की 51.4 करोड़ लड़कियों या किशोरियों में सर्वाइकल कैंसर का खतरा है। 
0 हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1,23,907 मामले सामने आते हैं।
0 हर साल सर्वाइकल कैंसर से 77,348 लोगों की मौत हो जाती है।