
0 यह 100% सोलर एनर्जी पर आधारित
अहमदाबाद। अदाणी ग्रुप ने भारत का पहला ‘ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन’ संयंत्र शुरू किया है। यह संयंत्र गुजरात के कच्छ में प्रायोगिक स्तर पर चालू किया गया है। कंपनी ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।
यह संयंत्र मुख्य बिजली ग्रिड से जुड़ा नहीं है। इसकी पूरी ऊर्जा जरूरत सौर और पवन जैसे रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों से पूरी होती है। इसमें हाइड्रोजन बनाने के लिए ‘इलेक्ट्रोलिसिस’ तकनीक का इस्तेमाल होता है। यह संयंत्र अदाणी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एएनआईएल) ने बनाया है। यह अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की स्वच्छ ऊर्जा इकाई है। संयंत्र की क्षमता 5 मेगावाट है।
कंपनी ने इसे राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है। यह संयंत्र दिखाता है कि पूरी तरह अक्षय ऊर्जा से हाइड्रोजन बनाना संभव है। यह तकनीक भारी प्रदूषण वाले उद्योगों में भी काम आ सकती है। यह संयंत्र पूरी तरह सौर एनर्जी से चलता है। इसमें बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) भी लगा है, इसलिए यह पूरी तरह ऑफ-ग्रिड काम करता है।
कंपनी का कहना है कि यह संयंत्र एक नया उदाहरण पेश करता है। यह बताता है कि बिना बिजली ग्रिड से जुड़े भी हाइड्रोजन बनाना संभव है। हाइड्रोजन को ऊर्जा का सबसे स्वच्छ स्रोत माना जाता है। इसके जलने पर सिर्फ पानी की भाप निकलती है, कोई प्रदूषण नहीं होता।
ग्रीन हाइड्रोजन हब
यह पायलट परियोजना अडानी ग्रुप द्वारा प्रस्तावित मुंद्रा ग्रीन हाइड्रोजन हब से पहले एक परीक्षण है। मुंद्रा में बनने वाली यह इकाई बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया, ग्रीन मेथेनॉल और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल जैसी उत्पादों का उत्पादन करेगी। साथ ही, सौर सेल, मॉड्यूल, पवन टरबाइन और इलेक्ट्रोलाइज़र का निर्माण भी किया जाएगा।
भारत को बनाएगा ग्लोबल हब
इस पहल से भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का ग्लोबल हब बनाने की दिशा में मजबूती मिलेगी। अडानी ग्रुप का यह कदम टिकाऊ ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार और नेतृत्व को दर्शाता है। यह पहल राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के साथ जुड़ी हुई है, जो भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य आयात निर्भरता को कम करना, ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ाना और ऊर्जा-गहन उद्योगों के डीकार्बोनाइज़ेशन में तेज़ी लाना है।