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0 इमरजेंसी के 50 सालः पीएम सहित पूरी कैबिनेट ने मौन रखा 
0 कैबिनेट बैठक में तीन बड़े फैसले लिए गए
0 पुणे मेट्रो विस्तार के लिए 3626 करोड़ रुपये पारित
0 झरिया (झारखंड) अंडरग्राउंड फायर के लिए 5940 करोड़ रुपये का संशोधित मास्टर प्लान मंजूर
0 आगरा में 111 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र स्थापित किया जाएगा

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट बैठक में आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर एक प्रस्ताव पास किया गया। इसके बाद आपातकाल के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के रूप में दो मिनट का मौन रखा गया। 

कैबिनेट बैठक में तीन बड़े फैसले लिए गए। पहला- पुणे मेट्रो विस्तार के लिए 3626 करोड़ रुपये पारित। दूसरा- झरिया (झारखंड) अंडरग्राउंड फायर के लिए 5940 करोड़ रुपये का संशोधित मास्टर प्लान मंजूर। तीसरा- आगरा में 111 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र स्थापित किया जाएगा।

इससे पहले बुधवार सुबह पीएम मोदी ने आपातकाल को लेकर सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि इस दिन कांग्रेस ने लोकतंत्र को कैद कर लिया था। प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दी थी।  
दरअसल 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। यह 21 मार्च 1977 यानी 21 महीने तक लागू रहा था। भाजपा इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाती है।

इमरजेंसी लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय
इमरजेंसी को लेकर मोदी ने लिखा कि यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं।भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह हमारा कर्तव्य है। यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था, जिसके चलते तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए। हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं। पूरे भारत से अलग-अलग विचारधाराओं के लोग आए, उन्होंने एक उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया।

इमरजेंसी के वक्त मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था 
पीएम मोदी ने अपनी पोस्ट में 'द इमरजेंसी डायरीज' नाम की बुक का भी जिक्र किया। पीएम ने लिखा, जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को दिखाया। साथ ही, मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना एचडी देवेगौड़ा ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।

आपातकाल पर अन्य नेताओं ने क्या कहा
आपातकाल लोकतंत्र पर सीधा हमला थाः नड्डा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि आज से 50 साल पहले कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी, जो कोई राजनीतिक घटना नहीं बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला था। पचास साल बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ जी रही है। उसके इरादे आज भी वही हैं जो 1975 में थे।

देश की आत्मा को कुचलने का सीधा प्रयास थाः गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह देश की आत्मा को कुचलने का सीधा प्रयास था। आपातकाल एक परिवार की तरफ से रचा गया षड्यंत्र था जो सत्ता के नशे में था और यह कांग्रेस की अत्याचारी और क्रूर मानसिकता का भी प्रमाण था।

आपातकाल नियमों की अनदेखी करके लगाया गया थाः सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लिखा कि देश में आपातकाल, कानूनों के हथियारीकरण, न्यायिक स्वतंत्रता के हनन और नियमों की अनदेखी करके लगाया गया था। कांग्रेस में जो लोग हाथ में संविधान की कॉपी लेकर घूमते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि 50 साल भी भारत उस अत्याचार को याद करता है।

आपातकाल संविधान व लोकतंत्र को रौंदने वाली घटनाः सीएम फडणवीस
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भारत का लोकतंत्र इसलिए बचा है क्योंकि लोगों ने उस वक्त आपातकाल का विरोध किया। संविधान, लोकतंत्र और कई संस्थाओं को रौंदने वाली घटना ऐसी है, जिसे कभी नहीं भूलना चाहिए। 

50 साल पहले देश के लोकतंत्र पर हमला हुआ थाः संबित पात्रा
बीजेपी प्रवक्ता और सांसद संबित पात्रा ने कहा कि आज से 50 वर्ष पहले आपातकाल के रूप में देश के लोकतंत्र पर हमला हुआ था। यह 50वां साल है जब देश पर इंदिरा गांधी की सरकार, कांग्रेस पार्टी ने आपातकाल लगाया था। आज भाजपा समग्र भारतवर्ष में इस विषय को ध्यान में रखते हुए, इसे काला दिवस के रूप में प्रस्तुत कर रही है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की बौखलाहट हमें दिखाई दे रही है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जिस भाषा में देश के प्रधानमंत्री के लिए शब्द कहे हैं, वह निंदनीय है। कांग्रेसियों को पता नहीं है कि आम हिंदुस्तानियों ने इमरजेंसी के दौरान किस प्रकार के कष्टों और यातनाओं को सहा था। अब केंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक में भी आपातकाल का जिक्र हुआ, बलिदान देने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई और युवाओं को जागरूक करने की अपील भी हुई। वैसे इसके अलावा कैबिनेट बैठक में ही तीन अहम फैसले भी हुए।