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0 भारत का यूरोपियन यूनियन को जवाब
0 ईयू ने रूसी तेल पर पाबंदिया लगाईं

नई दिल्ली। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आज यानी, 22 जुलाई को कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सबसे ऊपर रखता है और रूसी तेल खरीदने के मामले में वह अपने हितों की रक्षा करेगा। ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा से ठीक पहले आया है। पश्चिमी देश भारत पर रूसी तेल आयात को लेकर दबाव बना रहे हैं।

विक्रम मिस्री ने कहा, ऊर्जा सुरक्षा भारत सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। हम वही करेंगे जो हमारे 1.4 अरब लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी है। उन्होंने ये भी कहा कि मामले में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए।

ईयू ने रूसी तेल पर पाबंदियां लगाईं
यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने 18 जुलाई 2025 को यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर नए सैक्शन्स का ऐलान किया है। इस में रूसी तेल के प्राइस कैप को 60 डॉलर प्रति बैरल से घटाकर 47.6 डॉलर प्रति बैरल कर दिया गया है। साथ ही, रूस के तेल से बने पेट्रोल-डीजल जैसे रिफाइंड ईंधन के आयात पर भी रोक लगा दी गई है। इसका असर भारत, तुर्की और यूएई जैसे देशों पर पड़ने की उम्मीद है। ये देश रूसी क्रूड ऑयल को रिफाइन करके डीजल, पेट्रोल और जेट फ्यूल जैसे ईंधन यूरोप को निर्यात करते हैं।

भारत पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर असर
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, "भारत के यूरोपियन यूनियन को 5 अरब डॉलर के पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के निर्यात पर खतरा मंडरा रहा है। भारत का ईयू को पेट्रोलियम निर्यात पहले से ही 27.1% घट चुका है। वित्तीय वर्ष 2024 में 19.2 अरब डॉलर से घटकर वित्तीय वर्ष 2025 में 15 अरब डॉलर हो गया है।
ईयू के प्रतिबंधों का सबसे ज्यादा असर नायरा एनर्जी और रिलायंस पर पड़ सकता है, जो भारत के सबसे बड़े ईंधन निर्यातक हैं। नायरा एनर्जी की गुजरात के वडिनार रिफाइनरी में रूसी कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है। इसलिए नायरा को बैंकिंग सपोर्ट में भी दिक्कतें आ सकती हैं।

कानूनी रास्ते तलाश रही नायरा एनर्जी
नायरा एनर्जी ने भी इन प्रतिबंधों को "अनुचित" बताते हुए कहा कि वे कानूनी रास्ते तलाश रही है ताकि इसके परिचालन, कर्मचारियों और हितधारकों के हितों की रक्षा हो सके। कंपनी ने बयान में कहा कि हमारी रिफाइनरी भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाती है। ये प्रतिबंध भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करते हैं और 1.4 अरब भारतीयों की जरूरतों को प्रभावित कर सकते हैं।"

भारत और रूस का तेल व्यापार
2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से तेल आयात में भारी बढ़ोतरी की है। पहले जहां रूस से भारत का तेल आयात 1% से भी कम था, वहीं अब ये 40-44% तक पहुंच गया है। फिस्कल 2025 में भारत ने रूस से 50.3 अरब डॉलर का क्रूड ऑयल आयात किया, जो उसके कुल 143.1 अरब डालर के तेल आयात का एक-तिहाई से ज्यादा है। रूस की डिस्काउंटेड कीमतों ने भारत को महंगाई को काबू में रखने में मदद की है।

अमेरिका का भी बना रहा दबाव
ईयू के अलावा, अमेरिका ने भी भारत, चीन और ब्राजील जैसे ब्रिक्स  देशों पर रूसी तेल आयात को लेकर दबाव बढ़ाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने चेतावनी दी है कि अगर ये देश रूसी तेल खरीदना जारी रखते हैं, तो उन पर 100% से 500% तक के भारी टैरिफ लगाए जा सकते हैं। फॉक्स न्यूज पर अमेरिकी सीनेटर ने कहा कि मैं चीन, भारत और ब्राजील को कहूंगा कि अगर आप सस्ता रूसी तेल खरीदते रहे, जिससे ये युद्ध चलता रहा, तो हम आप पर भारी टैरिफ लगाएंगे। उन्होंने कहा, "हम आपकी अर्थव्यवस्था को चकनाचूर कर देंगे, क्योंकि आप जो कर रहे हैं वो खून के पैसे जैसा है।