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0 कहा- जानवरों की खरीद-बिक्री कानूनी
0 जैन मठ से हथिनी की शिफ्टिंग पर हुआ था विवाद
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जामनगर स्थित वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में जानवरों की खरीद-बिक्री नियमों के दायरे में हुई है।' इस सेंटर को अंबानी परिवार का रिलायंस फाउंडेशन चलाता है।

कोर्ट ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने कहा कि अब इस मामले को बार-बार उठाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। स्वतंत्र समिति ने जांच की है और हम उसी पर भरोसा करेंगे।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 26 अगस्त को 2 पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन (पीआईएल) पर एसआईटी बनाने का आदेश दिया था। एक वकील सीआर जया सुकीन और दूसरी याचिका देव शर्मा ने जुलाई में कोल्हापुर के जैन मठ से हाथी ‘माधुरी’ को वनतारा में ले जाने के विवाद के बाद दायर की थी।

एसआईटी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी
वनतारा के वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए। उनका तर्क था कि अगर रिपोर्ट बाहर आई तो न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अखबार उसका केवल कुछ हिस्सा छापकर गलत नैरेटिव बना देंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी।

एसआईटी ने 12 सितंबर को रिपोर्ट सौंपी
4 सदस्यीय SIT का नेतृत्व पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने किया था और टीम में जस्टिस राघवेंद्र चौहान (पूर्व चीफ जस्टिस, उत्तराखंड व तेलंगाना हाईकोर्ट), पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले और कस्टम्स अधिकारी अनिश गुप्ता शामिल थे। एसआईटी ने 12 सितंबर को रिपोर्ट सौंप दी थी। कोर्ट ने एसआईटी की सराहना की और कहा कि समिति को मानदेय भी दिया जाए।

हथिनी माधुरी की शिफ्टिंग के बाद विवाद
16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि हथिनी माधुरी को वनतारा में शिफ्ट किया जाए। यह आदेश पेटा इंडिया की ओर से हथिनी की सेहत, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर जताई गई चिंताओं के बाद दिया गया था। इससे पहले दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हथिनी के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उसे गुजरात के वनतारा पशु अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। फिर 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। यह मामला 2023 से चल रहा है। माधुरी को वनतारा शिफ्ट किए जाने पर कोल्हापुर में जुलाई के आखिरी हफ्ते में विरोध प्रदर्शन हुए। लोगों ने उसको वापस लाने के लिए हस्ताक्षर किए। धार्मिक परंपराओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।