
0 कोर्ट ने कहा-अगर पत्नी की इनकम के सबूत नहीं तो पति को गुजारा भत्ता देना होगा
भुवनेश्वर। ओडिशा हाईकोर्ट ने सोमवार को पत्नी और बेटी को 10 हजार रुपए मेंटेनेंस देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने कहा कि पति ये साबित नहीं कर पाया कि पत्नी के पास परमानेंट इनकम है।
जस्टिस गौरीशंकर सतपथी की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि पति ने ऐसा कोई दस्तावेज या सबूत नहीं दिया जिससे पता चले कि पत्नी कितने मामलों में वकालत कर रही है और कितना कमा रही है।
कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी की इनकम के सबूत नहीं हैं, तो यह मानना गलत है कि सभी पढ़ी-लिखी पत्नियां पति के पैसों पर जीना चाहती हैं। उन्हें बेकार वर्ग कहना भी गलत है। हाईकोर्ट ने कहा- सिर्फ शिक्षित होना यह साबित नहीं करता कि महिला जानबूझकर काम नहीं कर रही या पति पर बोझ बनकर रहना चाहती है। जब तक ठोस सबूत न हों तब तक ऐसी सोच रखना गलत है।
अब पूरा मामला समझिए
यह मामला बरगढ़ का है। तलाक के केस में पति जी देवेंद्र राव ने अपनी पत्नी और बेटी को गुजारा भत्ता देने से मना कर दिया। फैमिली कोर्ट में दलील दी गई कि उनकी पत्नी पढ़ी लिखी है। वह एमए, एलएलबी है। टीचर और एलआईसी एजेंट है, इसलिए उसे गुजारा भत्ता का हक नहीं है। उनकी बेटी भी एडल्ट हो चुकी है। इसलिए सेक्शन 125 सीआरपीसी के अंतर्गत मेंटेनेंस नहीं मांग सकती। फैमिली कोर्ट ने आदेश में कहा कि 2012 से याचिकाकर्ता हर माह पत्नी और बेटी को 5-5 हजार यानी 10,000 का भुगतान करे। देवेंद्र ने फैमिली कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।