नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने निवेश और विकास के लिए प्रभावशाली पुलिस व्यवस्था के महत्व पर बल देते हुए उम्मीद जताई है कि युवा अधिकारियों के नेतृत्व में भविष्य के लिए तैयार पुलिस बल 'विकसित भारत' के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। राष्ट्रपति सचिवालय ने सोमवार को यहां बताया कि भारतीय पुलिस सेवा के 77 आरआर (2024 बैच) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में श्रीमती मुर्मु से मुलाकात की।
श्रीमती मुर्मु ने परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था है। अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने और उसमें तेज़ी लाने के लिए सार्वजनिक और निजी निवेश की इस गति को बनाए रखने की आवश्यकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसी भी राज्य या क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए कानून-व्यवस्था आवश्यक पूर्व-शर्त है। उन्होंने कहा, " निवेश और विकास को बढ़ावा देने में प्रभावी पुलिसिंग आर्थिक प्रोत्साहन जितनी ही महत्वपूर्ण है। युवा अधिकारियों के नेतृत्व में एक भविष्य के लिए तैयार पुलिस बल 'विकसित भारत' के निर्माण में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा"
राष्ट्रपति ने कहा कि युवा अधिकारी शक्ति और अधिकार वाले पदों पर आसीन होते हैं। उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि अधिकार के साथ जवाबदेही भी आती है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यों और आचरण की हमेशा सार्वजनिक जांच होगी। " उन्हें यह याद रखना चाहिए कि वे, जो नैतिक है उसे चुनें, न कि जो सुविधाजनक है उसे। आपात स्थितियों से निपटने के दौरान भी न्यायसंगत और निष्पक्ष प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए। "
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि हालांकि अधिकारियों को कानूनों और प्रणालियों के माध्यम से बहुत सारी शक्तियां प्राप्त होती हैं, लेकिन वास्तविक अधिकार उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक ईमानदारी से आएगा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि नैतिक अधिकार उन्हें सभी का सम्मान और विश्वास दिलाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुलिस अधिकारी लगभग हर समय अपराध और अपराधियों से निपटता है। इससे उन पर संवेदनहीनता का प्रभाव पड़ सकता है और उनकी मानवीयता कुंद हो सकती है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि प्रभावशाली अधिकारी बनने की प्रक्रिया में उन्हें अपने भीतर करुणा के मूल को अक्षुण्ण रखने का विशेष प्रयास करना चाहिए।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने पुलिसिंग के क्षेत्र को काफ़ी हद तक बदल दिया है। लगभग दस साल पहले 'डिजिटल गिरफ़्तारी' अभिव्यक्ति को समझना असंभव होता। अभी यह नागरिकों के लिए सबसे भयानक ख़तरों में से एक है। भारत में सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से बढ़ता एआई उपयोगकर्ता आधार है। इसका असर पुलिसिंग पर भी पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि आईपीएस अधिकारियों को एआई सहित नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में उन लोगों की तुलना में कई कदम आगे रहना चाहिए जो इन प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल ग़लत इरादे से करेंगे।