नई दिल्ली। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को उनके देश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) द्वारा उन्हें मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले की निंदा करते हुए इसे 'पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित' बताया।
सुश्री हसीना ने न्यायाधिकरण के फैसले के बाद जारी एक बयान में कहा कि न्यायाधिकरण में 'धांधली' की गई थी और इसे बिना किसी लोकतांत्रिक जनादेश वाली अनिर्वाचित सरकार द्वारा चलाया जा रहा था। मेरे खिलाफ सुनाये गये फैसले एक धांधली वाले न्यायाधिकरण के हैं और पक्षपातपूर्ण तथा राजनीति से प्रेरित हैं।
गौरतलब है कि बंगलादेश की घरेलू युद्ध अपराध अदालत, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पिछले साल सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर कार्रवाई के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है और इसे 'मानवता के खिलाफ अपराध' बताया है। 'मानवता के खिलाफ विभिन्न अपराधों' के लिए दोषी ठहरायी गयी सुश्री हसीना पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया और वह फिलहाल भारत में निर्वासन में हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने स्थिति पर नियंत्रण खो दिया है, लेकिन जो हुआ उसे नागरिकों पर पूर्व-नियोजित हमला नहीं कहा जा सकता। निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया के तहत मुकदमे का सामना करने की अपनी इच्छा दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपने आरोपों का सामना उचित न्यायाधिकरण में करने से नहीं डरती जहां सबूतों का निष्पक्ष रूप से मूल्यांकन और परीक्षण किया जा सकता है। बांग्लादेश अवामी लीग की नेता ने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार ने 'अवामी लीग को एक राजनीतिक ताकत के रूप में निष्प्रभावी करने' के लिए मौत की सजा को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है। इससे पहले सुश्री हसीना ने पूरे मुकदमे को एक 'तमाशा' करार दिया था और अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया था।
तीन न्यायाधीशों के एक पैनल ने आज एक फैसला सुनाया कि सुश्री हसीना ने 2024 में 'अशांति के दौरान कानून प्रवर्तन द्वारा की गई सैकड़ों न्यायेतर हत्याओं को उकसाया।' अदालत के अनुसार लगभग 1,400 प्रदर्शनकारी मारे गए और 25,000 तक घायल हुए। पूर्व नेता पर पांच आरोप लगाए गए जिनमें हत्या के लिए उकसाना, फांसी का आदेश देना और विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए घातक हथियारों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल को अधिकृत करना शामिल है।
सुश्री हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर भी आरोप लगाए गए थे। न्यायाधिकरण ने खान कमाल को भी मौत की सजा सुनाई है। चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून बाद में सरकारी गवाह बन गया था और अपनी संलिप्तता स्वीकार करने के बाद उसे पाँच साल की जेल की सजा सुनायी गयी है। मुकदमे की कार्यवाही 23 अक्टूबर को समाप्त हुयी।
सुश्री हसीना ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिए कई साक्षात्कारों में सभी आरोपों का खंडन किया और बताया कि प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए इस्तेमाल की गई गोलियों की क्षमता बंगलादेश पुलिस द्वारा इस्तेमाल की गई गोलियों से अलग थी। कई विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि ये गोलियां स्नाइपर्स द्वारा चलाई गई हो सकती हैं।
सुश्री हसीना की कानूनी टीम ने 'निष्पक्ष सुनवाई के अधिकारों और उचित प्रक्रिया के अभाव को लेकर गंभीर चिंताओं' का हवाला देते हुए न्यायेतर, संक्षिप्त या मनमाने ढंग से की गई फांसी के मामलों में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक से अपील की है।
गौरतलब है कि जुलाई 2024 में आर्थिक तंगी, भ्रष्टाचार और रोज़गार संकट से उपजे छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के कारण शेख हसीना की सरकार गिर गई। पांच अगस्त को उन्होंने भारत में शरण ली थी और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने बंगलादेश में सत्ता संभाली। आईसीटी, जिसकी स्थापना मूल रूप से हसीना सरकार ने 1971 के मुक्ति संग्राम के युद्ध अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए की थी, पहले भी जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं पर मुकदमा चला चुकी है।
उल्लेखनीय है कि बंगलादेश में अगले साल फरवरी में राष्ट्रीय चुनाव होने वाले हैं जिसमें अवामी लीग के शामिल नहीं होने की संभावना है।