मुंबई। हर मानव को जीवन का लक्ष्य पहले निश्चय करना चाहिए। जब तक तुम्हारा लक्ष्य निश्चय नहीं वहां तक आप कोई भी कार्य हाथ में लोगों सफलता शीघ्र नहीं मिल सकती। आपको मुंबई जाना है यदि आप सूरत की ट्रेन में बैठोगे आप अपने निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाओगे। मुंबई जाना है तो मुंबई की ही टिकिट लेकर मुंबई जाने वाली ट्रेन में ही बैठना पड़ेगा। मानव को काम की सूझ कब होगी है? जब वह लक्ष्य को बराबर निश्चित किया होगा तब।
मुंबई में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, प्रसिद्ध जैनाचार्य प.पू. राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है कि किसी कार्य की सफलता पाना हो तो छोटी बड़ी मुश्किलें आएंगी। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए तन तोड़ मेहनत भी करना पड़ेगा। कहते है किसी कार्य को शुरू करने से पहले तन नाजुक रहेगा तो चलेगा परंतु मन से तो मजबूत ही रहना चाहिए। कोई भी बालक जब चलना सीखता है, उसके पूर्व वह पहले घूटनों से चलता है उसके बाद धीरे-धीरे वह खड़ा होता है। खड़े होकर पहली बार जब वह चलता है तब कई बार वह गिर भी जाता है ठोकरे खाते खाते ही वह चलना सिखता है इसी तरह पूज्यश्री फरमाते है हमें भी सफलता पानी हो तो बीच-बीच में कार्य में अड़चन भी आएगी यदि आप मन से पक्के हुए कि ये चीज मुझे मिलानी ही है तभी आप सफलता पा सकोंगे।
डॉ.आईके बिजली वाले के जीवन की घटना को देखते है। जब बिजलीवाले विद्यार्थी थे तब की ये घटना है वें बारहवीं कक्षा की परीक्षा देने भावनगर गए। उनके पिताजी कासमभाई की आर्थिक परिस्थिति अत्यंत नाजुक थी पिताजी ने सिर्फ खर्ज के 40 रुपिये हाथ में दिए थे। छह दिन तक भावनगर धर्मशाला में ठहर हुआ। एक दिन रात को अंधेरे के कारण बिजलीवाले के दातिने पैर पर लोहे का भारी पलंग पैर पर गिर गया। उस दाये पैर से खून की धारा बहने लगी। डॉक्टर के पास जाना था परंतु उनके पास पैसे नहीं थे। धर्मशाला में ठरहने वाले सभी अपरिचित थे अब क्या किया जाए? उन्होंने नेपकीन को ठंडे पानी में भिगोकर उस पर बांध दिया। रात भर बहुत वेदना हुई फिर भी उन्होंने परीक्षा की पूरी तैयारी की।
पूज्यश्री फरमाते है एक पैर में छोटा सा कांटा भी यदि लग जाए तो व्यक्ति दिल लगाकर काम नहीं कर सकता। तिनका साईज में छोटा है परंतु वह पूरे शरीर को डिस्टर्ब कर देता है। कहते है यदि मानवी मजबूत मन वाला हो तो वह व्यक्ति अपने शरीर की परवाह किए बगैर अपने काम को पूरा करने की कोशिश करेगा क्योंकि लक्ष्य निश्चित है इसलिए मंजिल तक पहुंचने की उसे जल्दी होती है।
बिजलीवाले के पैर को सुबह तक सूजन आ गया था। धर्मशाला से स्कूल का अंतर सिर्फ दश मिनिट का था। परंतु बिजली वाले को अपने पैर पर विश्वास नहीं था इसलिए वें स्कूल जाने के लिए धर्मशाला से पांच बजे ही निकल गए सात बजे स्कूल पहोंचकर उन्होंने पहला पेपर दिया। पांच दिन तक उन्होंने उसी तरह पेपर दिए। जब उनका परिणाम आया तब वे भावनगर केन्द्र में चौथा नंबर तता बायोलोजी विषय में राज्य में उनका दूसरा नंबर आया। आगे जाकर एक डॉक्टर एवं लेखक के रूप में उन्होंने सुन्दर पारकिर्दी बनाई।
पूज्यश्री फरमाते हैं जीवन में यदि आगे बढऩा हो छोटी-छोटी मुश्किलें आएगी परंतु हमें उसकी ओर ध्यान नहीं देना है। हर मुश्किलों का सामना करते रहोंगे तो आप अपने लक्ष्य तक पहुंच पाओंगे। जितने भी महापुरू हुए है जैसे कि स्वामी विवेकानंद, वीरचंद गांधी महात्मा गांधी, गुरूदेव विक्रय सूरिजी विगेरे शारीरिक दृष्टि से सक्ष्म नहीं थे परंतु मन से वें स्ट्रोंग थे। बस विल पॉवर आपका स्ट्रोंगे रहा तो आप अपने लक्ष्य को आसानी से मिला पाओंगे। सिद्धि मिलाकर शीघ्र आत्मा से परमात्मा बने यही शुभकामना।
Head Office
SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH