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कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन ने चिंताएं बढ़ा दी हैं, लेकिन हमारे देश में महामारी बहुत हद तक काबू में है। ब्लूमबर्ग कोविड प्रतिकार सूचकांक में 19 स्थानों की छलांग लगाते हुए भारत अब 26वें पायदान पर पहुंच गया है। यह सूची 53 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के अध्ययन के आधार पर तैयार की गयी है। कुछ माह पहले महामारी की दूसरी लहर के दौरान हमारे देश में सबसे तेज गति से संक्रमण फैल रहा था और रोज के मामलों की संख्या कई दिनों तक चार लाख से ज्यादा रही थी। लेकिन कुछ दिन पहले तक यह आंकड़ा सात हजार से भी नीचे आ गया था, पर बीते दो-तीन दिन से संक्रमण में वृद्धि हुई है और गुरुवार को नये संक्रमितों की संख्या 9765 रही। लेकिन सक्रिय संक्रमित एक लाख से कम हैं। अगर कुल मामलों के हिसाब से देखें, तो यह आंकड़ा एक प्रतिशत से भी कम है। संक्रमण से मुक्त होने की दर 98।35 प्रतिशत है। महामारी से बहुत अधिक प्रभावित होने के बाद देश की वर्तमान स्थिति निश्चित रूप से संतोषजनक है।
ब्लूमबर्ग सूचकांक में भारत के अच्छे प्रदर्शन के जो आधार बताये गये हैं, उनमें आर्थिक गतिविधियों में तेजी और टीकाकरण अभियान हैं। पहली लहर के दौरान लगायी गयी पाबंदियों को हटाने के बाद पिछले साल सितंबर से दिसंबर और इस साल जनवरी तक अर्थव्यवस्था में उत्साहजनक सुधार हुआ था। आक्रामक दूसरी लहर में पिछले अनुभवों से सीख लेते हुए सोच-समझकर रोक लगायी गयी थी और फिर तमाम गतिविधियों को धीरे-धीरे सामान्य गति देने का प्रयास हुआ।
इसका परिणाम चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि के 8।4 प्रतिशत रहने के रूप में हमारे सामने है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष की वृद्धि दर नौ से दस प्रतिशत के आसपास रह सकती है। हालांकि नये वायरस की वजह से इस माह सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को अनुमति देने का निर्णय स्थगित कर दिया गया है, लेकिन अब तक विदेशी और घरेलू उड़ानों के मामले में भारत का उल्लेखनीय प्रदर्शन रहा है। वैश्विक स्तर पर उड़ान क्षमता के मामले में भारत शीर्ष के दस देशों में शामिल है। प्रारंभिक समस्याओं से उबरते हुए टीकाकरण अभियान भी संतोषजनक गति से आगे बढ़ रहा है। अब तक सवा सौ अरब से अधिक खुराक दी जा चुकी है। देश की 32 प्रतिशत वयस्क आबादी को कोरोना टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है। अब टीके की आपूर्ति की समस्या भी नहीं है और एक बार फिर भारत ने दूसरे देशों को देश में निर्मित टीकों को भेजने का सिलसिला शुरू कर दिया है। बच्चों एवं 18 साल से कम आयु के किशोरों के लिए भी जल्दी टीके उपलब्ध होंगे।  फिर भी टीकाकरण तेज किया जाना चाहिए ताकि ओमिक्रॉन समेत भविष्य के अन्य कोरोना वायरसों से बचाव संभव हो सके। साथ ही, वायरस और टीकों से जुड़े शोध को बेहतर किया जाना चाहिए।