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दोसाल से महामारी से जूझती दुनिया को कोरोना वायरस के ड।ल्टा वैरिएंट से राहत मिलती दिख रही थी कि अब ओमिक्रॉन वैरिएंट के प्रसार से तीसरी लहर की आशंका बढ़ गयी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जानकारी दी है कि 89 देशों मेंं इस वायरस का संक्रमण पाया गया है। जहां इसका सामुदायिक संक्रमण हो रहा है, वहां संक्रमितों की संख्या डेढ़ से तीन दिनों में दोगुनी हो रही है।
यदि इसका फैलाव इसी गति से बरकरार रहा, तो ऐसे देशों में जल्द ही यह वायरस डेल्टा को पीछे छोड़ सकता है। वैश्विक चिंता बढऩे की एक वजह यह भी है कि ओमिक्रॉन उन देशों में भी फैल रहा है, जहां बहुत अधिक टीकाकरण हो चुका है या आबादी के बड़े हिस्से को खुराक मिल चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 26 नवंबर को इसे चिंताजनक वायरस की संज्ञा दे दी थी।
पहले ऐसा माना जा रहा था कि इस वायरस का असर पूर्ववर्ती रूपों की तुलना में मामूली होगा, पर शोधों में ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि यह अधिक आक्रामक हो सकता है। आग। इसका क्या स्वरूप होगा, यह भी कह पाना अभी मुश्किल है। एक ओर जहां भारत समेत कई देशों में ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रह। हैं, वहीं डेल्टा संक्रमण में भी बढ़ोतरी हो रही है। सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते चौबीस घंटों में भारत में 6,563 नए मामले आए हैं और 132 मौतें हुई हैं।
देश में ओमिक्रॉन संक्रमण की संख्या कम-से-कम 171 हो चुकी है। पूरी दुनिया मेंं रविवार को 4.47 लाख संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं। अभी देश में 82 हजार से अधिक संक्रमित हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से संक्रमण की रोकथाम करने और अधिक संख्या में जांच करने के उपाय किय। जा रहे हैं, लेकिन नागरिकों को भी कोरोना निर्देशों का समुचित पालन कर इस प्रयास में सहयोग देना चाहिए। साथ ही, टीकाकरण अभियान भी तेज किया जाना चाहिए।
जो लोग टीका लेने मेंं हिचक रहे हैं, उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। विभिन्न देशों से जो प्रारंभिक रिपोर्ट आयी हैं, उनसे पता चलता है कि भल। ही कुछ ऐसे लोग संक्रमित हुए हैं, जिन्होंने टीका ले लिया था, पर सभी टीके ओमिक्रॉन संक्रमण को गंभीर बीमारी मेंं बदलने से रोकने में सक्षम हैं। कई अफ्रीकी देशों के साथ ओमिक्रोन से यूरोप के अनेक देश, विशेषकर ब्रिटेन तथा अमेरिका भी प्रभावित हो रहे हैं। उड़ानों पर रोक तथा आंतरिक पाबंदियों के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। उल्ल।खनीय है कि भारत समस्तत अधिकतर देशों की आर्थिक स्थिति म।ं लगातार सुधार आ रहा है। लेकिन इस कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखला पर भी दबाव बढ़ा है क्योंकि मांग मे तेजी आई है। यदि ओमिक्रॉन अधिक आक्रामक रूप लाता है और लंबे समय तक पाबंदियों की दरकार रहती है, तब आर्थिकी पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए समझदारी और सतर्कता जरूरी है।