ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से एकादशी नियमों का पालन कर भगवान विष्णु जी के निमित्त व्रत उपवास करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान की कृपा से शीघ्र पूर्ण होती हैं। एकादशी की कथा श्रवण से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
हर साल पौष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी मनाई जाती है। इस प्रकार साल 2021 में सफला एकादशी 30 दिसंबर को है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है। वैष्णव संप्रदाय के लोग एकादशी पर्व को उत्स्व की तरह मनाते हैं। एकादशी व्रत को करने के कई कठोर नियम भी हैं। इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से एकादशी नियमों का पालन कर भगवान विष्णु जी के निमित्त व्रत उपवास करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान की कृपा से शीघ्र पूर्ण होती हैं। शास्त्रों में निहित है कि एकादशी की कथा श्रवण मात्र से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। आइए, सफला एकादशी की व्रत कथा और पूजा विधि जानते हैं-
सफला एकादशी की व्रत कथा : किदवंती है कि एक प्राचीन समय में महिष्मान नामक प्रतापी राजा चंपावती राज्य में रहता था। उसका पुत्र बेहद निर्दयी था। प्रजा की भलाई के लिए कोई कार्य नहीं करता था, बल्कि प्रजा पर वह अत्याचार करता रहता था। इससे प्रजा में त्राहिमाम मच गया। यह जान राजा महिष्मान ने अपने पुत्र को नगर से बाहर निकाल दिया। उस समय राजा के पुत्र ने नगर में चोरी करने की सोची और रात्रि के अंधेरे में चोरी करने के उद्देश्य से नगर में घुस गया।
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