Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

धार्मिक मान्यता है कि लोहड़ी का पर्व फसल की कटाई और नवीन अन्न तैयार होने की ख़ुशी में मनाई जाती है। किसान उत्सव के रूप में लोहड़ी का पर्व मनाते हैं। इस दिन संध्याकाल में आग जलाकर लोग आग के चारों ओर एकत्र हो जाते हैं।
 हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी मनाई जाती है। यह पर्व पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के मुख्य पर्वों में एक है। साथ ही उत्तर भारत के कई राज्यों में भी लोहड़ी का पर्व उत्स्व की तरह मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। जानकारों की मानें तो नवीन अन्न के तैयार होने की ख़ुशी में लोहड़ी मनाई जाती है। इस दौरान आग का अलाव लगाया जाता है। इस अलाव में गेंहूं की बालियों को अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर पंजाबी समुदाय के लोग भांगड़ा और गिद्दा नृत्य कर उत्स्व मनाते हैं। आइए, लोहड़ी के बारे में सबकुछ जानते हैं- 
क्यों मनाते हैं लोहड़ी : धार्मिक मान्यता है कि लोहड़ी का पर्व फसल की कटाई और नवीन अन्न तैयार होने की ख़ुशी में मनाई जाती है। किसान उत्सव के रूप में लोहड़ी का पर्व मनाते हैं। इस दिन संध्याकाल में आग जलाकर लोग आग के चारों ओर एकत्र हो जाते हैं। इसके बाद आग की परिक्रमा करते हैं। इस दौरान आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, चिक्की, गुड़ से निर्मित चीजें डालते हैं। फिर आग के समीप बैठकर गीत गाते हैं और गज्जक और रेवड़ी खाते हैं। कुछ लोग नृत्य कर लोगों का मनोरजंन करते हैं। वहीं, रात्रि में मक्के की रोटी और सरसों का साग खाया जाता है।
क्या है कथा : इतिहासकारों की मानें तो मुग़ल काल में दुल्ला भट्टी नाम का एक लुटेरा था। वह पेशे से लुटेरा था, लेकिन दिल से बेहद नेक था। जुल्म और अत्याचार का वह पुरजोर विरोध करता था। जब कभी मुगल सैनिक हिन्दू लड़कियों को अगवा करता था, तो दुल्ला भट्टी उन लड़कियों को आजाद कराकर हिन्दू लड़कों से विवाह करा देता था।
 इस नेक कार्य के लिए दुल्ला भट्टी को लोग खूब पसंद करते थे। वर्तमान समय में भी लोग लोहड़ी के दिन गीतों के जरिए याद कर उन्हें धन्यवाद देते हैं।