Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में न केवल अपने बुनियादी आधार को मजबूत किया है, वह जनता की नजर में सबसे प्रासंगिक पार्टी भी साबित हुई है। लोग उसे सत्ता में रखते हुए काम लेते रहना चाहते हैं। पार्टी ही नहीं, विश्लेषकों को भी लग रहा था कि युवाओं या बेरोजगार मतदाताओं का मोहभंग हुआ है, लेकिन यह मोहभंग इतना भी नहीं था कि सत्ता परिवर्तन हो जाए। इसका मतलब, रोजगार के मोर्चे पर उत्तर प्रदेश की सरकार ने जो प्रयास किए हैं, उसके मद्देनजर युवाओं को आगे के लिए उम्मीदें हैं। साल 2021 के अंत तक रोजगार करने वालों की आबादी 32.79 प्रतिशत हो गई। इसमें एक बड़ा कारण महामारी और लॉकडाउन है। निश्चित रूप से रोजगार के मोर्चे पर राज्य सरकार ने अपनी ओर से प्रयास किए हैं, इसलिए लोगों का उस पर विश्वास कायम रहा है। पर जीत की खुशी में यह भ्रम किसी को नहीं होना चाहिए कि अब बेरोजगारी मुद्दा नहीं है। ऐसे युवाओं की विशाल आबादी है, जो मुश्किल समय में मिले रोजगार का महत्व जानती है। ठीक इसी तरह का मुद्दा है कृषि विकास और सुधार। किसान आंदोलन का असर नहीं के बराबर रहा है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि सरकार किसानों से किए गए वादों को भुलाकर भविष्य में कोई नुकसान झेले। कृषि क्षेत्र अभी भी हमारी अर्थव्यवस्था का एक बेहद महत्वपूर्ण आधार है। किसानों को उपज की उचित कीमत देने और आवारा पशुओं की समस्या सरकार के संज्ञान में रहनी चाहिए। सरकार के सामने तीसरी चुनौती शिक्षा के मोर्चे पर है, उत्तर प्रदेश में अच्छे शिक्षण संस्थानों की जरूरत है, ताकि किसी भी छात्र को प्रदेश के बाहर पढऩे न जाना पड़े। आबादी को कुशल बनाने की जरूरत है, ताकि उसे रोजगार या उद्यम में सुविधा हो। बीस प्रतिशत से ज्यादा आबादी अभी भी निरक्षर है, तो आजादी के अमृत वर्ष में उत्तर प्रदेश को भी जल्द से जल्द पूर्ण साक्षर बनाने का संकल्प लेना चाहिए। बजट बढ़ाकर प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा तक शैक्षणिक ढांचे को ऐसा चाक-चौबंद करना चाहिए कि प्रदेश विकसित राज्यों की श्रेणी में आ खड़ा हो। अच्छी चिकित्सा-व्यवस्था भी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। महामारी के समय युद्ध स्तर पर अचानक कुछ सुधार हुए हैं, मगर उत्तर प्रदेश समग्रता में चिकित्सा सेवा में पीछे है। नीति आयोग के अनुसार, चिकित्सा सेवा के मामले में बड़े राज्यों के बीच उत्तर प्रदेश निचले पायदानों पर है। प्रदेश को देश के श्रेष्ठ 10 चिकित्सा सुविधा वाले प्रदेशों में लाना प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रदेश सरकार की चौथी प्राथमिकता औद्योगिक विकास होना चाहिए। तमिलनाडु अपेक्षाकृत छोटा राज्य है, लेकिन वहां से लगभग एक तिहाई उद्योग ही उत्तर प्रदेश में लगे हैं। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा बाजार भले हो, लेकिन उद्योग लगाने या चलाने के मामले में तमिलनाडु बहुत आगे है। उत्तर प्रदेश में छोटे-बड़े हर प्रकार के उद्यम या निवेश की जरूरत है। इसके लिए सबसे बढ़कर है जन-भागीदारी। लोग अपनी आवाज खुलकर बुलंद कर रहे हैं। यह मुखरता स्थानीय स्तर पर बुनियादी सुविधाएं मांगने में भी इस्तेमाल होनी चाहिए। तमिलनाडु के लोग आगे बढ़कर सरकारी स्कूलों के लिए शिक्षक मांगते हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की नियमित मौजूदगी मांगते हैं, ध्यान रहे, यह काम दिल्ली की स्थानीय सरकार अपने स्तर पर ही करने की कोशिश कर रही है। बेशक, लोग जाति-धर्म से ऊपर उठकर सजग होंगे, तो सरकारें भी तेजी से काम कर सकेंगी।