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चीन के कुछ प्रांतों में आजकल कोरोना की ऐसी लहर आई है, जैसी विगत दो वर्षों में नहीं आई थी। कोरोना मामले दो वर्ष के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। शंघाई और अन्य प्रमुख शहरों में अधिकारियों ने अत्यधिक संक्रामक ओमीक्रोन वायरस को रोकने के लिए लक्षित लॉकडाउन और जांच को बहुत बढ़ा दिया है। चीन में महामारी के शुरुआती दिनों के बाद पहली बार कोविड मामले इस सप्ताह 1,000 का आंकड़ा पार कर गए हैं। वैसे दुनिया को कोविड-19 देने वाले चीन से जो आंकड़े आते हैं, उन पर पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन तब भी आधिकारिक गणना के अनुसार, चीन में शुक्रवार तक एक दर्जन से अधिक प्रांतों में कुल 1,369 मामले हो गए थे। चीन की शून्य कोविड रणनीति को देखते हुए ये मामले बहुत ज्यादा हैं, वहां इसे एक विफलता के रूप में भी देखा जा सकता है। वहां चूंकि सरकार की आलोचना का चलन नहीं है, इसलिए भी सरकार को जो उचित लगता है, वह करती है और चीन सरकार ने अभी कड़ाई से लॉकडाउन का फैसला किया है। ध्यान रखना चाहिए कि चीन आज भी कोरोना के एक-एक मामले का पीछा करता है, जैसी कोशिश कभी भारत में शुरुआती दिनों में हुई थी। हम एक-एक मामले का पीछा करने में नाकाम रहे और चीन विगत दो वर्ष से भी ज्यादा समय से इस उपाय को कामयाबी से अंजाम पर पहुंचा रहा है। दूसरी बात, चीन देश से बाहर जाने या बाहर से आने वालों पर कड़ी निगाह रखता है। संक्रमण भले ही वहां से निकलकर दुनिया में फैला हो, लेकिन कहीं से भी संक्रमण को चीन में कदम रखने की इजाजत नहीं है। बाहर से आने वाले एक-एक संदिग्ध को आज भी वहां क्वारंटीन किया जाता है और आश्वस्त होने के बाद ही आबादी के बीच जाने दिया जाता है। चीन में बड़े पैमाने पर टीकाकरण हुआ है। लगभग तीन अरब खुराकें दी गई हैं, देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को तीसरी खुराक भी मिली है। फिर भी नवंबर से चीन में रुक-रुककर वायरस विस्फोट हो रहा है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन के टीकों में विश्वास की कमी है, इसी वजह से कड़ाई करना चीन की मजबूरी है। अभी भी अगर चीन कोरोना दिशा-निर्देशों में ढील दे, तो महामारी का विस्फोट हो सकता है। वहां अभी भी तरह-तरह के कोरोना वायरस सक्रिय पाए जा रहे हैं। कुछ वायरस बेहद खतरनाक किस्म के हैं, जिन्हें लॉकडाउन और एकांतवास के जरिए ही रोका गया है। कुछ कमियों के बावजूद हमें यह देखना चाहिए कि वहां कुल मामले 1,500 भी नहीं हैं, जबकि भारत में कुल दर्ज सक्रिय मामले 40,000 से ज्यादा हैं और अभी भी 3,000 से अधिक नए मामले रोज आ रहे हैं। इतने मामलों के बावजूद भारत लॉकडाउन को पूरी तरह से पीछे छोड़कर आगे बढ़ गया है, शायद यही कारण है कि कोरोना आज भी साथ है। ठीक इसी तरह अमेरिका में अभी भी प्रतिदिन 40,000 के करीब मामले आ रहे हैं। दूसरी ओर, चीन के अधिकारी इस लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं कि जल्द से जल्द संक्रमण की शृंखला को तोड़ दें। वहां लोगों तक सीधे भोजन व जरूरी सामान पहुंचाकर एकांत में रखा जाता है। जहां भी संक्रमण के कुछ मामले मिलते हैं, वहां पूरी कड़ाई की जाती है, लेकिन बाकी इलाकों में व्यावसायिक या औद्योगिक कामकाज को पूरी तेजी से आगे बढ़ाया जाता है। यही रणनीति है कि वहां कोरोना भी काबू में है और विकास दर भी दहाई अंकों में है।