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आज सावन शिवरात्रि है। सावन शिवरात्रि 19 जुलाई रविवार के दिन पड़ रहा है। शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है, लेकिन सावन में आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि सावन शिव का महीना है, इसलिए इस महीने में पडऩे वाले हर त्योहार शिव पूजा के लिए खास हैं। शिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है।

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इस मंत्र का करें जाप
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए भोलेनाथ पर गुलाब की पंखुडिय़ां अर्पित करें। वहीं, विवाह में कोई अड़चन आ रही है तो शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते वक्त ऊं नम: शिवाय का जाप करें।

साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से बचने का उपाय
अगर आप शनिदोष से पीडि़त हैं या फिर आपको शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती के बुरे फल प्राप्त हो रहे हैं तो आज भगवान शिव को काले तिल मिलाकर जल अर्पित करना चाहिए और साथ ही ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करने पर आपको लाभ मिलेगा।

आज बैल को खिलाना चाहिए हरा चारा
सावन शिवरात्रि पर आपको नंदी यानी बैल को हरा चारा अवश्य खिलाना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है और जीवन में किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होता है।

रात को सोते समय इस मंत्र का करें जाप
शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम्।।
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू।
नम: पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नम:।।
नमस्ते परमानन्द नण: सोमार्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गत:।।

रुद्र गायत्री मंत्र
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।

बिल्व पत्र तोडऩे से पहले पढ़े ये मंत्र
अमृतोद्धव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।
गृहामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्।।

कैसे चढ़ाएं दूर्वा और तुलसी शिवजी को
दूर्वा और तुलसी शिवलिंग पर कैसे चढ़ाना चाहिए, यह जानने की जरूरत है। दूर्वा और तुलसी को अपनी ओर तथा बिल्व पत्र नीचे मुख पर चढ़ाना चाहिए। दाहिने हाथ की हथेली को सीधी करके मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल एवं बिल्व पत्र चढ़ाने का नियम है। भगवान शिव पर चढ़े हुए पुष्पों एवं बिल्व पत्रों को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारें।

शिवरात्रि पूजा विधि
आज शिवरात्रि है। घर पर या मंदिर में जाकर शिव की पूजा करें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें। शिव को जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, भांग, धतूरा, गंगाजल, भांग, सफेद फूल, सफेद चंदन, धूप आदि अर्पित करना चाहिए। भोलेनाथ के आगे दीपक और धूपबत्ती दिखाएं। शिव आरती उतारें। गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग लगाएं, बाकी प्रसाद स्वरूप लोगों में बांट दें।

सावन शिवरात्रि व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
आगर आप शिवरात्रि व्रत रखे है तो इन बातों को जरूर जान लें। आज काले वस्त्र का धारण न करें और न ही खट्टी चीजों का सेवन करें। पूरा दिन व्रत कर शाम को भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने के साथ आरती करें, और दीप जलाने के बाद व्रत को खोलें। इस दिन घर में मांस मदीरा न लाएं।

महामृत्युंजय मंत्र से लाभ
-ग्रहों के सारे कुप्रभाव नष्ट हो जाते हैं।
- शोक, मृत्यु के संकट टल जाते हैं।
-लंबे समय से चल रहे रोगों से मुक्ति मिलती है।
-पुराने कर्ज से मुक्ति मिलती है।

महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स:। ऊँ भू: भुव: स्व: ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धना। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात। ऊँ स्व: भुव: भू: ऊँ। ऊँ स: जूं हौं।

रोजगार के लिए और मनचाही नौकरी के लिए इस तरह करें पूजा
आज शिवलिंग पर जलधारा से भगवान शिव का अभिषेक करें। शिव मंदिर में 11 घी के दीपक जलाएं। इसके बाद ? विश्वनाथाय नम: का जप करें।

विवाह के लिए ऐसे करें पूजा
स्नान करने के बाद शिवलिंग पर 108 बेल पत्र अर्पित करें। इसके बाद हर बेल पत्र के साथ 'नम: शिवायÓ कहें। फिर जल की धारा अर्पित करें। शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें। ऐसे करने पर विवाह में आ रही सभी बधाएं दूर होगी और जल्द विवाह होगी।

मां पार्वती ने भोलेनाथ को किया था प्रसन्न
मनोवांछित फल पाने के लिए यह व्रत अति पावन है। शिवरात्रि व्रत रखकर आज शिव की पूजा जरूर करनी चाहिए। देशभर के ज्योतिर्लिंगों में आज विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आज भोले नाथ का अभिषेक करने का विशेष महत्व है। वैसे तो शिवरात्रि के पीछे कई मान्यताएं हैं, लेकिन सबसे विशेष यह है कि भोलेनाथ इस दिन मां पार्वती की भक्ति से प्रसन्न हुए थे।

धन की प्राप्ति के लिए इस तरह करें भगवान शिव का अभिषेक
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आज दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से भगवान शिव का अभिषेक करें, इसके बाद जल धारा अर्पित करें। फिर ? दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय का जप करें, इसके बाद धन प्राप्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें।

शिवरात्रि पूजा मुहूर्त
निशिथ काल पूजा - 20 जुलाई सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर
व्रत पारण का समय - 20 जुलाई सुबह 05 बजकर 36 मिनट पर
चतुर्दशी तिथि आरंभ - 19 जुलाई की रात 12 बजकर 41 मिनट पर
चतुर्दशी तिथि समाप्त - 20 जुलाई की रात 12 बजकर 10 मिनट पर
 
शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक कर शुरू करें पूजा-अर्चना
सावन शिवरात्रि आज है। सुबह उठकर स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप जरूर जलाएं। अगर आपके घर में शिवलिंग है तो शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करें। गंगा जल न होने पर आप साफ पानी से भी भोले बाबा का अभिषेक कर सकते हैं। इसका भक्तों को लाभ मिलता है।
 
यहां भी करें पूजा
आज सावन की शिवरात्रि है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करें, क्योंकि मान्यता है कि पीपल के पेड़ में भगवान शिव का वास होता है। ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ के ऊपरी हिस्से में भगवान शिव का वास होता है। पीपल के वृक्ष में ही शनि देव भी विराजते हैं, इसलिए पीपल की पूजा करने से शनि के प्रकोप कम होता है।
 
जानिए शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का शुभ समय
आज सावन की शिवरात्रि है। शिवलिंग पर अभिषेक करने के लिए शुभ समय सूर्योदय के बाद दोपहर 2 बजकर 45 तक है। लेकिन प्रदोष काल और रात्रि में महानिशिथ काल में पूजा भी शुभ फलदायी कहा गया है। वैसे आद्र्रा नक्षत्र और मिथुन लग्न के संयोग में सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक का समय सर्वोत्तम है। शाम में 7 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक प्रदोष काल में भी अभिषेक किया जा सकता है। इसके बाद निशीथ और महानिशीथ काल आरंभ हो जाएगा।
 
शिवरात्रि व्रत विधि
शिवरात्रि व्रत में विशेष ध्यान रखना होता है। इस व्रत के एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि को व्रती को एक समय भोजन करना चाहिए। फिर व्रत वाले दिन सुबह नित्य कर्म के पश्चात व्रत करने का संकल्प लें। फिर शाम के समय स्नान के पश्चात शिव की विधि विधान पूजा कर व्रत का समापन करना चाहिए।
 
पीपल के पेड़ की भी करें पूजा
पीपल के पेड़ की पूजा करें। क्योंकि मान्यता है कि पीपल के पेड़ में भगवान शिव का वास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पेड़ के ऊपरी हिस्से में भगवान शिव का वास होता है। पीपल के वृक्ष में ही शनि देव भी विराजते हैं, इसलिए पीपल की पूजा करने से शनि के प्रकोप से भी रक्षा होती है। लिंग पुराण में बताया गया है कि शनिवार के दिन पीपल की पूजा करने से उम्र बढ़ती है।
 
महामृत्युंजय मंत्र का करें 1 लाख बार जाप, रोग-दोष होंगे दूर
शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन अगर आप एक लाख बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो आपको सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही आप रोग और दोष से मुक्त हो जाते हैं। नकारात्मक शक्तियों से आपके और आपके परिवार की रक्षा होती है।
 
शिवरात्रि पर बाबा धाम में विशेष पूजन
सावन शिवरात्रि के अवसर पर बाबा धाम देवघर में विशेष पूजा अर्चना की जायेगी। कोरोना संकट के बीच आम लोगों के मंदिर में प्रवेश पर रोक है। ऐसे में जिला प्रशासन ने लाइव टेलीकास्ट की व्यवस्था की है। श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ का लाइव दर्शन कर पायेंगे और पूजन भी देख पायेंगे।
 
सावन शिवरात्रि व्रत में इन चीजों को भूल कर भी न करें सेवन
सावन शिवरात्रि का व्रत रखने वाले इस बात का ध्यान रखें कि वे किसी भी प्रकार की खट्टी चीज का सेवन न करें। साथ ही इस दिन काले वस्त्र न धारण करें। पूरा दिन व्रत रखे हुए हैं तो भगवान शंकर और माता पार्वती का ध्यान करें और उनका भजन गाएं। जो व्रत न रखे हों वे भी घर में तामसी चीजें न लाएं। मांस के सेवन से बचें। दूसरे दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजन के बाद ही व्रत तोड़ें।
 
ऐसे लगाएं भोग
सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ को तिल चढ़ाने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। इसके अलावा शिव को गेहूं से बनीं वस्?तुओं का भोग अर्पित करना भी शुभ माना जाता है, इसके अलावा ऐश्?वर्य पाने की आकांक्षा से मूंग का भोग लगाएं। वहीं मनचाहा वर पाने के चने की दाल का भोग भी लगाया जाता है।
 
शिवरात्रि पूजा सामग्री
महादेव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, लोटा, दूध, अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, अकुआ के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद व शक्कर), सूखे मेवे, पान, दक्षिणा।
 
कुंवारी कन्याओं को मिलता है विशेष लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन शिवरात्रि का व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए श्रेष्ठ माना गया है। शिवरात्रि व्रत करने से उन्हें मनचाहा वर मिलता है। वहीं जिन कन्याओं के विवाह में समस्याएं आ रही होती हैं उन्हें सावन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए।
 
आद्रा नक्षत्र में पड़ रहा है शिवरात्रि
इस माह 19 जुलाई, रविवार को सावन की शिवरात्रि है। इसी दिन आद्रा नक्षत्र भी पड़ रहा है। सावन की शिवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना कर शिवजी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
 
जानें शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं बेलपत्र
भोलेनाथ को जो बेलपत्र चढ़ाया जाता है उसमें छेद नहीं होने चाहिए। शिवलिंग पर तीन पत्ते वाले बेलपत्र चढ़ाने चाहिए जो कोमल और अखण्ड हों। वहीं, बेलपत्र पर किसी भी तरह का वज्र या चक्र का निशान नहीं होना चाहिए। बता दें कि पत्ते में सफेद दाग चक्र और डंठल में गांठ वज्र कहलाता है। शिवलिंग पर हमेशा बेलपत्र को उल्टा ही चढ़ाना चाहिए।
 
सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक करने का समय
कल सावन की शिवरात्रि है, इस सावन के महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए शुभ समय 19 जुलाई की सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक शुभफलदायी रहेगा। प्रदोष काल में जलाभिषेक करना काफी शुभ रहता है। ऐसे में 19 जुलाई की शाम के समय 7 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक प्रदोष काल में जलाभिषेक किया जा सकता है।
 
सावन शिवरात्रि पर महादेव जी करेंगें कष्ट दूर
कल सावन की शिवरात्रि है। इस दिन बाबा भोलेनाथ अपने भक्तों के संकट दूर करते हैं। सावन के महीने में उनकी विशेष कृपा बरसती है। इस दिन रुद्राभिषेक करने से भक्त के सभी पापों का विनाश भोले बाबा कर देते हैं।
 
सावन शिवरात्रि व्रत रखने पर नौकरी में मिलती है तरक्की
सावन शिवरात्रि के सिद्ध मुहूर्त में शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठित करवाकर स्थापित करने से व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में तरक्की मिलती है।

शादी में आ रही बाधा दूर करने के लिए इस मंत्र के साथ शिव-शक्ति की पूजा करें
- हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कान्तकांता सुदुर्लभाम।।
- साम्ब सदा शिवाय नम:।
 
इन मंत्रों का जाप करने पर सभी मनोकामनाएं होती है पूरी
कल सावन शिवरात्रि है। इस दिन महिलाएं सुख-सौभाग्य के लिए भगवान शिव की पूजा करतीं है। इस दिन शिवलिंग पर दुग्ध की धारा से अभिषेक करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
 ह्रीं नम: शिवाय ह्रीं ?।
 
इन चीजों को चढ़ाने पर भगवान शिव होते है प्रसन्न
गरुड़ पुराण के अनुसार सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बिल्व पत्र के साथ सफेद आंकड़े के फूल अर्पित करना चाहिए। इस दिन भगवान शिव को बिल्व पत्र व सफेद आंकड़े के फूल बेहद प्रिय हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को रुद्राक्ष, बिल्व पत्र, भांग, शिवलिंग और काशी अतिप्रिय हैं। इन चीजों को चढ़ाने पर भगवान शिव प्रसन्न होते है।
 
जानें व्रत के बाद पारण करने का नियम
सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर '? नम: शिवाय:Ó मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में भगवान शिवजी की पूजा करें, इसके बाद अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।

आज लें व्रत का संकल्प
आज त्रयोदशी है। कल शिवरात्रि है। गरुड़ पुराण के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पहले त्रयोदशी तिथि में शिवजी की पूजा करनी चाहिए। आज शाम को व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

महामृत्युंजय मंत्र
हौं जूं स: ? भूर्भुव: स्व:
त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनान
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात
स्व: भुव: भू: ? स: जूं हौं ?