
अहमदाबाद। मनुष्य के मन में अनेक प्रकार के विचार आते हैं। उसमें खास दो प्रकार के विचार देखेंगे। एक विचार मनुष्य को ऐसा आता है जो उसे उत्थान की ओर ले जाता है तथा दूसरी प्रकार का विचार जो मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है। जो विचार पतन की ओर जाता है वह विचार स्वयं के जीवन का नाश करता ही है बल्कि औरों के जीवन का भी नाश करवाता है। ऐसे विचार मनुष्य के जीवन का अपराधी तो बनता ही है किन्तु साथ ही औरों के जीवन का भी अपराधी बनता है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, प्रसिद्ध जैनाचार्य प.पू. राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है हमेशा विचार ऐसे करो जो तुम्हें उच्च स्तर तक पहुंचाए। जस्टीश रानजे के जीवन की एक घटना है जो बड़े नामी न्यायाधीश हुए है। एक बार रानडे की मम्मी ने लड्डू बनाए। रानडे के घर नौकर का लड़का भी था जो हमेशा बचपन में रानडे के साथ खेला करता था। रानडे की मम्मी ने अपने बच्चे के लिए बड़ा लड्डू एवं नौकर के लड़के के लिए छोटा खाया। जब रानडे की मम्मी को इस बात की जान हुई उसने रानडे पर गुस्सा करके डॉटा तब रानडे ने बताया मम्मी! आपने कल भी लड्डू बनाए थे कल आपने मुझे लड्डू दिया था। परंतु रामु को नहीं दिया तो मां! मैंने न्याय की तौर से बड़ा लड्डू रामु को देकर छोटा लड्डू मैंने खाया। क्या मां, इसमें मैंने कुछ गलत किया?
कहते है, बच्चे की यह बात सुनकर मां अचरिच में पड़ गई। लड़का छोटा है, परंतु इसमें कितनी समझ है। मां ने तुरंत उसके माथे पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया बेटा! बड़ा होकर तुं न्यायाधीश बनना। जो व्यक्ति स्वयं का विचार किए बिना अन्य के सुख दुख का विचार करके न्याय पूर्वक जीवन जीता है वह व्यक्ति जरूर कोई महान पुरूष बनता है। जीवन जीभो तो अन्याय किए बगैर न्याय एवं इंसाफ करो। अन्याय करके कभी किसी का बूरा मत करो। कहते है न्याय के लिए कभी अपने जीवन की कुर्बानी देनी पड़े तो भी तैयार रहना।
प्रवचन की धारा को आगे बढ़ाते हुए पूज्यश्री फरमाते है मेडिकल की क्लास में प्रोसेफर विद्यार्थीओं को धीर स्वर में पढ़ा रहे थे। विद्यार्थीओं को प्रोफेसर की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी। सभी को प्रोफेसर के सामने बोलने के लिए किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी। हरेक के मन में डर ता यदि प्रोफेसर इसी तरह धीरे स्वर में लेक्चर देंगे तो परीक्षा में फैल होने का पूरा चेन्स था। क्या करे? सभी उलझन में बैठे थे तभी किशन नाम के लड़के ने हिम्मत करके कहा, इस बीड़ा को मैं अपने हाथ में लेकर इसका रास्ता निकालूंगा।
यदि इंसाफ के लिए अपनी जान देनी पड़े तो भी किशन को चिन्ता नहीं थी। वह सीधा स्टाफ रूप में गया जहां मेडिकल के प्रोसेफर बैठे थे। किशन ने हिम्मत करके कह दिया सर आप इस तरह पढ़ाऐं तो नहीं चलेगा। आपको अपनी टोन सुधारनी पड़ेगी। सर! किशन पर गुस्सा हो गए। विद्यार्थीओं से कह दिया जब तक किशन मुझसे माफी नहीं मांगेगा तब तक मैं तुम लोगों को नहीं पढ़ाऊंगा। चार पांच दिन हो गए सर ने लेक्चर नहीं दिया। विद्यार्थी डरने लगे। परीक्षा नजदीक आ रही है। सभी फैला हो जाएगे।
अंग्रेजी में एक कहावत है कि 'जहां कठिनाईयां है वहां रास्ता जरूर हैÓ। किशन प्रीन्सीपल के पास गया। उनसे सारी बात की। प्रीन्सीपल ने मेडिकल प्रोफेसर को बुलाकर धमकाया। अब प्रोफेसर के मन में किशन के प्रति बदला लेने की भावना जगी। इसने मेरी शिकायत प्रीन्सीपल से की है इसलिए इसको फैल करके मजा चखाऊंगा।
पूज्यश्री फरमाते है आप जहां पर सच्चे हो वहां डरना नहीं अपनी बात को पकड़े रखना कभी न कभी आपको ईंसाफ जरूर मिलेगा। जहां सच्चाई हैं वहां ईंसाफ जरूर है। मेडिकल प्रोफेसर ने किशन को सचमुच ओरल परीक्षा में फैल कर दिया।
किशन प्रीन्सीपल के पास जाकर रोने लगा प्रीन्सीपल ने रेजिस्टर मंगवाकर उसकी हाजिरी देखी सीधा 50 मार्कस देकर पास कर दिया. जब मेडिकल प्रोफेसर को मालूम पड़ा कि प्रीन्सीपल ने उसे 50 मार्कस देकर पास किया है तब उन्होंने पूछा आपने ऐसा क्यों किया। प्रीन्सीपल ने बराबर जवाब दिया किशन इतना ब्रीलीयन्ट नहीं परंतु इतना मूर्ख भी तो नहीं कि उसे आप नापास करो।
जो व्यक्ति निडरतापूर्वक अन्याय के सामने लड़ता है उसे इंसाफ मिलकर ही रहता है। राग द्वेष के कारण मानलो, सेठ नौकर के प्रति, शिक्षक विद्यार्थी के प्रति, मालिक किरायेदार के प्रति नाईन्साफी करता हो तो डरना नहीं क्योंकि भगवान के घर देर है अंधेरे नहीं ईंसाफ मिलकर रहेगा। बस न्याय का पक्ष पकड़ाकर सत्त्वपूर्वक अन्याय के सामने लड़कर शीघ्र जीवन में सफलता पाओ यहीं सुभाशिष।