सामाजिक, प्रशासनिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत रहते हुए कई ऐसी महिलाएं हैं जो अपने कार्यक्षेत्र के कर्तव्यों के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों और महिलाओं के संपूर्ण विकास के लिए भी अथक प्रयास कर रही हैं। बलौदाबाजार जिले की इन संघर्षशील महिलाओं की वजह से जिले के विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर में बदलाव आया है। मगर महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्यगत विकास के लिए प्रयासरत महिलाओं का कहना है महिलाओं के स्तर में पहले की अपेक्षा उन्नति हुई है परंतु आज भी उनकी उन्नति और विकास के लिए महिलाओं के प्रति सहानुभूति, विश्वास और सामाजिक चेतना जगाने की जरूरत है।
अपने हक और अधिकार के लिए जागने की जरूरत- वर्ष 2018 से अब तक जिला सलाहकार मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के रूप में डॉ. सुजाता पांडेय अपनी सेवाएं दे रही हैं। उनके अथक प्रयास और सराहनीय कार्य की वजह से जिले में जहां महिला एवं किशोरी स्वास्थ्य और माहवारी स्वच्छता के प्रति लोगों की मानसिकता बदली है परंतु जो नहीं बदला वह है मानसिक रोगियों के प्रति धारणाएँ और उपेक्षा। सुजाता कहती हैं "जिला स्तर पर शासन की पहल पर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुडऩे के बाद मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ मानसिक रोगियों को चिकित्सकीय परामर्श और काउंसिलिंग देने का कार्य कर रही हूं परंतु मानसिक रोगियों की पहचान, देखभाल और ऐसे लोगों के प्रति सामाजिक चेतना जगाने की और जरूरत हैढ्ढ"
सुजाता का कहना है मानसिक रोगियों की पहचान करना, उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करना और उनकी काउंसिलिंग कर उनके मन में आने वाले विचारों को लोगों के समक्ष खुलकर रखने के लिए प्रेरित करना सबसे मुश्किल कार्य है। जिला अधिकारियों के सहयोग से काफी हद तक मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता का कार्य हो या तंबाकू सेवन के दुष्प्रभाव को जन-जन तक पहुंचाने का, दोनों ही कार्य बेहतर तरीके से कार्यान्वित हो रहा है परंतु वर्तमान में महिलाओं को खुद की इच्छा और खुद की पहचान बनाने और अपने हक एवं अधिकार के लिए खुद जागरूक होने की जरूरत हैढ्ढ
समाज के हर व्यक्ति की भलाई और तरक्की हो - समाज के हर व्यक्ति की भलाई और तरक्की की चाहत रखते हुए सविता दास (अंबुजा सिमेंट प्रोजेक्ट एज्युकेटिव छत्तीसगढ़ ) के रूप में कार्य कर रही हैं। इन्होंने महिला स्वयं सहायता समूह, महिला उत्थान और रोजगार कार्यक्रम के माध्यम से समुदाय में कई बदलाव करने की कोशिश की है। सबसे बड़ा बदलाव तो उन्होंने महिलाओं में आत्मविश्वास जगाकर बेहतर और आत्मनिर्भर जीवन जीने के प्रति ललक जगाकर किया है।सविता कहती हैं "छत्तीसगढ़ की महिलाएं बहुत मेहनती हैं, मगर यहां महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उनके परिवार के सदस्यों ( पति एवं अन्य लोगों ) का शराब सेवन करने से आती है ढ्ढ" उन्होंने बताया समुदाय में नशा करने वालों की संख्या ज्यादा है इससे कई बार व्यक्ति तनावग्रस्त या फिर मानसिक रूप से अस्वस्थ्य हो जाता है। इन वजहों से घरेलू हिंसा, मारपीट और परिवार विखंडन जैसे मामले भी देखने को मिलते हैं। "ऐसे स्थिति में महिलाओं को समझाकर उन्हें आत्म निर्भर बनाना और परिवार में अपनी आर्थिक भागीदारी को सुनिश्चित कराना उनका मुख्य उद्देश्य है. उन्होंने बताया आज जिले में 330 महिला स्वंय सहायता समूह है और 40 वोलेंटियर्स हैं जो महिलाओं को सशक्त और आर्थिक विकास कराने में सहायक हैं. सविता की इच्छा महिलाओं को अपनी योग्यता की पहचान कराकर उन्हें आर्थिक सबलता प्रदान करने की हैं और वह इस कार्य में अग्रसर हैंढ्ढ
महिलाएं प्रेम और सम्मान देंगी तभी महिलाओं को सम्मान मिलेगा - डॉ. निशा झा ( रिटायर्स शिक्षिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता) कहती हैं समुदाय में पहले और आज में काफी फर्क आया है। डॉ. निशा वर्तमान में महिलाओं , किशोर-किशोरियों को मोटीवेशन, ध्यान और योगाभ्यास के जरिए उनकी समस्याओं के निदान एवं सामाजिक स्तर पर उनके विकास के लिए मदद करने में अग्रसर हैं। डॉ. निशा कहती हैं "हमारे क्षेत्र में शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं। इतना ही नहीं महिला हिंसा निदान, मदिरा निषेध, बालिका शिक्षा, बालिका स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आई है। कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान लॉकड़ाउन में मैं बिलकुल अकेली थी, मेरे पति भी दूर थे। उस दौरान मैं अवसाद में जरूर आई मगर मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार की मदद और लगातार ध्यान एवं योगाभ्यास से मुझे काफी मदद मिली। साथ ही आसपास के लोगों में भी काफी डर और तनाव था। मैंने सकारात्मकता रखा और औरों को भी सकारात्मक रहने, की सलाह दी। साथ ही सावधानियां रखते हुए स्वास्थ्य का ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। मुझे याद है जब एक महिला ने हमारी सलाह मानकर अपने पति (नशे की लत से बीमार और मानसिक रोगी ) को स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र लाकर इलाज कराया था। इसे मैं ताउम्र नहीं भूल सकती हूं। महिलाएं प्रेम और सम्मान देंगी तभी महिलाओं को सम्मान मिलेगा ढ्ढ परंतु महिलाओं के लिए समुदाय की सोच में और बदलाव लाने की जरूरत है।
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