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नवरात्रि या नवरात्रों  हिंदू धर्म का बड़ा पर्व माना जाता है। इसका महत्व उतना ही हे जितना की दिवाली और दशेहरा का है. इस साल 10 अक्टुम्बर से शारदीय नवरात्रि का आगाज होने वाले है। इसी पावन असवर पर इस लेख में नवरात्रि का महत्व समझाया गया है।
'नवरात्रिÓ यह एक संस्कृत शब्द है। जिसका अर्थ होता नौ राते यह होता है। यह एक हिंदू धर्म का पर्व है। जिसे खास करके माँ दुर्गा को पूजने के लिये रखा गया है। यह पर्व पुरे भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस पुरे कार्यकाल में दुर्गा माता के नौ रूपों को पूजा जाता है।
नवरात्रि हर साल में चार बार आती है। पौष, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन यह चार नवरात्रि के पर्व है। जिसमे चैत्र मास और आश्विन मास का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस नौ दिनों के काल में तीनो देविओ(महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा) की पूजा की जाती है।
नवरात्र में जिन नौ देवी की पूजा की जाती है। उनका नाम इस प्रकार है
    शैलपुत्री : अर्थ - पहाड़ो की पुत्री
    ब्रह्मचारिणी : अर्थ - ब्रह्मचारीणी
    चंद्रघंटा : अर्थ - चाँद की तरह चमकने वाली
    कूष्माण्डा : अर्थ - पूरा जगत उनके पैर में
    स्कंदमाता : अर्थ - कार्तिक स्वामी की माता
    कात्यायनी : अर्थ - कात्यायन आश्रम में जन्मि
    कालरात्रि : अर्थ - काल का नाश करने वाली
    महागौरी : अर्थ - सफेद रंग वाली मां
    सिद्धिदात्री : अर्थ - सर्व सिद्धि देने वाली
भारत के विभिन्न प्रांत और राज्य में नवरात्रि मनाने का अलग-अलग तरीका है। जैसे गुजरात में यह त्यौहार गरबा और दांडिया के लिये बड़ा मशहूर है। महाराष्ट्र में घटस्थापना करके 9 दिनों तक उपवास किया जाता है। बंगाल की नवरात्रि उत्सव बड़े ही धूमधाम में मनाया जाता है। बंगाल में बड़े-बड़े पंडालो में माँ दुर्गे की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
यह बात सच हे की, हर प्रांत में अलग-अलग तरीकेसे त्यौहार मनाया जाता है। परंतु सबके मन में भक्ति और अपार श्रद्धा का भाव है। जो साथ आकर सब मिल जुट के सेलिब्रेट करते है।
धार्मिक और अध्यात्मिक के दृष्टिकोण से  नवरात्रि का महत्व : देखा जाए तो नवरात्रि के पीछे कही सारे धार्मिक और अध्यात्मिक कारण छिपे है। इसके कही सारे कथाये पुरानो में मौजूद है। लेकिन के यहापर दो मुख्य कथावो के बारे बताने जा रहा हूँ।
नवरात्रि कथा - 1
लंका युद्ध के दौरान श्री भगवान ब्रम्हा ने रावण वध के हेतु, श्रीराम को चंडी देवी को पूजकर प्रसन्न करने को कहा। फिर श्रीराम ने ब्रह्मा के आदेशनुसार चंडी पूजा हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल की व्यवस्था की थी। परंतु जब प्रभु राम पूजा में व्यस्त थे। तभी रावण ने छल-कपट और अपने मायावी शक्ति से एक नीलकमल गायब कर दिया। ताकि यह पूजा सफल ना हो पाए। लेकिन, जैसे ही रामजी को एक नीलकमल कम  दिखा। उन्होंने अपनी एक आँख देवी माँ को समप्रित करने की सोची।
अपने सोच-विचार के अनुसार रामजी ने जैसे ही धनुष्य के बाण से अपने नेत्र निकालने की कोशिष की, तभी माता प्रकट हुयी। उनको प्रभु राम का यह पूजा भाव काफी पसंद आया। उन्होंने प्रसन्न होकर प्रभु रामचंद्र को विजयश्री का आशीर्वाद दिया। जिस्से रामजी ने लंका युद्ध जीतकर विजय हासिल की थी।
वही दूसरी तरफ रावण ने भी अमृत्व हासिल करने के लिये चंडी का पाठ ब्राम्हणों द्वारा प्रारंभ कर दिया। परंतु इस पूजा-पाठ में हनुमानजी बाल ब्राह्मण का रूप धारण करके आ गए। और पूजा में एक श्लोक ऐसा था। "जया देवी मूर्ति हरिणी" परंतु इस श्लोक में हरिणी के जगह हनुमानजी ने ब्राम्हणों से करिणी ऐसा उच्चारित कर दिया। हरिणी का अर्थ "भक्तो के दु:ख और पीड़ा दूर करनेवाली" और करिणी का अर्थ "पीड़ा देने वाली" ऐसा होता है। जिससे माता काफी नाराज होगी और रावण को श्राफ दे दिया। अन्त: रावण का सर्वनाश हो गया।
ऐसा माना जाता है। की राम ने जब देवी माता को पुजना शुरू किया था। वह ठीक युद्ध के पहले का समय था। युध्द शुरू होने से पहले श्रीराम ने समुद्र तट पर देवी माता की पूजा और विधि शुरू की थी। फिर बादमे युद्ध शुरू और यह युद्ध 9 दिनों तक चला। जिसमे प्रभु रामचंद्र जी ने 10 वे दिन रावण का वध कर दिया। इसीलिये तभीसे नौ दिनोतक नवरात्रि मनाई जाती है। एवं दसवे दिन रावण के वध के प्रतिक में विजयादशमी(दशेहरा) मनाई जाती है।
नवरात्रि कथा - 2
इस कथा में बताया जाता है। की, पहले महिषासुर नाम का राक्षस हुआ करता था। जिसने कठोर भक्ति करके देवताओ से सदा अजय होने का वरदान हासिल कर लिया। परंतु जैसे ही वरदान प्राप्त हुया। महिषासुर ने उसका दुरुपयोग करन शुरू कर दिया। वह देवताओं से युद्ध लढकर उन्हें पराजित करने लगा। जिस्से परेशान होकर सभी देवताओ ने धरती पर पलायन कर दिया। फिर सभी भगवानो ने महिषासुर के वध हेतु मा दुर्गा का निर्माण कर दिया और अपने सारे शस्त्र और शक्ति देवी को समप्रित कर दिए।
फिर मा दुर्गा और महिषासुर के बिच नौ दिनों तक युद्ध चला। जिसमे माता ने इस राक्षस का वध कर दिया। यहिसे मा दुर्गे महिषासुरमर्दिनी के नाम से जानी जाने लगी।
वैज्ञानिक के दृष्टिकोण से नवरात्रि का महत्व : क्या आपने कभी सोचा है। की हम लगभग सारे त्यौहार रात्रि को ही क्यों मनाते है? भारत के प्राचीन काल से ऋषियों-मुनियों ने रात्रि को दिन की तुलना में अधिक महत्व दिया है। इसलिए तो हम दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्र आदि। उत्सवों को रात में ही मनाते आ रहे हे और यही हमारी परंपरा है। इसका मतलब साफ़ हे की, ऋषियों-मुनियों ने  रात्रि के खास महत्व को जाना था। यदि रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता। तो ऐसे उत्सवों को हम रात्रि में नहीं बल्कि दिनमे मनाते। साथ ही नवरात्रि के कार्यकाल को नवदीन कहकर दिन और उजाले में मनाते।
नवरात्रि का महत्व सिर्फ घार्मिक और वैज्ञानिक के नजरिये से नहीं बल्कि, वैज्ञानिक दृष्टी से भी नवरात्रि का अपना अलग महत्व है। जरसल दोनों ही बड़े नवरात्रों के समय ऋतु में बदलाव आता है। ऋतु में बदलाव  के कारण रोग और जंतु बड़े ही तेजी से फैलते है। जिन्हें असुरी शक्ति भी कहा जाता है। इस मौसम के बदलाव के कारण काफी बीमारिया फैलती हे। तथा मनुष्य जल्दी उस वातावरण में अपने आपको स्थिर नहीं कर पाता। जिसके कारण मनुष्य का शरीर कमजोर पड़ता हे एवं मानसिक बल में कमी आती है। परंतु नवरात्रि के हवन, पूजा और खास करके धुप के खुशबू से इन रोगों का अंत होता है। एवम यह व्रत शरीर और मन को पुष्ट और स्वस्थ बनाकर नए मौसम का सामना करने लिये तैयार करता है।
नवरात्रि पर व्रत रखने के फायदे
जो लोग नवरात्रि पर उपवास यानि व्रत करते है। उनको काफी सारे लाभ भी मिलते है। नीचे के कुछ लाभ हे जो हमें व्रत रखने पर मिलते है। सबसे पहला वैज्ञानिक लाभ जो मौसम में बदलाव आने के कारण कीटाणु फैलते है। उससे लढने के लिये शरीर तैयार होता है। दूसरा अध्यात्मिक लाभ यह है। की, माता की उपासना करने से और नौ दिनोतक अखंड ज्योति लगाने से माता की कृपा बनी रहती है। उस व्यक्ति को यां भक्त को कभी धन और सुख की कमी नहीं होती। नवरात्रि पर व्रत रखने से हम फिट रखते है। क्योंकि, व्रत में साधा आहार ही लिया जाता है। जिसमे फैट का बिलकुल ही प्रमाण नहीं होता। ज्यादा हैवी भोजन न ग्रहण करने से और हेल्थी भोजन लेने से शरीर के अंदर में कोई भी गंदगी नहीं जाती। जिस कारण हमारी त्वचा ग्लो करने लगती है। 
इस व्रत के बीच हम कम ही कैलरी का सेवन करते है। जिससे अतिरिक्त कैलरी बर्न हो जाती है। शरीर की चर्बी घटने के वजह से वजन काबु में आता है। नवरात्रि के दिन फल और तरल पदार्थो का सेवन ज्यादा किया जाता है। जिससे शरीर की गंधगी(टॉक्सिक) शरीर के बाहर चला जाता है। साथ ही शरीर में पानी की कमी भी दूर हो जाती है। नवरात्रि में व्रत रखने से न केवल शारीरिक फायदे मिलते है। बल्कि मानसिक लाभ भी हो जाते है। इस्से मनुष्य के मन को भी शांति मिलती है। साथ ही सकारत्मक ऊर्जा मिलती है। अध्यात्मिक और धार्मिक कार्य करने और माँ देवी को पूजने से मन में कोई भी बुरे विचार नहीं आते।