मुंबई। इस धरती पर जितने भी व्यक्ति ने जन्म लिया उन सभी को एक न एक दिन इस दुनिया को छोड़कर जाना ही है चाहे आपके हाथ में कितनी भी बड़ी सत्ता क्यों न हो? यदि आप अरबोपति हो या लाखों पति हो आपको अपनी इस संपत्ति-जायदाद विगेरे सभी को छोड़कर जाना ही पड़ेगा। दादा गुरूदेव लब्धि सूरीश्वरजी महाराजा अपने स्तवन की पंक्ति में बताते है।
जनारू जाय छे जीवन, जरा जिनवर ने जपतो जा
ह्रदय मां राखी जिनवर ने, पुराणा पाप धोतो जा
जीवन का एक-एक समय कीमती है। समय किसी के लिए रूकता नहीं है आप अपने मन में सोचकर बैठे है आज ही ये काम करना जरूरी नहीं कल करेंगे। कल को किसने देखा है। कल के भरोसे आप बैठे हो लेकिन समय किसी के लिए नहीं रूका। वह तो अपनी रफ्तार से चलता रहता है।
मुंबई में बिराजित प्रखर प्रवचनकार संत मनीषि, प्रसिद्ध जैनाचार्य प.पू.राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है परमात्मा महावीर का आयुष्य कुछ समय का ही बाकी ता ये आप अपने आयुष्य को एक अंतमुहत्र्त के लिए बढ़ा दो क्योंकि भस्मग्रह उदय में आने वाला है एवं आपके मोक्ष के बाद आपकी परम्परा में आने वाला है एवं आपके मोक्ष के बाद आपकी परम्परा में आने वाले साधु-साध्वीयों पर दो हजार वर्ष तक बाधा पहुंचेगी परंतु परमात्मा ने कहा, इन्द्र! आयुष्य को बढ़ाने के लिए कोई समर्थ नहीं है।
पूज्यश्री फरमाते है तीन लोक मके नाथ में यदि अपनी शक्ति के मुताबिक आयुष्य को बढ़ाने की ताकात नहीं तो हम तो उनके आगे कुछ नहीं है।
कहते है सूर्य की दृष्टि जैसे ही कमल पर पड़ती है वह खिल उठता है शाम को वह मूरझा जाता है इसी तरह हरेक मनुष्य का जीवन भी आयुष्य की समाप्ति में पूरा हो जाएगा। जिस समय हमें जो अवसर मिले उस अवसर का पूरी तरह से उपयोग करना है
एक युवान युवानी की जोश में कार चला रहा ता उसका ध्यान नहीं गया और एक वृद्ध स्त्री अडफट मां आ गई और उसकी मौत हो गई। इस युवान को 20 साल की कैद हुई वह एक कोठरी में रहकर अपनी सजा भुगत रहा था। एक दिन अचानक कोठरी के बाहर बोम्ब फूटा। सब लोग अपनी जान बचाने ईधर उधर दौडऩे लगे। युवान भी डर गया उसने भी कोठरी में कोई रास्ता बचने का हो तो ढूंढने लगा। अचानक उसकी नजर कोठरी की एक खिड़की पर गई। वह खिड़की का अगरल खोला तो दरवाजा खुल गया। खिड़की के बाहर खुल्ला मैदान था तथा खिड़की अंदर से ही खुलती थी।
यह देखकर उस युवा को हंसा आया दूसरी ओर उसे काफी अपसोस भी हुआ। खिड़की अंदर से ही खुलती थी फिर भी युवान ने 20 वर्ष अंधेरी कोठरी में निकाले इसका उसे खूब दु:ख हुआ तथा दूसरी ओर खुल्ले मैदान को देखकर मुक्ति का हर्ष भी हुआ। कैदी छलॉग लगाकर सीधा मैदान में आग गया अब वह एक पंछी की तरह स्वतंत्रता को महसूस करने लगा।
पूज्यश्री फरमाते है जो मौका हाथ लगा है उसका उपयोग करो। लॉकडाउन के कारण आप शांति से घर पर बैठे हो अब तक आप पैसों के लिए दौडऩे रहे हो कभी आपको पूजा-सामायिक माला विगेरे करने का मौका नहीं मिला। आप हमेशा व्यस्त रहा करते थे अब तो यह मौका आपके हाथ लगा है शीघ्रता से मौके का उपयोग करो। जिंदगी समाप्त होने वाली ही है। आयुष्य पूरा न हो तब तक आप आराधना में जुड़े रहो। पुण्य का उपार्जन करके शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।
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