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लद्दाख को लेकर जिस तरह चीन का रवैया रहा है, इससे स्पष्ट हो गया है कि चीन कभी भी भारत को धोखा दे सकता है। अब चीन पर किसी भी स्तर पर विश्वास नहीं किया जा सकता। चीन को सबक सिखाने के साथ ही उसकी चाल को मात देने के लिए सतर्क रहने की भी जरूरत है।
भारत ने चीनी आधार वाले नए 47 एप को प्रतिबंधित कर अपनी उसी नीति को आगे बढ़ाया है, जिसके जरिए हम अपने लिए सुरक्षा जुटाना चाहते हैं। इसके पहले 29 जून को भारत सरकार ने 59 एप पर प्रतिबंध लगाया था। बताया जा रहा है कि जिन नए 47 एप पर प्रतिबंध लगाया गया है, वे पिछले एप से मिलते-जुलते या जुडे़ हुए एप हैं। अभी सैकड़ों एप भारत सरकार की निगाह में हैं, इसका अर्थ है कि आने वाले दिनों में और भी चीनी एप पर प्रतिबंध लगने की संभावना है। भारत सरकार अपने नागरिकों से संबंधित डाटा की सुरक्षा के लिए सचेत हुई है, तो इसका स्वागत होना चाहिए। विगत एक दशक से डाटा सुरक्षा को लेकर चर्चाएं हो रही थीं, लेकिन हम इन खतरों के प्रति अब तक उदासीन ही थे, जिसकी वजह से चीन जैसे अविश्वसनीय देश के एप भारत में  दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे थे। चीनी एप भारत में विगत पांच-छह वर्षों में कुछ ज्यादा ही मजबूत हो गए थे और उनका एक ऐसा शक्तिशाली नेटवर्क बन गया था कि लगता था, देश इससे कभी निकल नहीं सकता। लेकिन गलवान के तनाव ने भारत को सोते से जगा दिया और जिस कदम को असंभव माना जा रहा था, वह भारत सरकार ने आसानी से उठा लिया। भारत सरकार के इस कदम की पूरी दुनिया में चर्चा है और अब तो दूसरे देश भी इसके लिए प्रेरित हो रहे हैं।
जिन 47 एप पर अब प्रतिबंध लगाया गया है, वह तो एक सिलसिले की कड़ी भर है। अब ऐसे कदम हमारे लिए मजबूरी हो गए हैं। गौर करने की बात है कि बीजिंग ने भारत द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर अपना कोई आधिकारिक या सकारात्मक कदम जाहिर नहीं किया। उसने कतई यह संकेत नहीं दिया कि उसे भारतीय डाटा सुरक्षा की चिंता है। अगर चीन चिंतित होता, तो वह भारत को आश्वस्त करने की कोशिश अवश्य करता, लेकिन चीन ने यही जाहिर किया कि उसकी कंपनियां बिल्कुल सही कर रही थीं और भारतीय डाटा की कोई अहमियत नहीं है। काश, जो देश अपने डाटा को सौ तालों में बंद रखता है, वह भारत जैसे विशाल देश की भी चिंता को समझ पाता। वह चाहता, तो यह बोल सकता था कि उसकी कंपनियां भारत से कोई डाटा बाहर नहीं लाएंगी, लेकिन उसने अपने अक्खड़पन से यही आभास कराया कि भारत में मौजूद चीनी एप के उपभोक्ता इंसान नहीं, डाटा और धन उगलने की मशीन मात्र हैं। आखिर क्या कारण है कि चीन ने अपने देश के एप पर लगे प्रतिबंध के बाद चूं तक नहीं किया, शायद उसे यह अंदाजा होगा कि वह येन-केन-प्रकारेण भारत में घुसपैठ कर लेगा। अब यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि ये जो 47 एप प्रतिबंधित हुए हैं, वे चीन की इसी येन-केन-प्रकारेण घुसपैठ का हिस्सा थे। भारत को लगातार ऐसे कदम उठाने पड़ेंगे और पहले से कहीं ज्यादा सतर्क रहना पडे़गा।
चीन एक ऐसे देश के रूप में सामने आ चुका है, जिसे भारत से केवल फायदा लेना आता है। उसे भारतीयों की भावना की कोई कद्र नहीं है। गलवान में विभिन्न दौर की सैन्य वार्ताओं में पीछे हटने के लिए सहमत होने के बावजूद चीन ने जमीन पर कई जगह अपनी मनमानी के तंबू गाड़ रखे हैं। वह हमें विवश कर रहा है कि हम अपने लिए चिंतित  हों और अपनी सुरक्षा के हरसंभव कदम उठाएं। आज हमारी दृढ़ता  समय और संसार की मांग है।