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मुंबई। हरेक के जीवन में सुख के प्रसंग के साथ दु:ख के प्रसंग भी आते है। सुख के प्रसंग में मानवी आनंद एवं प्रसन्नता में रहता है जबकि दु:ख के प्रसंग में सम्भाव लाना, प्रसन्नता को टिकाना कठिन कार्य है परंतु दुनिया में ऐसे भई लोग देखे है जो दु:ख के प्रसंग में भी अपनी मस्ती से जीवन जीना जानते है।
मुंबई मे बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि प्रसिद्ध जैनाचार्य प.पू. राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है नरसी मेहता की पत्नी अपने पति की सेवा में करकसर नहीं रखती थी। सानुकूल पत्नी की सेवा मिलने के बावजूद नरसी मेहता अपनी मस्ती में मस्त रहते थे। एक बार नरसी मेहता प्रभु भजन में मस्त थे तब किसी ने आकर समाचार दिया कि आपकी पत्नी बैकुंठ वासी हो चुकी है, फिर भी आप यहां परमात्मा भक्ति में बैठे है। समाचार लाने वाले व्यक्ति ने देखा कि पत्नी के अवसान के समाचार सुनकर भी इनके मुख पर तनिक भी दु:ख की रेखा नहीं थी बल्कि नरसी मेहता ने उस व्यक्ति को कहा, भलुंथयुं भांगी जंजाल, सुखे भजीशुं श्री गोपाल। कहते है इस प्रकार के दु:ख के समाचार सुनकर क्या आपकी मस्ती टिक सकती है? नहीं।
पूज्यश्री फरमाते है इस मस्ती को टिकाने के लिए मन मजबूत एवं दृढ़ चाहिए। हरेक चीज में सद्गुण भी है दुर्गुण भी है। हमें सिर्फ सद्गुण की ोर ही दृष्टि रखनी है। व्यक्ति में दुर्गुण भी दिखेंगे किंतु हमारे मुख को सद्गुण की ओर ही करना है। तभी हम सुंदर रूप से जीवन जी सकेंगे।
आज का युग पॉजिटिव एप्रोच के मुताबिक चल रहा है। आपके जीवन में यदि शारीरिक दु:ख हो अथवा तो मानसिक दु:ख हो तो आप यदि पोझीटीव अेप्रोच रखेंगे तो आप शीघ्र दु:ख से मुक्त हो जाओंगे। कितने चिंतको का कहना है आज कल के युवा दु:ख के कारण डीप्रेशन में आ जाते है। पूज्यश्री ऐसे युवानों को खास सलाह है आपके जीवन में कैसा भी दु:ख का पहाड़ क्यों न टूट पड़े आपको पॉजिटिव थींकिंग करना है। आप पोझीटीव थीकिंग करोंगे दु:ख कितना भी भयंकर क्यों न हो आप उससे जरूर मुक्त बन पाओंगे। असल कैंसर के रोगी को पॉजिटिव अेप्रोचवाले डॉक्टर कहते है  कि यदि डॉक्टर को पूरी तरह से सहकार दें तथा सकारात्मक विचारों में आ जाए तो डॉक्टर उनका कैंसर रोग मिटा सकते है। पूज्यश्री का कहना है आज मानवी असहिष्णु बन गया है थोड़ा भी दर्द आ जाए तो तुरंत ही उसके मुख से एक ही बात निकलती है हाय! मैं मर गया। दर्दी जितनी बार में मर गया शब्द बोलता है उनता ही जल्दी वह इस दुनिया को छोड़कर करके चला जाता है। अंग्रेजी में कहावत है।
च्च्ड्डद्य2ड्ड4ह्य द्मद्गद्गश्च श्चशह्यद्बह्लद्ब1द्ग ह्लद्धद्बठ्ठद्मद्बठ्ठद्द 4शह्व 2द्बद्यद्य ड्ढद्गष्शद्व ह्नह्वद्बष्द्म ड्डद्यह्म्द्बद्दद्धह्लज्ज् आप हमेशा पोझीटीव विचार में रहोंगे तो आप अपने दु-खो से शीघ्र मुक्त बनकर स्वस्थ पाओंगे।
ओलपिंक दौड़ में भाग लेने वाला एक युवान के दोनों पैर कट गए। कितने लोग उस युवान की आस लेकर बैठे थे जैसे ही उस युवान के पैर कट जाने के समाचार मिले वे सभी हताश हो गए। क्या अब वह युवान दौड़ नहीं खेल पाएगा? सब के मन में इस प्रकार के विचार आए। वह आप नक्ली पैर डाल दो ताकि मैं ओलपिंक में जीत शकुं।  डॉक्टर उस युवान को कहते है, बेटा! अब ये शक्य नहीं है। तुम्हारे दो पैर नहीं है मानलो मैं दोनों नकली पैर जोड़ भी दूं तो भी तुम पूर्व की तरह शक्ति नहीं जुटा पाओंगे इस युवान का मनोबन दृढ़ था। हिम्मत जुटाकर वह फिर से नकली पैरों से प्रेक्टिस करने लगा तथा एक दिन उसके जीन में एक ऐसा चमत्कार हुआ कि वह ओलपिंक दौड़ में मेडल को जीत पाया।
पूज्यश्री फरमाते है मानव यदि अपना मनोबल मजबूत रखेगा तथा हमेश पॉजिटिव थींकिंग करेगा तो वह अवश्य दु:खों से मुक्त बन पाएगा। आज आप सभी को संकल्प करना है कैसा भी दु:ख का पहाड आप पर टूट पड़े उन दु:खों को सहन करके शीघ्र दु:ख से मुक्त बनके आत्मा से परमात्मा बनता है।