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बीना राय
शिक्षा किसी भी राष्ट्र अथवा समाज के समुचित विकास एवं निरंतर उत्थान का मुख्य कारक माना गया है किंतु पिछले डेढ़ सालों से कोविड-19 महमारी के दुष्परिणाम से यदि सबसे अधिक कोई प्रणाली अथवा व्यवस्था का ह्रास हुआ है तो वह है शिक्षा प्रणाली। वर्तमान समय में शिक्षा को विद्यालय जाकर प्राप्त करने की व्यवस्था का स्थान ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली ने ले लिया है जो कि घर बैठे ही बच्चों को फोन लैपटॉप कंप्यूटर इत्यादि से प्राप्त करना है जिसके लाभ तो बहुत कम है किंतु दुष्परिणाम बहुत सारे देखे जा रहे हैं। इस महामारी के संकट पूर्ण समय में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली मात्र एक अल्पकालिक विकल्प के रूप में तो सही है किंतु इसे प्राय: के लिए अनिवार्य बनता यदि देखा जाए तो यह एक चिंता का विषय है। 
शिक्षा को प्राप्त करने एवं प्रदान करने के लिए विद्यालय नाम की व्यवस्था का विकास हुआ जहां अध्यापकों एवं छात्रों का समूह रहता है जिसमें बच्चे अपने किसी विशेष विषय के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के अध्यापकों से एवं अपने हमउम्र बच्चों के संगत से विभिन्न प्रकार के जीवन के महत्वपूर्ण बातों को सीखते हैं किंतु इस ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में बच्चे दैनिक जीवन से संबंधित तरह-तरह के अनिवार्य अनुभव एवं सामूहिक खेलकूद में होने वाले शारीरिक एवं मानसिक विकास उसे भी पूर्णता वंचित रह जा रहे हैं। इस ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में बच्चे को घर बैठकर सुबह 8:00 बजे से लेकर 1:00 या 1:30 बजे तक अपने स्मार्टफोन अथवा लैपटॉप की स्क्रीन पर निरंतर देखना पड़ता है जो कि बच्चों की आंखों के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो रहा है तथा साथ ही साथ बच्चों में गर्दन सर दर्द और चक्कर जैसी बीमारी अधिक मात्रा में पाई जा रही है। यदि कोई बच्चा शारीरिक रूप से स्वस्थ ही नहीं होगा तो वह शिक्षा क्या ग्रहण करेगा और इस दर्द और तकलीफ के साथ-साथ बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन पाया जा रहा है । 
वर्तमान समय में इस महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के विकास को देखते हुए बहुत सारे ऑनलाइन टीचिंग ऐप जैसे टीचमिंट, वॉइज ,क्लासप्लस इत्यादि बहुत तेजी से विकसित हो रहे हैं जिसे सी बी एस सी के प्राइवेट संस्थानों के साथ साथ कुछ सरकारी विद्यालयों में भी अपनाया जाने लगा है जिसका फायदा संपूर्ण रूप से बराबर ढंग से सभी छात्रों को मिलना असंभव है क्योंकि बहुत सारे अभिभावक ऐसे भी हैं जिनके सिर्फ एक या दो बच्चे नहीं है बल्कि तीन या चार बच्चे हैं और जो आर्थिक रूप से इतने मजबूत भी नहीं है कि जो अपने सभी बच्चों को अलग-अलग स्मार्टफोन या लैपटॉप इन सारे ऐप से शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रदान कर सकें ऐसी स्थिति में घर में भाई बहन में आपस में कलह का वातावरण उत्पन्न हो रहा है किसी को शिक्षा मिल पा रहा है तो कोई वंचित रह जा रहा है। 
प्राय: देखा गया है कि कोई भी सिस्टम जो टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ हो और कार्य को करने में आसानी प्रदान करता है तो उसकी पकड़ मानव जीवन में अत्यंत मजबूत हो जाती है ठीक इसी तरह से ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली भी इतनी तेजी व प्रबलता से विकसित होता हुआ देखा जा रहा है कि भविष्य में इससे परे शिक्षा ग्रहण करने के माध्यम को सोचना असंभव सा लगने लगा है।
परिवर्तन संसार का शाश्वत सत्य है किंतु कुछ परिवर्तन प्राकृतिक रूप से घटित ना होकर हम मनुष्यों द्वारा घटित अथवा स्वीकार किया किए जाते हैं । किंतु जो परिवर्तन मनुष्य के उत्थान हेतु अल्प सहायक लेकिन बहुत सारे घातक परिणामों से समाहित हो ऐसे परिवर्तन को स्वीकारना अथवा प्रचलित होने देना बुद्धिमत्ता की बात नहीं है।
सरकार यदि समुचित ढंग से इस चिंताजनक विषय पर विचार की होती तो जिस तरह से चुनाव में होने वाले समारोह पर रोक नहीं लगा तथा समाज के संभ्रांत परिवारों के विवाह इत्यादि समारोह में लगने वाली भीड़ ऊपर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लग पाया दारू की दुकानें खुली इन सब के बजाय शिक्षा व्यवस्था पर समुचित विचार-विमर्श करके विद्यालयों को बंद करने से रोका जा सकता था। शिक्षा जो कि समाज के विकास का अत्यंत महत्वपूर्ण घटक व कारक है उसके ऐसे ह्रास से समाज के पतन को रोकना भी असंभव हो जाएगा। इस ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के कारण दसवीं और बारहवीं के सभी छात्रों को समान रूप से पास कर दिया जाना भी अत्यंत चिंता का विषय है क्योंकि इस तरह की व्यवस्था को देखते हुए कुछ होनहार और परिश्रमी छात्रों का भी पढऩे में मन नहीं लगेगा अत: इस तरह हमारा समाज देखते ही देखते अशिक्षित व्यक्तियों से भरा हुआ होगा जिसमें शांति और आनंद को प्राप्त करना अत्यंत असंभव प्रतीत होगा।