हिंदू धर्म में प्रत्येक मास में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण तारीख होती हैं जो पूजापाठ और व्रत करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन्हीं में से एक होता है प्रदोष व्रत। इस महीन की त्रयोदशी को प्रदोष का व्रत रखा जाता है और शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। जब यह प्रदोष का व्रत सोमवार को पड़ता है तो सोम प्रदोष व्रत कहते हैं और जब यह व्रत मंगलवार को पड़ता है तो इस भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस महीने आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत 15 सितंबर, मंगलवार को पड़ रहा है। यानी इस बार का प्रदोष भौम प्रदोष कहलाएगा। इस बार भौम प्रदोष व्रत के साथ ही बेहद खास संयोग भी लग रहा है। आइए जानते हैं क्या है यह संयोग और प्रदोष व्रत से जुड़ी खास बातें…
इस बार खास संयोग
इस बार के भौम प्रदोष व्रत में एक खास संयोग पड़ रहा है। भौम प्रदोष व्रत है जिस दिन होता है उस दिन त्रयोदशी मंगलवार को पड़ती है और इस बार मंगलवार को ही यानी त्रयोदशी के दिन से ही चतुर्दशी लग रही है, जो कि बहुत ही खास संयोग माना जा रहा है। दरअसल हर मास में चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और व्रत रखकर शिवजी की पूजा की जाती है। त्रयोदशी के दिन ही चतुर्दशी का लग जाना धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। इसलिए इस बार के प्रदोष व्रत का खास महत्व माना जा रहा है।
पुत्र की इच्छा पूर्ण होती है
शिव भक्तों में भौम प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस व्रत से हजारों यज्ञों को करने का फल प्राप्त होता है। इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है और दरिद्रता का नाश होता है। संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का काफी महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इससे संतान की इच्छा रखने वालों के संतान की प्राप्ति होती है और संतान दीर्घायु होती है।
मंगल का दोष भी होगा दूर
जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष हो उन्हें भौम प्रदोष व्रत करना चाहिए। इस व्रत को करने से मंगल का अशुभ प्रभाव दूर होता है। अगर आप मूंगा धारण करने का विचार कर रहे हैं तो आपके लिए यह दिन सबसे उपयुक्त है। इस दिन हनुमानजी के मंदिर में जाकर दीपक जलाएं और सिंदूर का चोला भी चढ़ा सकते हैं।