पुत्रदा एकादशी सावन मास के शुक्ल पक्ष के ग्यारवें तिथि को पड़ती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि विधान से किया जाता है। फलस्वरूप निसंतान दंपत्ति को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। हिंदी पंचांग के अनुसार, मास के दोनों पक्षों के ग्यारवें तिथि को एकादशी के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया गया है। साल में 24 से 26 एकादशी हो सकते हैं। साल के सभी एकादशी का अपना-अपना महत्व है। हालांकि पुत्रदा एकादशी साल में दो बार पड़ती है। पुत्रदा एकादशी सावन मास के शुक्ल पक्ष के ग्यारवें तिथि को पड़ती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि-विधान से किया जाता है। फलस्वरूप नि:संतान दंपत्ति को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। आइये जानते हैं सावन मास में पडऩे वाले पुत्रदा एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?
पुत्रदा एकादशी पारण का समय - 19 अगस्त 2021 दिन गुरुवार को सुबह 06 बजकर 32 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक एकादशी पूजा विधि पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान के बाद व्रत का संकल्प कर लें। इसके बाद पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। समीप के किसी मंदिर या घर के मंदिर में भगवान विष्णु को पील फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसी आदि अर्पित करना चाहिए। हालांकि अगर पुत्र कामना के लिए व्रत रखना है तो पति-पत्नी दोनों को ही व्रत का संकल्प लेना पड़ेगा। उसके बाद भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। भगवान कृष्ण को पंचामृत बहुत पंसद है, इसलिए इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है।
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