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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी या जलझूलनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा में करवट लेते हैं। इस साल परिवर्तनी एकादशी की तिथि 17 सितंबर शुक्रवार को पड़ रही है।
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी या जलझूलनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा में करवट लेते हैं। चतुर्मास की एकादशी होने के कारण इस दिन व्रत का विशेष महत्व है। इस साल परिवर्तनी एकादशी की तिथि 17 सितंबर, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन व्रत और पूजन से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। आइए जानते हैं परिवर्तनी एकादशी तिथि, मुहूर्त और पूजन की विधि....
परिवर्तनी एकादशी का मुहूर्त : पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 16 सितंबर को सुबह 09 बजकर 39 मिनट से शुरू हो कर 17 सितंबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी, इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। हालांकि एकादशी तिथि 16 सितंबर को पूरे दिन रहेगी लेकिन इस दिन का सूर्योदय एकादशी तिथि के पहले पड़ रहा है। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी 17 सितंबर, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। 
परिवर्तनी एकादशी की पूजन विधि : परिवर्तनी एकादशी को पापनाशिनी एकादशी माना जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती तथा वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार का पूजन किया जाता है। परिवर्तनी एकादशी के दिन प्रात: काल में स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके पश्चात पीले रंग के आसन पर भगवान विष्णु को स्थापित कर पूजन करना चाहिए।
 एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, मिठाई और हल्दी मिला जल चढ़ाना चाहिए। भगवान विष्णु को गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए। इस दिन किसी गरीब को पीले वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।