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अहमदाबाद। विश्व में अनेक धर्म है। पर कोई भी धर्म को शासन कहां नहीं गया है। वैष्णव शासन, क्रिश्चियन शासन के मुस्लिम शासन नहीं कहां जाता है, किंतु जैन धर्म को जैन शासन कहां जाता है।
शासन शब्द का निरंतर स्मरण करते करते जैनं जयति शासनम् का जयनाद गुंजाते गुंजाते संहिसा का आंदोलन कराते हुए गीतार्थ गच्छाधिपति प.पू. राजयशसूरीस्वरजी  म.सा. ने श्रोताओं संबोधित करते हुए बताया कि आज 2 अक्टूबर का अहिंसा सत्य के हिमायली महात्मा गांधी जी का और प्रमाणिक लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन है। यह दोनों विरल व्यक्त्वि के स्वामी है। जिन्होंने देश के लिए अनेक सुन्दर कार्य किए है। भले वो जैन नहीं है, किन्तु वो महान पुरुष की जीवन शैली करीब करीब जैन धर्मानुसार ही दिखाई देती है।
पोरबंदर में पूतली बा जैन साधु के पास जाते थे। वो समये महात्मा गांधी जी ने कहां कि अभ्यास हेतु विदेश जाना है। मां ने कहां अभ्यास हेतु भले ही विदेश जाओ, परंतु कुछ नियम लेकर जाओ। जैसे कि मांसाहार का त्याग करना। दारू न पीना। व्यसना से दूर रेहना। कुछ पापो से दूर रेहना। 
गांधी जी ने माता के वचनों का स्वीकार किया। और पूछा कि किसके पास नियम अंगीकार करूं। उस समय में पुतली बाई ने कहा कि निकट के उपाश्रय में जैन साधु जिराजित है। वे ऐसे सब पापो से दूर रहने से परम पवित्र महात्मा स्वरूप है। उनके दर्शन वंचन करके तुम नियमों का अंगीकार करना। माता कि आज्ञानुसार गांधीजी ने जैन साधु के पास जाकर नियम ग्रहण किए, और विदेश के भौतिक वातावरण में भी इन नियमों का निष्ठापूर्वक पालन किया। 
अगर राजा घमी हो तो प्रजा में धर्म के बीजारोपण करते है। ऐसी दीर्घ दृष्टि आपने जैनाचार्य में था, इसीलिए जगद्गुर हीरसूरीश्वरजी म.सा. जैसे जैनाचार्य ने अकबर बादशाह के पास दिल्ली आए। उस समय नादान लोक सोचते थे कि, किस लिए जगद््गुरु अकबर बादशाह को मिलने जाने कि आवशायकती है। किंतु व्यापक दृष्टि के स्वामी ऐसे महान जैनाचार्येन अकबर बादसाह को प्रतिबोध करके, अमारि प्रवर्तन (जीवदाय) का महान कार्य किया। और खुद अकबर राजा प्रतिदिन सवाशेर चकली की जीभ का भोजन करते थे। हीरसूरीश्वरजी म.सा. ने उनके दिल में जीवदया का महत्व समजाया। गुरू म.सा. के हितोपदेश से एक मांसाहारी राजा को संपूर्ण शाकाहारी बनाकर, उनके राज्यों में अहिंसा की शहनाई गुंजति करा जैनं जयति शासनम् का नाप फैलाया। चुनो तथा एक सौ बैतालीश देशों की संस्था क्या काम करनी है, वह हमें नहीं जानना है, किंतु उस संस्था कि एक मुसलमान महिला ने प्रपोक्ष रखा कि गांधीजी के जन्मदिन को विश्व अहिंसा दिन मनाना चाहिए। हर किसी के विचारों में हम सहमत भले ही नहीं हो सकते है। लेकिन किसी के भी अच्छे और उच्चतम विचारों मे्ं अवश्य ही सहमत होना चाहिए। चुनो के यह अच्छे विचारों का हमें भी स्वीकारना चाहिए।
लाल बहादुर शास्त्री जैसी सादगी और प्रमाणिकता से हम जी नहीं सकते है किन्तु उनके आदर्सों का आलंबन तो अवश्य ले सकते है। लालबहादुर शास्त्री की धर्म पत्नी ने कहा कि घर में परदा करवाना है। पैसां दो तो में बाजार से कपड़ा लाकर परदा करवा दुं। तब लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि मेरे पास पडदे लाने के पैसा नहीं है। सोफा सेट के कपड़े में से पडदा करा लो। उन्हें ने कभी गवमेंट गाड़ी का उपयोग नहीं किया। लोन लेकर गाड़ी ली थी। उनके जीवन के अनेक प्रसंग अनुमोदनीय एवम् अनुकरणीय है। आज के राजयकीय नेताओ के लिए आदर्शस्वरूप है। वैसे सूत्रों को अपना चाहिए। गीतार्थ गच्छाधिपति प.पू. राजयशसू.म.मा. की मिश्र में ता. 3 अक्टूबर को एच.बी. कावडिया द्वारा संचालित प्रेरणा हाईस्कूल में अहिंसा वेबीनार का आयोजन किया है।