
वाराणसी। ज्ञानवापी से बाहर निकले अधिवक्ताओं ने अलग-अलग दावे किए। जहां एक ओर हिंदू पक्ष का दावा है कि उन्हें ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिससे साफ होता है कि यहां पर मंदिर था। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष ने इन सारे दावों को खारिज कर दिया है। दोनों ही पक्ष अब अदालत के समक्ष पेश होकर इस गुत्थी को सुलझाने में अपनी भूमिका अदा करेंगे। आइए जानते हैं कि इन तीन दिनों में किस किस प्रकार के साक्ष्यों के मिलने का दावा किया जा रहा है। सफेदी वाली दीवार की करीब से जांच एक दीवार पर सफेदी लगी थी तो वादी पक्ष ने करीब से उसकी जांच की। तहखाने के अंदर एक हिस्से में मलबे व पानी की वजह से सर्वे की पूरी कार्यवाही नहीं हो सकी। वादी पक्ष ने मलबा हटाकर जांच करने की बात कही तो प्रतिवादी पक्ष ने एतराज भी जताया। हालांकि, समय बीत जाने के कारण अब यहां सोमवार को कार्यवाही होगी। वीडियोग्राफी के लिए विशेष कैमरों का इस्तेमाल किया गया। धार्मिक चिह्न मिलने का दावा कार्यवाही के दौरान परिसर में कई धार्मिक चिह्न यथा स्वास्तिक, गज व कमल के फूल के निशान दिखने के दावे किए जा रहे हैं। दावा काशी विश्वनाथ के ईशान कोण में विराजमान हैं शृंगार गौरी श्री काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने दावा किया है कि शृंगार गौरी श्री काशी विश्वनाथ के ईशान कोण में विराजमान हैं। उन्होंने काशी के मंदिरों के इतिहास और जानकारी पर आधारित कुबेर नाथ सुकुल की पुस्तक वाराणसी वैभव के हवाले से यह दावा किया है। फर्श के सर्वे के दौरान कई साक्ष्य दबे हुए दिखे ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्यवाही के दूसरे दिन गुंबद, दीवार और फर्श के सर्वे के दौरान कई साक्ष्य दबे हुए दिखे। दीवारों पर पेंट और फर्श के नीचे दबे धार्मिक चिह्नों को लेकर चर्चा रही। सिविल जज सीनियर डिवीजन की ओर से नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त की टीम को वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी का आदेश दिया गया है। कमीशन की कार्यवाही के दौरान टीम के कुछ सदस्यों ने पुरातात्विक सर्वेक्षण की जरूरत भी बताई। तीसरे दिन के सर्वे में शिवलिंग मिलने का दावा सर्वे के तीसरे और आखरी दिन यह कार्य करीब 2 घंटे चला। सर्वे टीम नंदी के पास के कुएं से लेकर बाकी बचे इलाकों में खोजबीन की और इसके साथ ही फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी भी की गई। कोर्ट के रुख को देखते हुए कोई भी पक्ष सर्वे पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है। अंदर क्या मिला? क्या सबूत दर्ज किए गए? इस पर कोई भी खुलकर कुछ नहीं कह रहा है।