नई दिल्ली। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों पर कोर्ट ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि ये सिफारिशों केंद्र और राज्य सरकारों के लिए बाध्यकारी बिल्कुल भी नहीं हैं। जीएसटी पर कानून बनाने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के पास एक तरह के अधिकार हैं।
कोर्ट ने दिया सेक्शन 279ए का हवाला
गौरतलब है कि संविधान संशोधन के तहत कहा गया था कि जीएसटी काउंसिल का निर्णय केंद्र-राज्य के लिए बाध्य होगा। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि काउंसिल का फैसला बाध्यकारी नहीं है, बल्कि इसके अनुरूप केंद्र और राज्य कदम उठा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सेक्शन 279ए का हवाला देते हुए कहा कि इसके अंतर्गत जीएसटी काउंसिल के फैसले केंद्र और राज्य सरकारें मानें यह जरूरी नहीं है।
जीएसटी काउंसिल दे सकती है सलाह
यह बड़ा फैसला डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया है। इस मामले पर निर्देश जारी करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा है कि जीएससीटी में कोई ऐसा भी प्रावधान शामिल नहीं है, जिसमें उन परिस्थितियों का समाधान हो जब केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए कानून में विभिन्नता प्रदर्शित होती हो। अगर ऐसी कोई परिस्थिति आती भी है, तो फिर जीएसटी काउंसिल उन्हें उचित सलाह देती है।
चेक बाउंस के मामलों पर बड़ा आदेश
चेक बाउंस के बढ़ते मामलों का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि इस तरह के मामलों का जल्द निपटान करने के लिए एक सितंबर 2022 से पांच राज्यों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ स्पेशल कोर्ट का गठन किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में केस बाउंस के पेडिंग मामलों के मद्देनजर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत संबंधित राज्यों में विशेष अदालतें गठित की जाएंगी।