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नई दिल्ली। राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक की राज्यसभा सीटों के लड़ाई दिलचस्प हो चली है। मीडिया इंडस्ट्री के सुभाष चंद्रा और व्यवसायी कार्तिकेय शर्मा ने क्रमशः राजस्थान और हरियाणा से भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। जबकि कर्नाटक में जद(एस) ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। इधर महाराष्ट्र में भी भाजपा ने तीसरा उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है। भाजपा के आखिरी मौके पर एक्टिव होने के बाद से ही कांग्रेस की इन राज्यों में राह मुश्किल हो चली है। पार्टी को अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए कड़ी मशक्कत करना पड़ रही है।

राजस्थान में गहलोत-पायलट विवाद का फायदा उठा रही भाजपा
मंगलवार को उच्च सदन के सदस्य और जी समूह के अध्यक्ष सुभाष चंद्रा ने भाजपा के समर्थन के साथ राजस्थान से अपना नामांकन दाखिल किया। यहां कांग्रेस के चार में से दो और भाजपा एक सीट जीतने की स्थिति में है। अब चौथी सीट के लिए मुकाबला सुभाष चंद्रा के साथ होगा, जो कांग्रेस के प्रमोद तिवारी को चुनौती देंगे। राजस्थान भाजपा के सूत्रों ने अमर उजाला को बताया कि पार्टी अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट विवाद का फायदा उठाने की कोशिशों में जुटी हुई है। दूसरी तरफ बाहरी उम्मीदवार होने के कारण कई कांग्रेस के विधायक भी नाराज है। इसलिए पार्टी ने यहां निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दिया है।

पूर्व मंत्री रहे घनश्याम तिवाड़ी भाजपा के उम्मीदवार हैं। 200 सदस्यीय राज्य विधानसभा में प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 वोट चाहिए। कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं और भाजपा के पास 71 वोट हैं। भाजपा के पास 30 सरप्लस वोट हैं और दूसरी सीट जीतने के लिए उसे 11 और वोट चाहिए। तीसरी सीट जीतने के लिए कांग्रेस को 15 और वोट चाहिए। इसलिए, छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार सीट जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 

13 निर्दलीय, दो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के सदस्य, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो और सीपीएम के दो विधायक हैं, जो निर्णायक कारक हो सकते हैं। हालांकि निर्दलीय विधायक अभी तक सत्ताधारी दल कांग्रेस के समर्थन में रहे हैं। विभिन्न मौकों पर सरकार को बचाने में उन्होंने सहयोग दिया है। अब देखना होगा कि राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय किसका साथ देते हैं। क्योंकि निर्दलीय विधायकों के सहयोग के बगैर दोनों ही दलों को एक सीट पर जीत के लिए मुश्किल होगी।

हरियाणा में भाजपा ऐसे कांग्रेस को पहुंचा सकती है नुकसान
भाजपा शासित हरियाणा में कांग्रेस को सीट पर जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। मीडिया इंडस्ट्री के कार्तिकेय शर्मा प्रदेश से राज्यसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल कर चुके है। शर्मा के आने के बाद से ही पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के उम्मीदवार अजय माकन की राह थोड़ी मुश्किल नजर आ रही है। निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा कांग्रेस के पूर्व नेता विनोद शर्मा के बेटे और हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा के दामाद हैं। उन्हें भाजपा के साथ जननायक जनता पार्टी का भी समर्थन हासिल है। 

जजपा नेता अजय सिंह चौटाला भी कह चुके हैं कि पार्टी के सभी 10 विधायक कार्तिकेय शर्मा का समर्थन करेंगे। प्रदेश में किसी भी पार्टी को एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। कांग्रेस के पास 31 हैं। भाजपा के पास नौ सरप्लस वोट हैं, जिसे वह शर्मा को ट्रांसफर कर सकती है।

कर्नाटक में कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगी जनता दल (सेक्युलर)
इधर, कर्नाटक में भी कांग्रेस के लिए मुश्किलें खत्म होती दिखाई दे रही हैं। मंगलवार को जनता दल (सेक्युलर) के कुपेंद्र रेड्डी ने राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। प्रदेश में भाजपा के दो उम्मीदवार निर्मला सीतारमण और फिल्म कलाकार जग्गेश आसानी से राज्यसभा पहुंच सकते हैं, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार जयराम रमेश की भी राह आसान नजर आ रही है, लेकिन सबसे ज्यादा रोचक मुकाबला चौथी सीट को लेकर है। इसी सीट को लेकर कांग्रेस के मंसूर अली खान, भाजपा के लहर सिंह और जेडीएस के रेड्डी बीच मुकाबला है।

इस मसले पर जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी संपर्क कर समर्थन मांग चुके हैं। जद(एस) के 30 विधायक हैं, उसे अपना उम्मीदवार चुने जाने के लिए 15 और वोटों की जरूरत है। कांग्रेस के पास 20 और भाजपा के पास 31 वोट ज्यादा हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जद (एस) को उनके उम्मीदवार का समर्थन करना चाहिए क्योंकि पार्टी ने पिछले राज्यसभा चुनाव में जेडीएस) के उम्मीदवार पार्टी सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा का समर्थन किया था। उन्होंने कहा, जद(एस) चाहता है कि कांग्रेस अपने दूसरे उम्मीदवार को वापस ले और रेड्डी का समर्थन करे।

महाराष्ट्र में मुकाबला हुआ दिलचस्प
भाजपा के महाराष्ट्र में तीसरे उम्मीदवार को उतारने के साथ राज्यसभा की छह सीटों के लिए होने वाली लड़ाई दिलचस्प हो चली है। छठवीं सीट पर न ही सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन और न ही भाजपा के पास अपने दम पर उम्मीदवार जीतने के लिए संख्या बल है। ऐसे में सभी की निगाहें 29 निर्दलीय विधायकों पर टिकी हुई हैं, जो इस सीट का परिणाम तय करेंगे। 288 सदस्यीय विधानसभा छह सदस्यों का चयन करेगी और एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 42 मतों की आवश्यकता होगी।

एमवीए गठबंधन में शिवसेना के संजय राउत, एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी हैं, जबकि भाजपा से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अनिल बोंडे है। गोयल और बोंडे के चुने जाने के बाद भाजपा के पास 22 अतिरिक्त वोट होंगे। इसलिए पार्टी ने छठवीं सीट पर भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। इस सीट पर भाजपा के धनंजय महादिक और शिवसेना के संजय पवार के बीच मुकाबला है। पार्टी का दावा है कि उसे छोटे दलों और निर्दलीय के सात विधायकों का समर्थन प्राप्त है। उसे अभी भी 13 वोटों की जरूरत होगी।